बिहारः 16 अगस्त सन 42 को डुमरांव में एक साथ एक ही स्थल पर चार वीर सपूत हुए थे शहीद..

बक्सर

बक्सर/विक्रांत। मां मैंने पीठ पर नहीं,सीने पर गोली खाई। बिहार प्रांत के पटना के बाद डुमरांव में मातृभूमि को अंग्रेजांें की गुलामी से मुक्ति दिलाने के लिए सन् 42 के 16 अगस्त को एक साथ एक ही स्थान पर चार वीर सपूतों ने अंग्रेजी शासन के दारोगा की सीने पर गोली खाकर अमर शहीद हो गए थे।

बात उन दिनों की है जब 15 अगस्त सन् 42 की संध्या बेला में डुमरांव के स्वतंत्रता आंदोलन के सेनानियों को इस बात की जानकारी हुई कि महात्मा गांधी के निजी सचिव मनमोहन देसाई का नई दिल्ली स्थित आगा खां महल में हो गया।इस खबर को पाते ही स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों द्वारा अगले दिन सन् 42 के 16 अगस्त को डुमरांव नगर के पूर्वी अतिंम छोर पर अवस्थित कांव नदी के तट पर एक शोक सभा का आयोजन किया गया।

आयोजित शोक सभा में हजारो की तायदाद में आजादी के दीवानों की भीड़ जमा हो गई। शोक सभा समापन के बाद आजादी के दीवानों ने ब्रिटीश शासन के डुमरांव पुराना थाना (अब शहीद पार्क) पर तिरंगा झण्डा लहराने को ठान ली। भारत माता की जय।अग्रेंजो भारत छोड़ो का नारा लगाते हुए डुमरांव थाना की ओर कूच कर गए।

उधर,ब्रिटीश हुकूमत के थानेदार देवनाथ सिंह को सूचना मिल गई कि आंदोलनकारियो का हुजूम थाना की तरफ बढ़ रहा है। थानेदार दल बल के साथ सर्तकता के साथ स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों के हुजूम से निपटने को लेकर तैयार हो गया। आजादी के दीवानों का हुजूम धीरे-धीरे भारत माता की जयघोष करते हुए थाना के निकट पंहुच गया।

थाना से कुछ ही दूरी पर आजादी के दीवानों का हुजूम पंहुचा कि ब्रिटीश हुकूमत का थानेदार आजादी के दीवानों के हुजूम को ठहर जाने एवं वापस लौट जाने को आवाज लगाने लगा। लेकिन आजादी के दीवानों का हुजूम ब्रिटीश हुकूमत के थाना पर झण्डा फहरानें को उतावला था। चंद पल के लिए ब्रिटीश पुलिस एवं आंदोलनकारी आजादी के दीवानों के बीच धक्का-मुक्की होना शुरू हो गई।

इसी बीच पूरे जोर शोर के साथ भारत माता की जय, अंग्रेजो भारत छोड़ो का नारा लगाते भीड़ को चिरते हुए वीर सपूत कपिलमुनि थाना की ओर ज्योहि आगे बढ़े। ब्रिटीश हुकूमत के थानेदार ने अपने सर्विस रिवाल्वर से कपिलमुनि के सीने में गोली मार दी।उनके गिरते ही वीर सपूत गोपाल जी, रामदास सोनार एवं रामदास लोहार हाथ में तिरंगा थाम लिए और आगे बढ़े कि उन तीनो जवानो को भी थानेदार ने गोली मार दी।

मौके पर सीने में गोली खाकर चारो वीर सपूत शहीद हो गए। फिर क्या था। भगदड़ मच गई। इस घटना की खबर पूरे पुराने शाहाबाद (अब बक्सर) क्षेत्र में फैल गई। दुसरे दिन 17 अगस्त को कोरान सराय, गोपाल डेरा, ढ़काईच, नावाडेरा, नावानगर, पुराना भोजपुर एवं डुमरांव सहित अन्य कई क्षेत्र के हजारो की तायदाद में आजादी के दीवाने आंदोलनकारियो की भीड़ जुट गई और ब्रिटीश हुकूमत के डुमरांव थाना को आग के हवाले कर दिया।

इस घटना के दौरान ब्रिटीश पुलिस फायरिंग की घटना में करीब डेढ़ दर्जन लोग गंभीर तौर पर जख्मी हो गए। बाद में जख्मी हालत में ईलाज के दरम्यान कई देश भक्त अमर शहीद हो गए। इसका जागता गवाह डुमरांव प्रखण्ड कार्यालय के प्रांगण में मौजूद शहीदो का स्तूप एवं शहीद पार्क के पास मौजूद ‘स्तूप’ है। अमर बलिदानियों के स्तूप के समक्ष आज यानि बलिदान दिवस पर देश भक्त नागरिक श्रद्धासुमन अर्पित करने को बेताब है।

यहां डुमरांव के नामचीन कवि रामेश्वर नाथ तिवारी उर्फ मुफलिस जी द्वारा अमर शहीदों के प्रति रचित एक कविता-निकाला भंवर से जिन्होंने सफीना।बहाया खून का पसीना। वतन के शहीदों को भूलो नहीं तुम। चमकते गगन में जो बन के नगीना…। उल्लेख करना याद आ जाती है।