स्टेट डेस्क/पटना: भाकपा (माले) के राज्य सचिव कुणाल ने बिहार सरकार के वरिष्ठ मंत्री विजय चौधरी के उस बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है, जिसमें उन्होंने बीपीएससी पीटी परीक्षा को सभी केंद्रों पर पुनः आयोजित करने की मांग खारिज कर दी है.

उन्होंने कहा कि मंत्री का यह बयान बीपीएससी के अड़ियल रुख का समर्थन करता है और यह स्पष्ट करता है कि राज्य सरकार लाखों युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है.
कुणाल ने आगे कहा कि बीपीएससी परीक्षा में समान अवसर सुनिश्चित करने की मांग को लेकर आंदोलनरत अभ्यर्थियों की मांग पूरी तरह जायज है. उन्होंने सरकार पर बर्बरता की सारी हदें पार कर देने का आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए. उनका रवैया सरकार के घोर अहंकार को दर्शाता है.
कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा के रास्ते पर चलते हुए न्यायपूर्ण मांगों को कुचलने के लिए क्रूर दमन का सहारा लिया है. नीतीश कुमार शायद यह भूल रहे हैं कि वे खुद 1974 के छात्र आंदोलन की उपज हैं. बिहार की जनता ने हमेशा तानाशाही के खिलाफ लड़ाई लड़ी है और इस बार भी ऐसा ही होगा.
राजभवन मार्च के दौरान वाम दलों और कांग्रेस के सांसदों, विधायकों और विधान पार्षदों के साथ पुलिस के अपमानजनक रवैये की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि लोकतांत्रिक आंदोलनों को दबाने का प्रयास सरकार की तानाशाही सोच को दर्शाता है.
उन्होंने कहा कि अगर सरकार सकारात्मक कदम नहीं उठाती है, तो तानाशाही और सत्ता के क्रूर दमन के खिलाफ नए साल में न्याय और लोकतंत्र की लड़ाई को आगे बढ़ाने के संकल्प के साथ भाकपा (माले) अन्य संगठनों के साथ आंदोलन को और बड़े स्तर पर ले जाएगा.