नालंदा में बेबी कॉर्न की फसल से यहां के किसानों में खुशी की लहर

नालंदा

– 100 एकड़ के लिए बीच का हुआ वितरण, 45 एकड़ में बेबी कॉर्न फसल की हो रही है पैदावार: परियोजना निदेशक आत्मा अविनाश कुमार

Biharsharif/Avinash pandey: भारत में कृषि क्षेत्र में तेजी से विस्तार हो रहा है।आजकल के इस अर्थयुग में हर कोई कमाई के मामले में आगे बढ़ाने की सोच रखता है। अगर आप भी खेती के जरिए मोटी कमाई करना चाहते हैं तो आज हम आपको एक ऐसी फसल का नाम बता रहे हैं, जिसे साल में 3 से 4 बार उगा सकते हैं।

हम बात कर रहे हैं बेबी कॉर्न की। बेबी कॉर्न में ढेर सारे पोषक तत्व मौजूद रहते हैं। लिहाजा उसकी बंपर डिमांड है। बेबी कॉर्न की खेती साल भर की जा सकती है। मक्का के अपरिपक्व भुट्टे को बेबी काॅर्न कहते हैं। इसकी खेती साल में तीन से चार बार कर सकते हैं।

फसल को पूरी तरह से तैयार होने में 40 से 50 दिन का समय लगता है। इससे किसानों के लिए एक बड़े फायदे का सौदा हो सकता है। बेबी कॉर्न में कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन होता है। वहीं इसे कच्चा या पका कर भी खाया जा सकता है।

बेबी कार्न के सीट पर सरकार दे रही है 50% की सब्सिडी
बेबी कॉर्न के फसल की पैदावार बेहतर करने को लेकर बिहार सरकार इसके बीज पर 50% की सब्सिडी किसानों को दे रही है। नालंदा के परियोजना निदेशक आत्मा अविनाश कुमार ने बताया कि कृषि विभाग द्वारा नालंदा के 100 एकड़ के भू-भाग पर बेबी कॉर्न की फसल को लेकर 475 केजी के हिसाब से बीज का वितरण किया गया है। फिलहाल नालंदा में 45 एकड़ के बड़े भू-भाग पर बेबी कॉर्न की फसल तैयार हो रहा है।

उन्होंने बताया कि धान की तुलना में बेबी कॉर्न यथाशीघ्र परिणाम देना शुरू कर देता है। अगर बेबी कॉर्न की फसल एक एकड़ में लगाया जाए तो इससे करीब 3000 केजी बेबी कॉर्न का उत्पादन किया जा सकता है। फिलहाल नालंदा में करीब 1300 किसानों के बीच बेबी कार्न के बीज का वितरण किया जा चुका है।

किसानों को दिया जा रहा है प्रशिक्षण
परियोजना निदेशक नालंदा आत्मा अविनाश कुमार ने बताया कि विभाग की ओर से बेबी कॉर्न की फसल के पैदावार से संबंधित चौपाल के माध्यम से प्रशिक्षण देने का कार्य चल रहा है। प्रशिक्षण में मुख्य रूप से बेबी कॉर्न की फसल का देखभाल कैसे हो, फसल के लिए पानी की उपलब्धता कितनी होनी चाहिए सहित अन्य बातों की जानकारी दी जाती है। उन्होंने बताया कि इसके लिए बेबी कॉर्न स्वीट कार्न के नाम से एक व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाया गया है। इस ग्रुप में करीब 500 किसान शामिल हैं