कार्यशाला में हिंदी भाषा के कई नामचीन हस्तियों ने लिया हिस्सा…
डेस्क/ विक्रांत। पूर्व मध्य रेल मुख्यालय, हाजीपुर में 02 सितम्बर से 25 सितम्बर तक आयोजित राजभाषा पखवाड़ा के दौरान विभिन्न हिंदी प्रतियोगिताओं/कार्यशाला का आयोजन कराया जाएगा. इसी क्रम में गत दो सितम्बर को हिंदी कार्यशाला का आयोजन संपन्न हुआ. इस कार्यशाला में विभिन्न विभागों के कर्मियों ने भाग लिया. उल्लेखनीय है कि इस कार्यशाला के लिए पूर्व मध्य रेल के सभी विभागों को पूर्व में ही सूचित किया गया था. इस कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए डॉ. कंचन कुमारी, सहायक प्रोफेसर, वैशाली महिला कॉलेज, हाजीपुर ने हिंदी भाषा राजभाषा से विश्वभाषा की ओर विषय पर बोलते हुए कहा कि राजभाषा हिंदी के प्रयोग-प्रसार में कार्यशालाओं का महत्वपूर्ण स्थान है.
इस अवसर पर उन्होंने भारत सरकार की राजभाषा नीति-नियमों का उल्लेख किया और बताया कि राजभाषा में कार्य करने के लिए नीति-नियमों को जानना जरूरी है. उनका कहना था कि हमलोग खुशकिस्मत हैं कि हमारी मातृभाषा हिंदी है, परंतु साथ में यह भी सत्य है कि इससे हमारी जिम्मेदारी भी बढ़ती है कि हम अपनी मातृभाषा के प्रयोग-प्रसार में क्या योगदान देते हैं? डॉ. कंचन कुमारी ने शिक्षा में मातृभाषा के महत्व को उजागर किया और बताया कि तमाम अवरोधों के बावजूद हर क्षेत्र में हिंदी आगे बढ़ रही है.
इस अवसर पर सिगनल विभाग के श्री रूपक कुमार, जूनियर इंजीनियर (ड्राइंग), सिगनल विभाग, पूमरे/हाजीपुर ने हिंदी का डिजीटलीकरण विषय पर बोलते हुए कहा कि हिंदी की ध्वनियों, हिंदी की शब्द-संपदा एवं हिंदी भाषा के विकास पर अपने विचारों को रखा. साथ ही प्रशासनिक शब्दों के प्रयोग पर प्रकाश डाला. इस कार्यशाला में विभिन्न विभागों के कर्मियों ने भाग लिया. उल्लेखनीय है कि इस कार्यशाला के लिए पूर्व मध्य रेल के सभी विभागों को पूर्व में ही सूचित किया गया था. इस कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए डॉ. कंचन कुमारी, सहायक प्रोफेसर, वैशाली महिला कॉलेज, हाजीपुर ने हिंदी भाषा राजभाषा से विश्वभाषा की ओर विषय पर बोलते हुए कहा कि राजभाषा हिंदी के प्रयोग-प्रसार में कार्यशालाओं का महत्वपूर्ण स्थान है.
इस अवसर पर उन्होंने भारत सरकार की राजभाषा नीति-नियमों का उल्लेख किया और बताया कि राजभाषा में कार्य करने के लिए नीति-नियमों को जानना जरूरी है. उनका कहना था कि हमलोग खुशकिस्मत हैं कि हमारी मातृभाषा हिंदी है, परंतु साथ में यह भी सत्य है कि इससे हमारी जिम्मेदारी भी बढ़ती है कि हम अपनी मातृभाषा के प्रयोग-प्रसार में क्या योगदान देते हैं? डॉ. कंचन कुमारी ने शिक्षा में मातृभाषा के महत्व को उजागर किया और बताया कि तमाम अवरोधों के बावजूद हर क्षेत्र में हिंदी आगे बढ़ रही है.
इस अवसर पर सिगनल विभाग के श्री रूपक कुमार, जूनियर इंजीनियर (ड्राइंग), सिगनल विभाग, पूमरे/हाजीपुर ने हिंदी का डिजीटलीकरण विषय पर बोलते हुए कहा कि हिंदी की ध्वनियों, हिंदी की शब्द-संपदा एवं हिंदी भाषा के विकास पर अपने विचारों को रखा. साथ ही प्रशासनिक शब्दों के प्रयोग पर प्रकाश डाला. इस कार्यशाला में विभिन्न विभागों के अधिकारियों/कर्मचारियों बड़ी संख्या में उपस्थित थे. इस आशय की जानकारी मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सरस्वती चंद्रा ने विज्ञप्ति के हवाले से दी.