शिवहर/रविशंकर। शिक्षक दिवस के अवसर पर केंद्र व राज्य सरकार द्वारा उत्कृष्ट सेवा देने वाले शिक्षकों को सम्मानित करने की परंपरा रही है, इनमें राष्ट्रीय और राजकीय पुरस्कार दिया जाता रहा है, किंतु शिवहर जिले के श्री नवाब उच्च विद्यालय के सेवानिवृत्त शिक्षक श्री नागेंद्र साह जी वर्ष 2005 में ही सेवानिवृत हुए और तब से लगातार खराब स्वास्थ्य रहने के बावजूद भी नियमित रूप से आज भी श्री नवाब उच्च विद्यालय में बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दान कर रहे हैं , जो कि शिक्षक और समाज के लिए अनुकरणीय और प्रेरणादायक है।
फिर भी ऐसे बेमिसाल शिक्षक को राजकीय सम्मान नहीं दिया अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण है । उक्त बातें शिक्षक न्याय मोर्चा के प्रदेश महासचिव अभय कुमार सिंह ने बयान जारी कर कहा। उन्होनें कहा कि ऐसे शिक्षक जो कि सेवानिवृत्ति के बाद 79 वर्ष के उम्र में भी विगत 19 वर्षों से अबतक निःशुल्क शिक्षा दान कर रहें है, यह वाकई राज्य व सरकार के लिए नजीर है । उन्होनें कहा कि नागेंद्र बाबू के पढाये हुए हजारों शिष्य आज विभिन्न पदों पर कार्यरत है और विभिन्न क्षेत्रों में सेवा दे रहे हैं ।
किंतु यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे शिक्षा के मिसाल की तरफ शिक्षा विभाग या सरकार की नजर अब तक नहीं गई है और आज तक उन्हें राष्ट्रीय या राजकीय पुरस्कार से नवाजने की जहमत नहीं उठाई गई है। जबकि वर्ष 2017 में शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षक न्याय मोर्चा द्वारा आयोजित शिक्षक सम्मान समारोह में नागेंद्र बाबू को ” लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार ” से सम्मानित किया गया था तथा राज्य सरकार से उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार देने की मांग की गई थी ।
उक्त अवसर पर पूर्व सांसद लवली आनंद , तत्कालीन जिलाधिकारी राजकुमार, आरक्षी अधीक्षक प्रकाश नाथ मिश्रा ,एसडीओ आफाक अहमद समेत जिले के कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे और तत्कालीन जिलाधिकारी ने उन्हें राजकीय पुरस्कार दिलाने का भरोसा दिलाया था । लेकिन आज तक भी शिक्षा विभाग या सरकार इनकी सुधि लेने को तैयार नहीं है । जबकि पुनः 2022 में भी शिक्षक दिवस के अवसर पर मोर्चा द्वारा सेवानिवृत्त शिक्षक नागेंद्र साह एवं रूपनारायण मिश्रा को अति विशिष्ट सम्मान से नवाजा गया था।
इनके अतिरिक्त 27 सेवानिवृत शिक्षकों एवं 25 प्रधानाध्यापकों तथा 50 उत्कृष्ट सेवा देने वाले शिक्षकों को सम्मानित किया गया , लेकिन आज तक शिक्षा विभाग या सरकार द्वारा जिले के किसी भी शिक्षक को सम्मानित नही किया जाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। यह शिक्षा विभाग एवं सरकार की उदासीनता एवं लापरवाही को उजागर करता है । यह शिक्षा और शिक्षक के लिए बेहद निराशाजनक स्थिति है।