अगर इस देश में 1857 एवं 1942 नहीं होता तो 1947 नहीं होता : लवली आनंद

शिवहर

शिवहर / प्रतिनिधि। अगर इस देश में 1857 नहीं होता तो 1942 नहीं होता, अगर 1942 नहीं होता तो 1947 भी नहीं होता और फिर न ही हमारा मुल्क आज़ाद हुआ होता। उक्त संबोधन जिले के तरियानी छपरा शहीद स्थल पर तरियानी छपरा के 10 वीर सपूतों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सांसद लवली आनंद ने एक सभा को संबोधित करते हुए कही है।

सांसद ने कहा है कि कहते हैं वह देश मर जाता है जो अपने पुरखों को भूल जाता है।आज हम 1942 अगस्त क्रान्ति के अपने महान योद्धाओं को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करने तरियानी- छपरा की पावन धरती पर इकठ्ठा हुए हैं। धन्य है यह माटी और यहां की माताएं जिनने ऐसे वीर -वान्कुरो‌ं को जन्म दिया।

सांसद लवली आनंद ने उन अमर शहीदों के साथ-साथ इस पूण्य भूमि और यहां की महान माताओं को शत् -शत् नमन की है और कहा है कि मैं यह सन्कल्प लेती हूं कि उनकी यादों को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए मुझे जो भी करना पड़ेगा मैं बढ़ -चढ कर करुंगी।

उन्होंने कहा है कि सभी को मालूम कि मैं और आनंद मोहन जी स्वतंत्रता सेनानी परिवार से हैं लेकिन इस पुनीत अवसर पर मौजूद जिले के आला अधिकारी भी समझ रहे हैं कि अगर ये शहीद नहीं होते तो आज देश गुलाम होता और तब न तो हम एमपी होते न आप सब डीएम, एसपी, डीडीसी, एसडीएम।

उन्होंने कहा है कि इस लिए इस स्मारक को यादगार और पटना के शहीद स्मारक से भी शानदार बनाने केलिए विभिन्न फंडों से हम सब को जो भी करना पड़ेगा शीघ्रातिशीघ्र करेंगे। आज इस स्मारक स्थल पर यह प्रतिज्ञा करें।

ताकि आने वाली पीढ़ियां इन महान सपूतों को न केवल याद करे बल्कि युगों-युगों तक प्रेरणा लें। सांसद ने कहा है कि किसी शायर ने सच कहा है – “शहीदों की चिताओं पर जुड़ेंगे हर बरस मेले, वतन पर मिटनेवालों का यही बाकी निशां होगा।