स्टेट डेस्क/पटना : भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि प्राथमिक विद्यालयों में साल में न्यूनतम 200 दिन और उच्चतर विद्यालयों में कम से कम 220 दिन पढ़ाई की गारंटी के प्रावधान से किसी को ऐतराज नहीं हो सकता. यह होना ही चाहिए. लेकिन यदि बिहार के स्कूलों में ऐसा नहीं हो रहा है तो इसके पीछे केवल छुट्टियों का मसला नहीं है बल्कि शिक्षकों से लिया जा रहा गैरशैक्षणिक कार्य भी एक प्रमुख बाधक है.
उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग के अपर सचिव केके पाठक का रवैया एकतरफा और फरमान के जरिए चीजों को ठीक करने का है. रातो रात फरमान जारी करके शिक्षा व्यवस्था ठीक नहीं किया जा सकता. इससे शिक्षकों के बीच केवल आक्रोश ही पैदा होगा. विभाग को शिक्षकों की मर्यादा सुनिश्चित करते हुए उनसे बातचीत की प्रक्रिया अपनानी चाहिए. इसी रास्ते बिहार की शिक्षा पटरी पर लौट सकती है.
उन्होंने यह भी कहा कि हम बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से शिक्षा विभाग के ऐसे फरमानों पर पुनर्विचार की मांग करते हैं जिनसे समस्याएं और जटिल हो जाती हैं तथा शिक्षक समुदाय खुद को अपमानित महसूस करता है. शिक्षा व्यवस्था में सुधार हेतु सरकार को व्यापक स्तर पर विचार-विमर्श की प्रक्रिया का रास्ता अपनाना चाहिए चाहिए.