बिहार की सत्ता हड़पने वाली भाजपा को मिलेगा करारा जवाब : वाम दल
सामाजिक न्याय के एजेंडे को बेपटरी करने की भाजपा की साज़िश और नीतीश कुमार का आत्मसमर्पण निंदनीय
स्टेट डेस्क/पटना:बिहार के तीन प्रमुख वाम दलों की आज माले विधायक दल कार्यालय, वीरचंद पटेल में बैठक हुई. बैठक की अध्यक्षता माले के राज्य सचिव कुणाल ने की. बैठक में सीपीआई के राज्य सचिव का. रामनरेश पांडेय, का. जानकी पासवान और का. सूर्यकांत पासवान; सीपीआई (एम) के राज्य सचिव का. ललन चौधरी, का. अरूण कुमार मिश्रा व का. सर्वोदय शर्मा तथा माले की ओर से का. कुणाल के अलावा का. धीरेन्द्र झा व का. केडी यादव उपस्थित थे.
वाम दलों ने कहा कि मोदी शासन द्वारा जनता के हर तबके के अधिकारों, लोकतंत्र, संविधान और देश के संघीय ढांचे पर पर बढ़ते फासीवादी हमले के खिलाफ वाम दल लोकतंत्र व संविधान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं. आगामी चुनाव में देश की जनता ऐसे फासीवादी शासन का निश्चित रूप से अंत करेगी.
भाजपा द्वारा ईडी व सीबीआई के जरिए विपक्षी दलों व सरकारों को अस्थिर करने की लगातार साजिशें रची जा रही हैं और तमाम संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता आज लगभग खत्म कर दी गई है. बिहार की सत्ता हड़पने की उसकी बेचैनी तो जगजाहिर थी. कर्नाटक, झारखंड, दिल्ली, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में भी वह विपक्षी नेताओं को लगातार निशाने पर रखी हुई है और विपक्ष की सरकरों के साथ भेदभाव कर रही है. भाजपा के इन कारनामों को देश की जनता देख समझ रही है और उसने आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को करारी शिकस्त देने का मन बना लिया है.
बिहार में 17 महीने की महागठबंधन सरकार ने जाति सर्वेक्षण, दो लाख से अधिक स्थायी शिक्षकों की बहाली, स्कीम वर्करों के मानदेय में वृद्धि सहित कई अन्य महत्वपूर्ण कदम उठाए, लेकिन नीतीश कुमार ने सामाजिक न्याय से घोर विश्वासघात करके एक बार फिर से भाजपा का दामन थाम लिया. इस विश्वासघात के लिए राज्य की जनता नीतीश कुमार को कभी माफ नहीं करेगी.
12 फरवरी के बाद शिक्षकों, स्कीम वर्करों और रोजगार के व्यापक मुद्दे पर वाम दल एकताबद्ध होकर सदन के अंदर और सदन के बाहर संघर्ष करेंगे. शिक्षा विभाग के अपर सचिव केके पाठक के तुगलकी फरमानों का हम उस वक्त भी विरोध कर रहे थे. हम उनके द्वारा जारी शिक्षक विरोधी फरमानों को बिहार सरकार से अविलंब वापस लेने की मांग करते हैं.
संयुक्त किसान मोर्चा और केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त आह्वान पर 16 फरवरी को हो रही औद्योगिक/सेक्टेरियल हड़ताल व ग्रामीण भारत बंद का वाम दल सक्रिय समर्थन करते हैं. हम चाहते हैं कि 16 फरवरी के कार्यक्रम के पहले महागठबंधन की बैठक आयोजित की जाए और मजबूती के साथ उक्त कार्यक्रम को सफल बनाया जाए. वाम दल भारत के किसानों-मजदूरों की इस संयुक्त पहल को ऐतिहासिक मानते हैं. यह भारत की राजनीति में किसानों-मजदूरों के एक सशक्त हस्तक्षेप है. 16 और 17 फरवरी को हिट एंड रन मामले में ऑल इंडिया रोड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन द्वारा आहूत चक्का जाम का भी वाम दल पूरी तरह से समर्थन करते हैं।