यूपीसीए के निदेशकों की ओर से की जा रही जीएसटी चोरी कि शिकायत एक बार फिर

कानपुर

कानपुर, भूपेंद्र सिंह। उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के पदाधिकारियों और निदेशकों ने केन्द्र सरकार के जीएसटी विभाग को शायद धोखे में रखने का संकल्प ले लिया है। उसको धोखे में रखने के लिए यूपीसीए ने अब जिला क्रिकेट संघों को अपनी ओर खींचने का सफल प्रयास कर लिया है। एक क्रिकेट समर्थक ने जीएसटी विभाग के सबसे बडे अधिकारी को पत्र भेजकर शिकायत भी दर्ज करवायी है जिसमें प्रदेश क्रिकेट की ओर से जीएसटी चोरी करने की बात दोहरायी गयी है।

इसके साथ ही एक बार फिर से मुख्यमंत्री पोर्टल के साथ ही बीसीसीआई अध्यक्ष और सचिव से की जीएसटी चोरी की शिकायत दर्ज करवायी गयी है। शिकायत में साफ तौर पर यह दर्शाया गया है कि प्रदेश क्रिकेट संघ केवल खिलाडियों को रजिस्ट्रे शन केवल अपने पोर्टल पर कर रहा है जबकि शुल्कर जिला संघ के माध्येम से जमा किया जा रहा है।

शिकायतकर्ता ने यह भी दर्शाया है कि प्रदेश संघ जीएसटी के दायरे मे आता है जबकि जिला संघ सोसायटी में पंजीकृत है तो उन्हे इसमें शामिल नही किया गया है। यह साफ तौर पर सरकार को चोट पहुंचाने के इरादे से किया गया है। यही नहीं शिकायतकर्ता ने केंद्र व राज्य सरकार की जीएसटी गवर्निंग काउंसिल से निदेशकों और उसमें संलिप्त पदाधिकारियों को बर्खास्त करने की गुजारिश भी की है।

इसके साथ ही प्रतियोगिता के नाम में खिलाड़ियों के पंजीकरण के नाम पर रुपयों की वसूली करने और जीएसटी विभाग से छिपाने कि शिकायत एक बार फिर से विभाग में दर्ज कराई गई है। इससे पहले दिसंबर में भी जीएसटी चोरी का मामला विभाग में दर्ज कराया गया था जिसका मुकदमा विचाराधीन है।

इस बार कुछ क्रिकेट समर्थकों ने जीएसटी विभाग के साथ ही मुख्युमन्त्री के पोर्टल में भी कर दी है। जिससे यूपीसीए की मुसीबतें बढ भी सकती है। जीएसटी लागू किए जाने के बाद से यह पहला मामला नही है कि संघ के खिलाफ शिकायत दर्ज करवायी गयी हो इससे पूर्व भी शिकायतें दर्ज करवायी जा चुकी और महाप्रबन्धक स्तर के अधिकारियों से पूछताछ के बाद उसकी भरपायी भी करवा दी गयी है। यही नहीं उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ने प्रदेश के सभी जिला संघों को अपना लोगो भी उपयोग व प्रयोग न करने की सख्त हिदायत दी है।

मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत कर्ताओं ने जीएसटी हेराफेरी करने के सभी आंकड़ों को दर्शाया है जिससे यह मामला और भी गंभीर दिखाई देने लगा है।पत्र में अधिकारियों से अनुरोध किया गया है की यूपीसीए एवं उनके सभी डायरेक्टरों से जीएसटी की वसूली की जाए और इन सब के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाए ।

गौरतलब है कि प्रदेश संघ कहीं-कहीं पर जिला संघ खिलाड़ियों से 400 से ₹500 भी वसूल रहे हैं जबकि यूपीसीए ने जिला संघों को ₹300 प्रति व्यक्ति वसूलने के लिए लिखित रूप से निर्देशित किया है। बताते चलें उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन से सम्बद्ध विभिन्न जिलों में सत्र 2023- 24 के लिए खिलाडियों की पंजीकरण प्रक्रिया हेतु जिला संघ के अध्यक्ष एवं सचिवों से अनुरोध किया गया था कि अपने जिलों से सम्बन्धित पंजीकरण फॉर्म का मुद्रण स्वयं करवाये ये बात अलग है कि संघ ने फॉर्म का सैम्पल सभी जिला संघों को भेज दिया था।

इससे भी अलग यह बात है कि निदेशकों की ओर से जीएसटी चोरी की जा रही है जो शासन को आर्थिक चोट पहुंचाने का काम कर रहे हैं। जीएसटी गवर्निंग काउंसिल को चाहिए कि पारदर्शी तरीके से संघ के सभी निदेशकों की और उसमें संलिप्त पदाधिकारियों की जांच हो और कोई भी दोषी पाया जाए उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाए। इस मामले में जीएसटी विभाग के एडिशनल कमिश्नर प्रदीप सिंह के बताया कि अगर कोई भी संस्था सरकार के नियमों के अधीन कर चोरी के दायरे में आता है तो उससे शुल्क वसूली अवश्य करवायी जाएगी । इसके लिए किसी को भी छूट देने का प्रावधान नही है।