डेस्क/ विक्रांत/ बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के कुलपति डा डी आर सिंह के कार्यकाल का एक वर्ष पूर्ण हो गया | इस अवसर पर आज विश्वविद्यालय के शिक्षकों और अधिकारीयों ने एक वर्ष की अल्प अवधि में विश्वविद्यालय द्वारा कई उपलब्धियों को हासिल करने पर कुलपति को बधाई देने का पूरे दिन सिल सिला जारी रहा | इस अवसर पर कुलपति ने अधिकारियों, शिक्षकों, और कर्मियों से कहा कि “कार्यकाल के प्रथम वर्ष में ही अनेक उपलब्धियां हमारे विश्वविद्यालय ने हासिल की है इसके पीछे हम सभी शिक्षकों और कर्मियों का सामूहिक प्रयास है,
मैंने सिर्फ एक दिशा दी है”गौरतलब है कि निवर्तमान कुलपति डॉ डी० आर० सिंह ऐसे वक्त में बिहार कृषि विश्वविद्यालय का बागडोर संभाला था जब विश्वविद्यालय एक नियमित कुलपति के लिए विगत दो वर्षो से इंतजार कर रहा था | कुलपति का पद सँभालते ही डॉ सिंह ने सर्व प्रथम विश्वविद्यालय की कार्य संस्कृति में बड़ा बदलाव किया, “वर्क इज़ वर्शिप एंड वर्क विद स्माइल” युक्ति वाक्य के साथ एक सकारत्मक उर्जा का संचार किया और कारवां को आगे बढ़ाना शुरू किया .
विगत एक वर्ष में विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की बात करें तो शुरुआत बिहार राज्य के लिए चौथे कृषि रोडमैप को अंतिम रूप देने से हुई | उपलब्धियों की सूची अंतहीन है, लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में कुछ उपलब्धियों ने शैक्षणिक वातावरण को और भी बेहतर बनाने में मददगार हुआ | विश्वविद्यालय के लिए यह मौका था जब पहले छात्र को कृषि अनुसंधान सेवा (एआरएस) के लिए चुना गया जो राष्ट्रीय मंच पर एक बड़ी सफलता थी। आईसीएआर और यूजीसी-नेट/जेआरएफ परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले 81 छात्रों के साथ सफलता विगत वर्ष भी जारी रही।
विश्वविद्यालय ने जैव प्रौद्योगिकी में अखिल भारतीय स्नातक सम्मेलन, अंतर विश्वविद्यालय और अंतर महाविद्यालय खेल और सांस्कृतिक बैठक का सफलतापूर्वक आयोजन किया। जहाँ वगत जनवरी माह तक कोई पेटेंट विश्वविद्यालय के नाम पर नहीं था वहीँ एक वर्ष के भीतर 06 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट, 01 डिज़ाइन और एक जीआई पंजीकृत करके उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की। कृषक समुदाय के लाभ के लिए चावल की तीन और गेहूं की एक किस्म के साथ पांच अलग-अलग प्रौद्योगिकियां जारी की गईं।
वैज्ञानिकों के प्रयासों से पीपीवीएफआरए द्वारा नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में भारत के राष्ट्रपति द्वारा 02 किसान उत्पादक संघ एवं 04 कृषकों को “जीनोम सेवियर अवार्ड” से सम्मानित किया गया। रेशम उत्पादन, बागवानी फसलों, चाय और अन्य वृक्षारोपण, शिक्षा और अनुसंधान पर काम शुरू करने के लिए केंद्रीय रेशम बोर्ड, असम कृषि विश्वविद्यालय, कैनसस विश्वविद्यालय और कई अन्य के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
बीएयू सबौर सामुदायिक रेडियो स्टेशन ग्रीन एफएम 90.8 को कार्यक्रम श्रृंखला “पोषण शृंखला” के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय सामुदायिक रेडियो स्टेशन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यूजीसी सी.ई.सी. द्वारा बेस्ट एजुकेशनल फिल्म के लिए चयनित किया गया | कृषक समुदाय के साथ विश्वविद्यालय की कनेक्टिविटी को व्यापक बनाने के लिए एक नया कार्यक्रम “सवाल-जवाब” शुरू किया गया और साथ ही केवीके, मानपुर, गया में एक नया सामुदायिक रेडियो स्टेशन शुरू किया गया।
छात्राओं के बीच कृषि शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय को अपनाने से विश्वविद्यालय की सामाजिक पहुंच बढ़ी। विश्वविद्यालय और उसके घटक महाविद्यालयों ने भी एक गाँव को गोद लिया और कुपोषण उन्मूलन के लिए न्यूट्री-गार्डन के विकास, न्यूट्री-किट के वितरण आदि जैसे कार्यक्रम शुरू किया ।