अशोक “अश्क” भारतीय रेल में इस्तेमाल होने वाले बेडरोल कंबलों की सफाई को लेकर पिछले कुछ दिनों से विवाद उठ खड़ा हुआ है। कांग्रेस ने इस मुद्दे को संसद में उठाया, और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के जवाब के बाद रेलवे को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। मंत्री ने कहा था कि कंबल हर महीने कम से कम एक बार धुलवाए जाते हैं।
इसके बाद, कई लोगों ने सफाई की गुणवत्ता और हाइजीन को लेकर सवाल उठाए, क्योंकि एक महीने में 30 से ज्यादा यात्री एक ही कंबल का उपयोग करते हैं। विवाद बढ़ने के बाद रेलवे ने सफाई प्रक्रिया में सुधार की घोषणा की है। अब रेलवे का कहना है कि 2016 से कंबल की धुलाई महीने में दो बार की जाती है। इसके अलावा, ट्रेनों में यात्रियों को नई, आरामदायक चादरें, उच्च गुणवत्ता के कंबल और सफाई के उच्च मानक प्रदान किए जा रहे हैं।
अब रेलवे ने हर ट्रिप के बाद कंबल को यूवी (यूवी) सेनेटाइजेशन प्रक्रिया से गुजरने की शुरुआत भी की है, जो एक अत्याधुनिक सफाई तकनीक है। रेलवे ने यह भी बताया कि लेनिन की सफाई हर उपयोग के बाद की जाती है, और इसे विशेष मैकेनिकल लॉन्ड्री में किया जाता है, जो सीसीटीवी निगरानी में होती है। अधिकारियों और पर्यवेक्षकों द्वारा समय-समय पर आकस्मिक निरीक्षण भी किए जाते हैं।
सफाई के बाद लेनिन की सफेदी मीटर से जांची जाती है, और तभी उसे यात्रियों को दिया जाता है। रेलवे ने बताया कि पहले, यानी 2010 से पहले, कंबलों की सफाई हर दो-तीन महीने में एक बार होती थी, लेकिन अब यह हर महीने दो बार की जा रही है। इसके अलावा, नेफ्थलीन वेपर और हॉट एयर क्रिस्टलाइजेशन की प्रक्रिया को भी अपनाया जा रहा है, जो सफाई के लिए एक प्रभावी और परीक्षण-युक्त तरीका है।
उत्तर रेलवे ने यह भी घोषणा की कि राजधानी और तेजस जैसी प्रमुख ट्रेनों में उच्च गुणवत्ता वाली लेनिन और कंबल का उपयोग किया जा रहा है। इन कंबलों का आकार बड़ा और फैब्रिक बेहतर है, जिससे यात्रियों को अधिक संतोषजनक अनुभव मिल सके। साथ ही, यूवी सैनिटाइजेशन की प्रक्रिया को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया गया है, जिसे भविष्य में अन्य ट्रेनों में भी अपनाया जाएगा।