कानपुर/स्टेट डेस्क : उपभोक्ताओं द्वारा बिजली के बिल के रूप में केस्को को जमा की गई धनराशि कंपनी के अकाउंट में न पहुंचकर मिलते जुलते नाम की मेरठ की एक कंपनी के अकाउंट में ट्रांसफर हो गई था। वहीं 1.48 करोड़ रुपए की हेराफेरी में जहां केस्को ने बैंक प्रबंधन ने मेरठ की एक महिला खाताधारक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है।
वहीं पुलिस की जांच लापरवाही और साजिश दोनों बिंदुओं पर शुरू हो गई थी। विवेचक ने बैंक प्रबंधन से मेरठ की महिला खाताधारक के बारे में पूरी जानकारी मांगी है। वहीं जिन उपभोक्ताओं के बिल मेरठ वाले बैंक खाते में जमा हो गए, उनके बारे में डिटेल्स साझा करने को कहा है।
केस्को की अधिकृत वेबसाइट के माध्यम से बिजली का बिल जमा करने वाले हजारों उपभोक्ताओं का पैसा बिजली कंपनी के खाते में नहीं पहुंचा। इस मामले में केस्को ने पिछले दिनों बैंक प्रबंधन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। दो दिन पहले बैंक प्रबंधन ने मेरठ निवासी महिला सुमन व उसके पति योगेंद्र के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।
आरोप है कि केस्को इलेक्ट्रिक के नाम से सुमन द्वारा आईसीआईसीआई बैंक में एक खाता खुलवाया गया था और उपभोक्ताओं द्वारा जमा किया जा रहा पैसा केस्को के खाते में न पहुंचकर मिलते जुलते नाम वाले सुमन के खाते में जा रहा था और पैसा निकालकर दूसरे खातों में ट्रांसफर करके निकाल भी लिया गया।
आरोप है कि जब सुमन से बात करने को कोशिश की गई तो उन्होंने बताया कि उनका ऑनलाइन इलेक्ट्रॉनिक्स का बिजनेस है और उक्त पैसा उनके व्यापार से संबंधित है। पति योगेंद्र को इसकी जानकारी और वह मुंबई में हैं। इसके अलावा उन्होंने कोई जानकारी नहीं दी। सवाल यह है कि अगल-अलग गेटवे होने के बाद भी मिलते जुलते नाम वाले खातों में आखिर रकम कैसे स्थानांतरित हो गई।
एसीपी कोतवाली रंजीत कुमार ने बताया कि बैंक प्रबंधन से मेरठ निवासी महिला से संबंधित खाते की जानकारी मांगी गई है कि खाता कब खुला। पैसे कब-कब उसके खाते में आए। इसके अलावा उन उपभोक्ताओं के बारे में भी जानकारी मांगी गई है, जिनके बिजली के बिल सुमन के खाते में जमा हुए।
ऑनलाइन भुगतान के दौरान बिल की धनराशि गलत खाते में हो गई है। इसमें साजिश की आशंका ज्यादा है। हो सकता है कि वेबसाइट हैक की गई हो या बैंक की मिलीभगत से ऐसा किया गया हो। जल्द ही पुलिस की एक टीम मेरठ भेजी जाएगी।