पटना, अशोक “अश्क” बीपीएससी 70वीं पीटी री-एग्जाम और पटना में छात्र-छात्राओं पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में पूर्णिया के निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने बिहार बंद का ऐलान किया है। इस बंद के तहत पप्पू यादव के नेतृत्व में छात्र युवा शक्ति के कार्यकर्ताओं ने राज्य के विभिन्न जिलों में प्रदर्शन किया। पटना में इसका सबसे ज्यादा असर देखा गया, जहां प्रदर्शनकारियों ने जगह-जगह सड़कों पर जाम लगाया और गाड़ियों में तोड़फोड़ की।

पप्पू यादव इस दौरान कफन ओढ़कर पटना की सड़कों पर उतरे और लोगों से बंद को सफल बनाने की अपील की। उन्होंने कहा, जब बच्चों के करियर का राम नाम सत्य हो रहा है, तो बिहार सरकार का भी राम नाम सत्य हो जाना चाहिए। प्रदर्शनकारियों ने पटना के डाकबंगला चौराहे, अशोक राजपथ और कई अन्य जगहों पर टायर जलाकर यातायात बाधित किया।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पटना मेट्रो निर्माण में लगे कई वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया। बंद का असर रेलवे पर भी देखा गया। समस्तीपुर में छात्र युवा शक्ति के कार्यकर्ताओं ने दिल्ली जाने वाली वैशाली एक्सप्रेस समेत कई ट्रेनों को रोक दिया, जिससे करीब आधे घंटे तक ट्रेन परिचालन बाधित रहा।
प्रदर्शनकारियों ने रेलवे ट्रैक पर बैठकर नारेबाजी की और री-एग्जाम की मांग उठाई। बंद के दौरान पटना और अन्य जिलों में पप्पू यादव के समर्थकों ने कई हिंसक गतिविधियां की। पटना में प्रदर्शनकारियों ने गाड़ियों के शीशे तोड़े और अशोक राजपथ पर दुकानों में तोड़फोड़ की।
दुकानदारों से जबरन बंद करवाने की कोशिश की गई। प्रदर्शन के दौरान पुलिस से धक्का-मुक्की और झड़पें भी हुईं। गया जिले में भी मुख्य मार्गों पर जाम लगाकर प्रदर्शन किया गया। युवाओं ने टायर जलाकर विरोध जताया, जिससे यातायात बाधित हुआ। राज्य के अन्य हिस्सों में भी बंद का व्यापक असर देखने को मिला।
पटना में बंद के दौरान पप्पू यादव ने कहा कि यह आंदोलन छात्रों और युवाओं के भविष्य को बचाने के लिए है। उन्होंने दावा किया कि बिहार की जनता उनके इस आंदोलन को समर्थन दे रही है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि बंद के दौरान सड़क और रेल जाम न करने की बात कही गई थी, लेकिन कुछ जगहों पर यह बात नहीं मानी गई।
पप्पू यादव ने बिहार सरकार और प्रशासन पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है। उन्होंने बीपीएससी री-एग्जाम कराने की मांग की नहीं तो आंदोलन और तेज करने की चेतावनी दी। बंद के दौरान हुई हिंसा और तोड़फोड़ को लेकर प्रशासन की निष्क्रियता पर भी सवाल उठ रहे हैं। कई जगहों पर पुलिस मूकदर्शक बनी रही, जबकि प्रदर्शनकारियों ने खुलेआम कानून तोड़ा।