पटना जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को सौंपा पत्र
संविधान व लोकतंत्र की रक्षा के लिए अपेक्षित कदम उठाने की मांग की. सभी सांसदों का निलंबन अविलंब वापस हो
स्टेट डेस्क/पटना : इंडिया गठबंधन के राष्ट्रव्यापी आह्वान के तहत शुक्रवार को भाकपा-माले, राजद, जदयू, सीपीआई और सीपीआई (एम) ने संयुक्त रूप से लोकसभा व राज्यसभा के 146 सांसदों के निष्कासन के खिलाफ विरोध मार्च किया। पटना जिलाधिकारी के माध्यम से देश के राष्ट्रपति को एक स्मार पत्र सौंपा, जिसमें संविधान व लोकतंत्र की रक्षा के लिए उनसे तत्काल अपेक्षित कदम उठाने की मांग की गयी.
विरोध मार्च का नेतृत्व भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल व पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेन्द्र झा; राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, शिवानंद तिवारी, दीनानाथ यादव; जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा व रवीन्द्र सिंह, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह व अनिल शर्मा, सीपीआई के रामबाबू कुमार व गजनफर नवाब तथा सीपीआईएम के अरूण मिश्रा व गणेश सिंह कर रहे थे.
इनकम टैक्स गोलबंर से झंडे-बैनर और तख्तियों के साथ विरोध मार्च की शुरूआत हुई, जो डाकबंगला चौराहे होते हुए जिलाधिकारी कार्यालय तक पहुंचा. जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपने के बाद विरोध सभा का भी आयोजन किया गया. प्रतिरोध सभा को माले विधायक सत्यदेव राम, संदीप सौरभ, गोपाल रविदास, शिवसागर शर्मा, राजद के कैसर खां सहित इंडिया गठबंधन के अन्य घटक दलों के नेताओं ने संबोधित किया. मार्च में ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, शशि यादव, अमर सहित बड़ी संख्या में भाकपा-माले और अन्य दलों के नेता-कार्यकर्ता उपस्थित थे.
संचालन ऐक्टू नेता रणविजय कुमार ने की.
वक्ताओं ने कहा कि देश के इतिहास में पहली बार 146 सांसदों को बस इतनी सी बात पर निकाल बाहर कर दिया गया कि वे संसद में हुए अप्रिय धुआं बम कांड पर प्रधानमंत्री व गृहमंत्री से बयान चाह रहे थे. बयान देने की बजाए बेहद अलोकतांत्रिक तरीके से सभी सांसदों को बाहर का रास्ता दिखला दिया गया. मोदी सरकार की बढ़ती तानाशाही ने संसद की गरिमा को तार-तार कर दिया है. दोनों सदन के अध्यक्षों की भूमिका सरकार की तरफदारी वाली रही है.
यह लोकतंत्र के लिए बेहद ही शर्मनाक है. मोदी सरकार देश की डेमोक्रेसी को मोदीक्रेसी में बदल देने का सपना देख रही है. आगे कहा कि राज्यसभा अध्यक्ष की एक सांसद द्वारा की गई मिमिक्री पर भाजपा राजनीति कर रही है और कह रही है कि इसके जरिए जाट समुदाय का अपमान किया गया है. लेकिन दूसरी ओर उसी जाट समुदाय से आने वाली महिला पहलवान साक्षी मलिक ने भाजपाइयों की बलात्कारी प्रवृत्ति से तंग आकर कुश्ती से सन्यास ले लिया. क्या यह जाट समुदाय और महिलाओं का अपमान नहीं है? पूरा देश भाजपा की लोकतंत्र और महिला विरोधी कार्रवाइयों को देख व समझ रहा है.
इंडिया गठबंधन के नेताओं ने कहा कि यह तानाशाही चलने वाली नहीं है. 2024 के लोकसभा चुनाव में इस तानाशाह सरकार को दिल्ली की गद्दी से उखाड़ फेंका जाएगा. विपक्ष मुक्त संसद और विरोध मुक्त सड़क के मंसूबे पालने वाली भाजपा को देश की जनता कभी कामयाब नहीं होने देगी. हमारी मांग है कि सभी निलंबित सांसदों का निलंबन अविलंब वापस लिया जाए.
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को भी इसी प्रकार से संसद से बाहर कर दिया गया. भाजपा विरोधी सभी पार्टियां आज एकजुट हो रही हैं और देश को बचाने के लिए एक साथ चलने के लिए कृतसंकल्पित हैं. पटना सहित राज्य के सभी जिला मुख्यालयों पर भी आज इंडिया गठबंधन के बैनर तले विरोध-प्रदर्शन किया गया.