*भट्टी साहब से मिलने के लिए डीजी और एडीजी स्तर के अफसरों को भी करना पड़ता है इंतजार!….
हेमंत कुमार/पटना : बिहार पुलिस के मुखिया आर एस भट्टी की कार्यशैली महाराजा स्टाइल वाली है! उनसे मिलने के लिए उनके समकक्ष यानी डीजी स्तर के अफसरों को भी इंतजार करना होता। एडीजी स्तर के अफसरों को तो बगैर अप्वाइंटमेंट के मिलने की इजाजत भी नहीं है।
अप्वाइंटमेंट के बाद भी घंटों इंतजार कराया जाता है। हनक ऐसी कि पुलिस मुख्यालय की बिल्डिंग की जिस लिफ्ट से भट्टी साहब अपने चैंबर तक पहुंचते हैं,उस लिफ्ट में उनके साथ किसी डीजी/एडीजी को भी चढ़ने की इजाजत नहीं है!
बताया जाता है कि महाराजा स्टाइल में बिहार की पुलिस को हांकने वाले भट्टी साहब को एक दिन मुख्यमंत्री ने तलब किया। जम कर क्लास ली। उनसे कहा, सुना है कि आप अपने अफसरों से मिलते नहीं है। अपने बराबर के अफसरों को इंतजार करवाते हैं। आपका सरकारी फोन कंट्रोल रूम में रखा रहता है।
एडीजी स्तर तक के अफसर बिना अप्वाइंटमेंट के आपसे मिल नहीं सकते हैं! यह तो हद है! ऐसा कैसे चलेगा! आप पुलिस प्रमुख हैं या तानाशाह हैं। आपसे संभल नहीं रहा है तो छोड़ दीजिए! ऐसा कभी हुआ है कि अपने मातहत अफसरों से तालमेल और संवाद कायम किये बिना पुलिसिंग सफल हुई है! सीएम की झाड़ सुनने के बाद भट्टी साहब खुद मुजफ्फरपुर गये। प्रॉपर्टी डीलर आशुतोष शाही हत्याकांड पर अफसरों से बात की। हत्याकांड के नामजद आरोपितों में से मंटू शर्मा और गोविंद की गिरफ्तारी हुई!
लेकिन जानकार बता रहे हैं कि राजा की झाड़ फटकार के बाद भट्टी साहब अपना बोरिया बिस्तर समेटने की तैयारी कर रहे हैं। उनका दिल्ली जाना तय माना जा रहा है। राजा भी चाहते हैं कि इनसे पिंड छूट जाये। पिछले साल 30 दिसंबर, 2022 को बिहार का डीजीपी बने भट्टी CISF के डीजी बन सकते हैं,ऐसी चर्चा है। बिहार कैडर के आइपीएस अफसर शीलवर्द्धन सिंह CISF डीजी के तौर पर अगस्त महीने में अपनी सेवा अवधि पूरी कर रहे हैं। ऐसे में भट्टी उनका स्थान ले सकते हैं।
डीजीपी की कुर्सी छोड़कर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाना नयी बात नहीं है। अभी हाल में कर्नाटक के डीजीपी प्रवीण सूद सीबीआइ के डायरेक्टर बनकर दिल्ली गये हैं। लोकसभा में कांग्रेस के नेता और सेलेक्ट कमिटी के सदस्य अधीर रंजन चौधरी ने सूद को सीबीआइ डायरेक्टर बनाने का विरोध किया था। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने उनपर भाजपा के इशारे पर कांग्रेस के नेताओं को मुकदमा में फंसाने के आरोप लगाये थे।
खैर! आर एस भट्टी को लेकर पुलिस महकमे में जो चर्चा है,वह उनके पक्ष में जाती नहीं दिख रही है। जानकार बताते हैं कि BSAP के डीजी एके आंबेडकर डीजीपी से मिलने पहुंचे तो उनको इंतजार करने को कहा गया। पुलिस भवन निर्माण निगम के एमडी विनय कुमार के साथ भी ऐसा ही हुआ। कुमार डीजी स्तर के अफसर हैं, उन्हें इंतजार करना अच्छा नहीं लगा तो दस मिनट बाद बिना मिले लौट गये! एडीजी स्तर के अफसरों ने तो उनसे मिलना ही छोड़ दिया है। एक अफसर को घंटों इंतजार करवाया गया फिर बताया गया कि साहब नहीं मिलेंगे!
ऐसे में SSP और SP स्तर के अफसरों की भट्टी साहब की नजर में तो कोई बिसात ही नहीं। एक पुलिस अफसर की मानें तो माहौल अपमानजनक है। सब कुछ वन-वे चल रहा है। डीजीपी साहब के नीचे वालों को सिर्फ सुनना है। कहना या बताना नहीं है। लिफ्ट में चढने को तैयार किसी एडीजी स्तर के अफसर को सिपाही रोक कर कहता है,सर! डीजीपी साहब आ रहे हैं। अभी आप लिफ्ट का इस्तेमाल नहीं करें! इंतजार कीजिए। इससे समझा जा सकता है कि माहौल कितना भारी और असहज हैं।