सीएम से मिलकर महबूब ने कहा, बारसोई में SDM और DSP की लापरवाही से हुई फायरिंग, न्यायिक जांच हो!

पटना

आम जनता व मृतकों पर लादे गए मुकदमे की वापसी हो!

मृतक परिजनों व घायलों के इलाज के लिए उचित मुआवजा मांगा

स्टेट/पटना : बारसोई गोलीकांड को लेकर भाकपा-माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने SDM और DSP पर गंभीर आरोप लगाया है! कहा है कि इन दोनों अफसरों की लापरवाही के कारण फायरिंग में दो लोगों की जान गयी। मामले की न्यायिक जांच बेहद जरूरी है। महबूब ने रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की और वहां की स्थिति से अवगत कराया. मालूम हो कि विगत 26 जुलाई को बिजली कटौती के सवाल पर आंदोलन के दौरान पुलिस की गोली से दो लोगों की मौत हुई थी. जहां फायरिंग हुई,उस क्षेत्र से महबूब माले के विधायक हैं.

महबूब आलम ने मुख्यमंत्री को बताया कि घटना के लिए मूल रूप से प्रशासन जिम्मेवार है. उलटे आम लोगों को फंसाया जा रहा है. इसलिए मामले की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच होनी चाहिए. उन्होंने एसडीएम व डीएसपी पर कार्रवाई करने, सभी फर्जी मुकदमों की वापसी, बिजली की गारंटी करने और मृतक परिजनों व घायलों के लिए उचित मुआवजे की मांग की. मुख्यमंत्री ने उनकी सभी मांगों पर त्वरित कार्रवाई का आश्वासन दिया.

महबूब ने मुख्यमंत्री को एक पत्र भी सौपा जिसमें लिखा है कि विगत 26 जुलाई 2023 को घटित बारसोई गोलीकांड पहली नजर में प्रशासनिक विफलता का उदाहरण है. बारसोई में विगत एक महीने से बिजली की समस्या जारी थी. आम लोग लोडशेडिंग से परेशान थे. मुझे जब इसका पता चला तो 24-25 जुलाई को मेरे द्वारा शालमारी विद्युत स्टेशन पर धरना भी दिया गया. तब मुझे खुद पता चला कि स्टेशन से 33000 वोल्ट की बजाए टेक्निकल कारणों से 24000 वोल्ट ही निकल रहा है, जिसके कारण समस्याएं खड़ी हो रही थीं.

बिजली की समस्या से त्रस्त स्थानीय लोगों ने 26 जुलाई को बारसोई में एक विशाल धरने का आयोजन किया था. आयोजकों ने प्रशासन से इसकी लिखित अनुमति भी ले रखी थी. लोगों में काफी आक्रोश था. इसिलए मैंने खुद डीएसपी को टेलीफोनिक सूचना देकर सचेत किया था कि मामले को प्रशासन ठीक से डील करे. बावजूद, प्रशासन ने अपनी ओर से किसी भी मजिस्ट्रेट की नियुक्ति नहीं की और मामले को काफी हलके ढंग से लिया, जिसके कारण 26 जुलाई की दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी.

यदि प्रशासन का कोई आदमी आंदोलकारियों का मेमोरेंडम ले लेता, तो संभवतः यह घटना नहीं घटती. प्रशासन ने बिना किसी चेतावनी, आंसू गैस अथवा हवाई फायरिंग के सीधे हत्या के मकसद से गोली चलाई, जिसमें खुर्शीद व सोनू साह की मौत हो गई और नेयाज जख्मी हो गया. खुर्शीद को सीने में गोली लगी जबकि सोनू साह के सीधे मस्तक में गोली लगी. नेयाज की आंख पूरी तरह डैमेज हो गई है और फिलहाल उनका इलाज सिलीगुड़ी में चल रहा है.

हमारी पार्टी की एक उच्चस्तरीय जांच टीम ने 28 जुलाई को घटनास्थल के साथ-साथ मृतक सोनू साह के परिजनों से मुलाकात की. परिजनों ने बताया कि 22 वर्षीय सोनू साह सीए का छात्र था. उसका बड़ा भाई मोनू साह बिजली विभाग में ठेके पर काम करता है. भगदड़ की खबर सुनकर वह अपने छोटे भाई उदित के साथ मां के कहने पर बड़े भाई मोनू को लाने गया था. सोनू अपने दोनों पॉकेट में हाथ डालकर खड़ा था कि एक गोली आकर सीधे उसके मस्तक में लगी और वह वहीं गिर गया व उसकी मौत हो गई. उसी दिन जिला प्रशासन ने अपना बयान बदलते हुए एक सीसीटीवी फुटेज जारी किया. 

जिसमें यह दावा किया गया कि हत्याएं भीड़ के बीच में से ही किसी की गोली चलाने से हुई है. लेकिन हमारा मानना है कि खुर्शीद की जहां मौत हुई वह बिलकुल बिजली विभाग और अनुमंडल कार्यालय की जद में था. प्रत्यक्षदर्शियों ने हमें यह बताया कि बिजली विभाग और अनुमंडल कार्यालय पर उपस्थित पुलिस ने ही गोली चलाई. जांच टीम ने पाया कि प्रशासन के बयान के विपरीत इन दोनों जगह से यदि पुलिस अपने थ्री नॉट थ्री से गोली चलाती है तो किसी की भी मौत हो सकती है. पोस्टमार्टम की रिपोर्ट सही-सही सामने आ जाए तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि हत्या पुलिस की गोली से हुई है अथवा किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा. लेकिन प्रशासन ने उलटे सभी आयोजकों और मृतकों पर भी गंभीर किस्म के मुकदमे थोप दिए हैं. यहां तक कि जो लोग उस दिन धरना में शामिल नहीं थे, उनपर भी मुकदमा कर दिया गया है.

हमारा यह भी कहना है कि बारसोई में हाल के दिनों में भाजपा-आरएसएस द्वारा अशांति फैलाने का भी प्रयास किया जा रहा है. इसकी भी जांच जरूरी है.

उन्होंने लिखा है कि हम आपसे मांग करते हैं कि

  1. बारसोई गोलीकांड की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच कराई जाए.
  2. आयोजकों व मृतकों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएं.
  3. बारसोई के एसडीएम और डीएसपी को तत्काल हटाया जाए.
  4. मृतक परिजनों और घायलों को उचित मुआवजा दिया जाए.
  5. बारसोई में बिजली की समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाए.