DESK : स्वामी केशवानन्द राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण निदेशालय एवं इंडियन रेडक्रास सोसायटी, बीकानेर के संयुक्त तत्वाधान में युवाओं में अपराध के प्रति बढ़ती मानसिकता पर रोकथाम में समाज, पुलिस एवं शिक्षण संस्थाओं का दायित्व विषयक राष्ट्रीय कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए वर्चुअल मोड़ पर जुड़कर श्री उमेश मिश्रा] पुलिस महानिदेशक, राजस्थान ने कहा कि युवाओं में बढ़ते अपराधों को रोकने में आचरण की सभ्यता मूल मंत्र है।
बच्चा और युवा जो देखता है उसी को अपने आचरण में उतारता है। माता-पिता, गुरूजनों एवं परिवारजनों का आचरण यदि अच्छा होगा तो उसका सकारात्मक प्रभाव युवाओं पर पड़ेगा। उन्होने आचरण को ही सबसे बड़ा शिक्षक बताया। उन्होने कहा कि युवाओं के पथ से भटकने में उनकी परवरिश तथा जिन नैतिक मूल्यों की तरफ वह आकृष्ट होते हैं उनका बड़ा योगदान रहता है। समाज मानवीय मूल्यों पर चलता है।
लालच, गरीबी, डिप्रेशन, हीन मानसिकता, अपराध की राह पर धकेलने के लिये उत्तरदायी है। कार्यशाला के शुभारम्भ अवसर पर मुख्य अतिथि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान पटना के विभागाध्यक्ष साइकेट्री प्रो. डॉ. पंकज कुमार ने कहा कि युवाओं को अपराध में नहीं उतरने देना अपराधों को रोकने से अच्छा विकल्प है।
कुलपति, डॉ. अरूण कुमार ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य युवाओं में बढती अपराधिक गतिविधियों की रोकथाम में समाज, पुलिस एवं शिक्षण संस्थाओं के दायित्वों पर मंथन करना है। कार्यशाला पांच सत्रों में आयोजित की गई। प्रथम सत्र में युवाओं में अपराध की मानसिकता रोकने तथा सकारात्मक सोच विकसित करने में सामाजिक कार्यकर्ताओं की भूमिका पर चर्चा हुई।
इस सत्र में डॉ. तनवीर मालावत,वाईस चेयरमेन, इंडियन रेडक्रास सोसायटी, बीकानेर, श्री रामेश्वरानन्द जी महाराज, अधिष्ठाता ब्रह्य गायत्री सेवाश्रम देवकुंड सागर, बीकानेर एवं श्री राजेन्द्र जोशी, चेयरमेन, इंडियन रेडक्रास सोसायटी, बीकानेर ने अपने विचार प्रकट किये। डॉ. मालावत ने कहा कि एक सफल सामाजिक कार्यकर्ता वह है जो युवाओं के भीतर के गुणों को पहचान कर उनकी क्षमता में वृद्धि करें और युवाओं को समस्याओं से लड़ने का साहस प्रदान करें। वक्ताओं ने गुटबाजी से दूर रहने तथा परिवारजनों को बच्चों व युवाओं के लिये समय देने की बात कही।
श्री आर. के. सुथार, वास्तुविद ने अपने उद्बोधन में कहा कि अपराध घटना नहीं होती अपितु घटनाओं की एक श्रृंखला होती है, जिसे समाज यदि नहीं बनने दे तो अपराध स्वतः कम हो जायेंगे। द्वितीय सत्र में शिक्षण संस्थाओं के दायित्वों पर चर्चा हुई, जिसमें माननीय कुलपति, महाराजा गंगासिंह विश्वविधालय, बीकानेर, प्रो. मनोज दीक्षित, अधिष्ठाता, सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय, बीकानेर, डॉ. विमला डुकवाल तथा जिला शिक्षा अधिकारी, बीकानेर श्री सुरेन्द्र सिंह भाटी ने युवाओं को अपराधिक प्रवृति से बचने के सुझाव साझा किये।
अपराधिक प्रवृतियों के प्रति मानसिकता को बदलने में मनोवैज्ञानिकों का दायित्व अहम माना जाता है। मनोवैज्ञानिकों द्वारा मन की सुगम राह को चरितार्थ करने तीसरे सत्र में डॉ. पंकज कुमार, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान पटना के साइकेट्री विभाग के विभागाध्यक्ष, डॉ. एल. सी. गुप्ता, फोरेसिंक साइकोलोजिस्ट, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली तथा डॉ. आभा सिंह, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, मनोविज्ञान, पी.पी. एन कॉलेज कानपुर ने युवाओं का मार्गदर्शन किया।
कार्यशाला का चतुर्थ सत्र पुलिस प्रशासन के दायित्व से सम्बधित रहा। इस सत्र में पुलिस महानिरीक्षक, बीकानेर श्री ओम प्रकाश पासवान ने कहा कि संयुक्त परिवार प्रथा के बिखरने से युवाओं पर अंकुश में कमी आई है उन्होने महाविद्यालयों में पुलिस विद्यार्थी चौपाल आयोजित करने का सुझाव दिया। पुलिस अधीक्षक, बीकानेर श्रीमती तेजस्विनी गौतम ने कहा कि भारत की कुल जनसंख्या में 25 वर्ष से कम आयु के लगभग 50 प्रतिशत युवा है।
इन युवाओं को बिना सेंसर की गयी डिजिटल गतिविधियों तथा साईबर क्राईम से दूर रखने की आवश्यकता है। पांचवें सत्र में मुख्य अतिथि श्री उमेश मिश्रा, पुलिस महानिदेशक, राजस्थान की वर्चुअल उपस्थिति में पूर्व 4 सत्रों का सार पढ़ा गया जिसे संकिलित कर राज्य सरकार को भेजना तय किया गया। धन्यवाद प्रस्ताव विजय खत्री, वाईस चेयरमैन इण्डियन रेडक्रॉस सोसायटी, राजस्थान ने ज्ञापित किया। उन्होंने विश्वविधालय और इंडियन रेड क्रास सोसायटी के सम्मिलित प्रयास को सराहनीय बताया।