बिहार को गरीबी के दुष्चक्र से बाहर निकालने के लिए महागठबंधन सरकार बनाए कार्य योजना

पटना

2022 तक सबों को पक्का मकान देने की केंद्र की घोषणा फ्लॉप साबित हुई

नया वास-आवास कानून बनाने की खेग्रामस की मांग की हुई पुष्टि

स्टेट डेस्क/पटना: अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा (खेग्रामस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह विधायक सत्यदेव राम, राष्ट्रीय महासचिव धीरेंद्र झा, सम्मानित राज्य अध्यक्ष सह विधायक बीरेंद्र गुप्ता, राज्य अध्यक्ष सह विधायक मनोज मंजिल और राज्य सचिव शत्रुघ्न सहनी ने संयुक्त बयान जारी कर कहा है कि बिहार को गरीबी के दुष्चक्र से बाहर निकालने और वंचितों की हिस्सेदारी हर क्षेत्र में बढ़ाने को लेकर महागठबंधन सरकार को विस्तृत कार्ययोजना बनानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि जाति गणना की सामाजिक आर्थिक रिपोर्ट से जो तस्वीर निकल रही है कि वह रेखांकित करता है कि महागठबंधन सरकार को बिहार की बहुतायत आबादी को गरीबी के दुष्चक्र से निकालने को प्राथमिक एजेंडा बनाना होगा। भाजपा राज में गरीबी बढ़ी है। केंद्र सरकार द्वारा कल्याणकारी योजनाओं में कटौती इसके लिए जिम्मेवार है।

बिहार में भूमिसुधार की प्रक्रिया पर भाजपाई बुलडोजर के चलते पिछले 15 वर्षों से वह ठहरी हुई है, जिसके कारण बड़ी आबादी गरीबी के दुष्चक्र से बाहर नहीं निकल पा रही है। भूमि की मिल्कियत की रिपोर्ट आने से ही बिहार की वास्तविक सामाजिक-आर्थिक तस्वीर सामने आएगी।

आवासीय स्थिति की तस्वीर भी भयावह है जो दिखलाता है कि प्रधानमंत्री आवास योजना खासकर 2022 तक सबों को पक्का मकान देने की घोषणा फ्लॉप हो गई है। रिपोर्ट से खेग्रामस-भाकपा माले के हाउसिंग राइट आंदोलन की पुष्टि होती है। बिहार के 36.76 परिवार के पास ही दो या दो से अधिक कमरे वाला पक्का मकान है। इसका मतलब यह हुआ कि राज्य की बड़ी आबादी भारी आवास संकट के दौर से गुजर रही है।

अत्यंत पिछड़ा वर्ग में 15.49 झोपड़ी में और 28.71 टीना छत या खपरैल वाले परिवार हैं। दलितों में यह आंकड़ा क्रमशः 16.08 और 40.96 है। झोपड़ी और टीना छत-खपरैल वाले परिवारों में बहुतायत ऐसे परिवार हैं जिनके पास घर वाली जमीन का मालिकाना हक नहीं है। तमाम अनधिकृत बसावट का मुकम्मल सर्वे के बाद ही सही तस्वीर सामने आएगी। इसलिए मुकम्मल सर्वे का आधार पर नया वास-आवास कानून बनाने की मांग जो खेग्रामस के बेतिया सम्मेलन से की गई है वो राज्य के लिए निहायत जरूरी है।
बिहार को गरीबी के दुष्चक्र से निकालने के लिए दलित-गरीबों के 5 गारंटी आंदोलन अहम है। सरकार को गरीबी उन्मूलन का समग्र कार्ययोजना बनाना चाहिए।

शिक्षा-रोजगार में अत्यंत पिछड़ों-अतिपिछड़ों-दलितों-पसमांदा जमात के लोगों की कम हिस्सेदारी चिंताजनक है, सरकार को फौरी कार्ययोजना बनानी चाहिए।