उत्तराधिकारी स्वतंत्रता सेनानी है…विगत 14 जनवरी वर्ष 1924 को हुई थी दादा का जन्म..
बक्सर/बीपी। पुराने शाहाबाद के राजनीतिक इतिहास में चर्चित सत्यनारायण प्रसाद उर्फ दादा (एसएन दादा) का नाम काफी अदब से लिया जाता है। जीवन भर एक राजनीतिक दल सीपीआई का दामन थामे रहे। पर क्षेत्र के विकास के सवाल पर वे हर दल को नैतिक व बौद्धिक सर्मथन देने से कभी गुरेज नहीं कर सके। रहे।इतिहास गवाह है। इसके कई जीवंत उदाहरण भी है।
बक्सर को जिला का दर्जा, डुमरांव को अनुमंडल का दर्जा, महत्वाकांक्षी सिंचाई परियोजना मलई बराज का निर्माण,डुमरंाव में कृषि विश्वविद्यालय व कृषि कालेज की स्थापना, व्यवहार न्यायालय की स्थापना सहित डुमरंाव नगर के कई छोटी व बड़ी समस्या व विकास के सवाल को लेकर सत्यनारायण प्रसाद ने आंदोलन का शंखनाद करने में अहम भूमिका निभाई है।
किसी समय में पुराने शाहाबाद जिले में राजनीतिक तौर पर वामपंथ का बोल बाला था।उस दौरान सत्यनारायण प्रसाद पार्टी का कमान संभाला करते थे।वाम पंथ यानि सीपीआई के संगठन में दादा जिला इकाई से लेकर प्रदेश कमिटि तक के विस्तार व संगठन को मजबूती प्रदान करने में अव्वल रहे। इनकी सर्मपण व ईमानदारी पूर्वक पार्टी के कार्य करने की क्षमता का उच्च पदो पर आसीन नेता भी कायल रहते है।
सीपीआई के वरिष्ठ नेता व पूर्व सांसद तेजनारायण सिंह, पूर्व सांसद कामरेड नागेन्द्र ओझा कहते है कि वयोवृद्ध सत्यनारायण प्रसाद के पास पुराने शाहाबाद क्षेत्र का भौगोलिक, सामाजिक ज्ञान, राजनीतिक ज्ञान के धनी है।सीपीआई के नेता नागेन्द्र सिंह कहते है कि सत्यनारायण प्रसाद भले ही उम्र के हिसाब से शारीरिक रूप से कमजोर हो चुके है। पर आज की तारीख में समाज हीत में संर्घष करने को बेताब सा रहते है।
उनके पास मौजूद ज्ञान को लेकर सर्वदलीय कार्यकर्ता अनुभव प्राप्त करने को पहंुचते है। पूर्व संासद व पत्रकार रहे अली अनवर कहते है कि सत्यनारायण प्रसाद के संघर्ष को काफी निकट से देखने व अखबार के पन्ने में लिखने तक को मौका मिला है। अधिवक्ता सह साहित्यकार शंभू शरण नवीन कहते है कि सत्यनारायण प्रसाद राजनीतिक प्रतिभा के धनी है।
उनके पास बौद्धिक क्षमता विद्यमान है। पत्रकार अरूण विक्रांत कहते है दादा के पास क्षेत्र के भौगोलिक, ऐतिहासिक, राजनैतिक एवं सामाजिक ज्ञान व अनुभव का बौद्धिक रूप से प्रचुर भंडार है। उन्हें डुमरांव विधान सभा क्षेत्र से सीपीआई के टिकट पर चुनाव लड़ने का मौका मिला है। लेकिन अपने निकटतम प्रतिद्वंदी पूर्व मुख्यमंत्री सरदार हरिहर सिंह से बहुत कम मतों के अंतर से सत्यनारायण प्रसाद चुनाव हार गए।
इसकी चर्चा क्षेत्र के चुनावी मौसम के दौरान जीवंत हो उठता है। जीवन परिचय-राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले सत्यनारायण प्रसाद का जन्म विगत 14 जनवरी वर्ष 1924 में हुआ है। डुमरांव नगर स्थित चैक रोड निवासी मां स्वर्गीय सिंहासनी देवी व पिता स्वर्गीय भागवत प्रसाद के अकेला संतान है। हाला कि उनके एक छोटे भाई भी थे। पर उनका देहावसान बाल्यकाल में चुकी है।
वयोवृद्ध सत्यनारायण प्रसाद उर्फ दादा के बड़े पिताजी दुर्गा प्रसाद सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे। स्वतंत्रता सेनानी बड़े पिता के संतानविहीन थे। नतीजतन बड़े पिता जी का सानिध्य सत्यनारायण प्रसाद को मिला। बडे़ पिता जी के सानिध्य में रहने के चलते उनके अंदर सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर कार्य करने का जुनून बाल्यकाल में ही पैदा हो गया था। उन्होनें स्नात्तकोतर यानि एमए की शिक्षा ग्रहण कर रखी है।
जीवन के चैथे पहर में पहुंचने वाले एवं शारीरिक तौर पर अस्वस्थ हो चुके सत्यनारायण प्रसाद आज भी अखबार के माध्यम से देश व दुनिया की खबरों के अलावा क्षेत्रीय खबरों पर नजर बनाए रखते है और अखबार नवीसों से आवश्यकतानुसार प्रतिक्रिया देने से गुरेज नहीं कर पाते है। उनकी दिनचर्या आज भी अखबार के पठन पाठन से शुरू होती है। स्थानीय नगर के सामाजिक कार्यकर्ता अब्दुल अलीम हाशमी कहते है कि सत्यनारायण दादा भले ही शारीरिक रूप से कमजोर हो गए है। पर समाज व क्षेत्र के विकास के प्रति उनका ध्यान आज भी बना रहता है।