पटना, अशोक “अश्क” सुप्रीम कोर्ट ने 70वीं बिहार लोक सेवा आयोग प्रारंभिक परीक्षा में कथित गड़बड़ियों से संबंधित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। अदालत ने याचिकाकर्ता को इस मामले को पटना हाई कोर्ट में ले जाने का निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने कहा कि इस प्रकार के मामलों में स्थानीय न्यायालय बेहतर और प्रभावी मंच हो सकता है।
बेंच में जस्टिस संजय कुमार और के. वी. विश्वनाथन भी शामिल थे। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि 13 दिसंबर को आयोजित बीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा में व्यापक अनियमितताएं हुईं। इनमें पेपर लीक, परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी और अन्य खामियां शामिल हैं, जिससे हजारों अभ्यर्थियों को नुकसान हुआ।
याचिका में बिहार पुलिस पर प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बर्बर लाठीचार्ज का भी आरोप लगाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह छात्रों और प्रदर्शनकारियों की भावनाओं को समझता है, लेकिन प्रथम स्तर पर इस मामले की सुनवाई हाई कोर्ट में अधिक उपयुक्त होगी। मुख्य न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता को संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत पटना हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की सलाह दी।
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि यह घटना पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के आवास के पास हुई थी, और कोर्ट को इसका स्वत: संज्ञान लेना चाहिए था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को अस्वीकार करते हुए याचिका पर आगे सुनवाई करने से मना कर दिया।