यादवों को तेजस्वी की नसीहत सामंत नहीं, सामाजिक न्याय के अगुवा बनिए, अतिपिछड़ों -दलितों को गले लगाइए!

पटना

जननायक कर्पूरी ठाकुर की 101वीं जयंती पर मधुबनी के फुलपरास में राजद का जुटान

मंगनीलाल मंडल ने कहा,अतिपिछड़ों ने 15-20 साल तक अपना बहुत अहित किया है,अब एकजुट होकर लड़ने का वक्त

हेमंत कुमार : नेता प्रतिपक्ष और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कर्पूरी जयंती के अवसर पर मधुबनी जिले के फुलपरास में पिछड़ों,अतिपिछड़ों और दलितों को एकजुट होने का आह्वान किया। यादव बिरादरी के लोगों से अतिपिछड़ा,दलित और अल्पसंख्यक समाज के लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने की सलाह दी। तेजस्वी ने कहा, यादव भाई सामंती मत बनिए, सामाजिक न्याय के अगुवा बनिए।

यादवों ने जननायक कर्पूरी ठाकुर, चौधरी चरण सिंह, वीपी सिंह को अपना नेता माना। उनका नेतृत्व स्वीकार किया। हमारे पिता लालू यादव कहा करते हैं, पिछड़ों का इंजिन यादव है। बाकी सब बोगी है। सबको जोड़कर साथ लेकर आगे चलना है। लालू जी ने अतिपिछड़ा समाज के रामदेव भंडारी जी को एमपी बनाया।

भंडारी जी 18 साल तक राज्यसभा के एमपी रहे। लालू जी ने अमात जाति को 93 में अति पिछड़ा में शामिल करवाया। राजद ‘माई’ और ‘बाप’ की पार्टी है। आप लोग सबको सम्मान दीजिए। सबको साथ लेकर चलिए। इस बार अच्छे ब्रांड का बीज डालिए। ताकि फसल अच्छी हो। सब लोग मिलकर रहिए।

तेजस्वी ने टिकट वितरण में पिछले चुनावों में हुई भूल की ओर इशारा करते हुए कहा, इस बार टिकट ठोक-ठठा कर बांटेंगे। जो जनता में काम करेगा। सुख- दुख में जनता के साथ रहेगा। उसी को टिकट मिलेगा। हम किसी नेता के कहने पर टिकट नहीं देंगे।
तेजस्वी ने नीतीश के नेतृत्व वाली भाजपा जेडीयू सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, इस बेईमान सरकार को हटाना है।
हमारे पास विजन‌ है । बदलाव का रीजन है। ब्लू प्रिंट है।
नफरत और हिंसा फैलानी वालों से नौकरी मांगिए। भाजपा वाला आपके बीच हिंदू-मुसलमान करने आयेग तो कहिएगा नौकरी दो। महंगाई कम करो। भ्रष्टाचार दूर करो। शिक्षा विभाग के एक छोटे अधिकारी के पास दो करोड़ रुपया मिला है तो बड़ा अधिकारी के पास कितना मिलेगा, इसकी कल्पना कीजिए। बिहार में भ्रष्टाचार और सरकारी खजाने की लूट मची हुई है। डबल इंजिन भ्रष्टाचार का इंजिन बन गया है। दो दो सौ राउंड फायरिंग होती है। कोई कुछ नहीं करता है। फायरिंग करने वाला इंटरव्यू देता रहता है।
बड़ी खुशी की बात है मंगनीलाल मंगल जी अपने पुराने घर लौटे हैं। बड़ी संख्या में लोग उनके साथ पार्टी में आये हैं। कर्पूरी जी के सपनों को पूरा करने में जो कुरबानी देनी होगी। मैं देने को तैयार हूं। मेरा जन्म वेटरनरी कालेज में घर में ही हुआ था। अस्पताल में नहीं हुआ था। हमारे पिता कर्पूरी जी के बारे में हमें बताते रहते हैं। वह जब भी हमारे घर आते थे तो हमारी मां खाना बनाकर उनको खिलाती थी। कर्पूरी जी ने हमारे पिता की गोद में अंतिम सांस ली थी।
कर्पूरी जी ने 1977 में पिछड़ों , अतिपिछड़ों, महिलाओं और सामान्य वर्ग के गरीबों को 26 प्रतिशत आरक्षण दिया। जिसमें 20प्रतिशत ( 12 अतिपिछड़ा , 8 पिछड़ा , 3 महिला और 3 सामान्य वर्ग) का आरक्षण था।

लालू जी और राबड़ी जी ने अतिपिछड़ों का आरक्षण क्रमशः 14 परसेंट और 18 परसेंट किया। तबसे अब तक उसे बढ़ाया नहीं गया है। हमारी 17 माह की सरकार में जाति सर्वे कराकर आरक्षण 65 परसेंट बढाया गया। उस पर कोर्ट ने रोक लगा दी। इस साज़िश में भाजपा के लोग शामिल थे। पंचायत में आरक्षण का फार्मूला लालू जी ने बनाया था। उस वक्त भी कोर्ट में जाकर उस पर रोक लगवा दिया गया था।

कर्पूरी जी ने आरक्षण दिया तब उनकी मां – बहन को गालियां दी गयी। कर्पूरी जी को गालियां देने वाले। उनकी सरकार गिराने वाले आज उनके नाम का जयकारा लगाते हैं। उनको भारत रत्न दिये जाने को लेकर वाह-वाही करते हैं। जबकि हकीकत यह है कि कर्पूरी जी को भारत रत्न देने की पहली मांग लालू जी ने की थी।
नीतीश जी उनके साथ हैं जो लोग कर्पूरी जी को गाली देते थे। सांप्रदायिक शक्तियों को रोकने कै लिए हमलोगों ने नीतीश जी को मुख्यमंत्री बनाया। कहते हैं अति पिछड़ा पिछड़ा समाज लालू से नाराज़ हैं। मैं कहता हूं कभी नहीं नाराज़ हैं। हम भी भाजपा से हाथ मिलाकर मुख्यमंत्री बन जाते । लेकिन ऐसा नहीं किया। आप लोग बताइए गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई कोई मुद्दा है या नहीं?
अगर आप लोग हमारी सरकार बनवाइएगा तो हर महिला के खाते में 25 हजार देंगे। हमने 17 माह में 5 लाख नौकरियां दी। थी। 3.50 लाख नौकरियां प्रक्रियाधीन कराई थ । हमारी सरकार झारखंड में है। वहां लागू कर दिया। कमाई कुछ नहीं है। खर्चा बहुत बढ़ गया। हम माई बहन मान योजना लागू करेंगे। दो सौ यूनिट फ्री बिजली देंगे। 1500 वृद्धावस्था पेंशन देंगे।
जननायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती के मौके पर राष्ट्रीय जनता दल ने शुक्रवार को मधुबनी जिले के फुलपरास में अतिपिछड़ों की बड़ी गोलबंदी की। गोलबंदी का संदेश कितना विस्तृत था ,इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि नवादा के अशोक महतो अपनी पत्नी अनिता देवी के साथ पहुंचे थे। अनिता लोकसभा चुनाव में मुंगेर से राजद की उम्मीदवार थी। उनको चुनाव लड़ाने के लिए अशोक महतो और अनिता की खरमास में शादी करवाई गयी थी। कटिहार , पूर्णिया,अररिया और किशनगंज से भी लोग पहुंचे थे।

मधुबनी जिले का फुलपरास क्षेत्र। जननायक कर्पूरी ठाकुर ने 1977 में इस क्षेत्र का बिहार विधानसभा में प्रतिनिधित्व किया था। कर्पूरी जी जनता पार्टी सरकार में मुख्यमंत्री बने थे।
आर्थिक रूप से कमजोर, लेकिन राजनीतिक तौर पर बेहद जागरूक मिथिलांचल का फुलपरास देश के मानचित्र पर चर्चित हो गया। जब कभी कर्पूरी जी की चर्चा होती है तो फुलपरास को भी याद किया जाता है। साहित्यकार और राजनीतिक – सामाजिक चिंतक शंकर प्रलापी उन दिनों को याद करते हुए कहते हैं, उस चुनाव में कर्पूरी जी 64 हजार से अधिक से मतों से जीते थे। कर्पूरी जी समस्तीपुर से लोकसभा का चुनाव जीते थे। लेकिन इसी बीच उन्हें विधायक दल का नेता चुन लिया गया। वे मुख्यमंत्री बन गये। लिहाजा उन्हें दोनों सदनों विधानसभा या विधान परिषद में से किसी एक सदन का सदस्य बनना अनिवार्य था। उनके लिए कई विधायकों ने अपनी सीट छोड़ने की पेशकश की। कर्पूरी जी ने फुलपरास से चुनाव लड़ने की सहमति दी। फुलपरास के तत्कालीन युवा विधायक देवेंद्र यादव ने इस्तीफा देकर सीट खाली कर दिया। कर्पूरी जी को फुलपरास की जनता ने ऐतिहासिक जीत दिलाई। इसके साथ ही एक गुमनाम इलाका फुलपरास राष्ट्रीय मानचित्र पर ख्यात हो गया। उसी फुलपरास में राजद ने कर्पूरी जी की 101वीं जयंती के मौके पर शुक्रवार को बड़ा जुटान किया। इस मौके पर नेता प्रतिपक्ष पूर्व उपप्रधानमंत्री तेजस्वी यादव भी पहुंचे थे। मंच पर अतिपिछड़ा समाज के बड़े नेता पूर्व मंत्री मंगनीलाल मंडल की उपस्थिति खास थी। अतिपिछड़ा बहुल इलाके में इस आयोजन के जरिए राजद ने अतिपिछड़ों के बीच अपनी खोई जमीन हासिल करने की कवायद शुरू की है। राजद की यह कोशिश कितना रंग लाती है,इस साल बिहार विधानसभा चुनाव में इसकी परीक्षा होगी। बहरहाल, कर्पूरी जयंती पर जुटी भीड़ राजद नेतृत्व को उत्साहित करने वाली थी।

इस मौके पर मंगनीलाल मंंडल ने तेजस्वी को परिवर्तन की लहर का नेता बताती और कहा, बिहार को बदलना है तो सामाजिक न्याय की शक्ति को एकजुट करना होगा।
जो शक्ति लालू जी के समय थी। उस शक्ति को एकत्रित करना है। फुलपरास क्रांति की धरती है। 1977 में पिछड़ों – अतिपिछड़ों- दलितों के बीच से आग निकली थी। उसमें स्वतंत्रता सेनानी थे। समाजवादी नेता थे। नया समाज बनाने और गरीबों का राज बनाने का जुनून था।
मंडल ने कहा , अति पिछड़ा समाज ने 15 -20 साल तक अपना बहुत अहित किया है। लालू जी की सरकार आयी तो पिछड़ों- अतिपिछड़ा -दलितों के मुंह में आवाज आयी। चौक चौराहों पर बैठने का अवसर मिला। पहले जो लोग उन्हें रोकते थे। उनका रवैया बदल गया।
समय आ गया है, हम बंटेंगे तो मरेंगे। बंटेंगे तो अपमानित होंगे। बंटेंगे तो अधिकार से हाथ धोयेंगे।अभी बोली कहां चली गयी। खाई को नहीं पाटोगे तो सम्मान नहीं मिलेगा। अधिकार नहीं मिलेगा। आरक्षण नहीं मिलेगा। पिछड़ा अतिपिछड़ा दलित एक हो जाओ कर्पूरी जी का राज लौट आयेगा।
कर्पूरी ठाकुर की सरकार 22 माह में गिरा दी गयी। क्योंकि उन्होंने आरक्षण दिया था। वोट का राज मतलब छोटे का राज।
होता है। जिसमें पिछड़ा , अतिपिछड़ा दलित सब शामिल हैं।
भगवान मिलते हैं भक्ति से लेकिन अधिकार मिलता है शक्ति से। अपनी शक्ति पहचानिए। एकजुट होइए।
वोट हमारा, राज भी हमारा। मंडल ने नीतीश सरकार पर तंज कसते हुए कहा, वोट हमारा और राज साढ़े तीन आदमी का! नहीं चलेगा। सम्मान भी नहीं,अधिकार भी नहीं।
उन्होंने कहा, कर्पूरी ठाकुर को जब दिल का दौरा पड़ा तो जिस गाड़ी में उन्हें ले जाया गया । उसमें लालू जी बैठे थे। लालू जी की गोद में कर्पूरी जी का सिर था। उन्होंने लालू जी की गोद में अंतिम सांस ली।