गिरियक पर्वत श्रृंखला में पुरातात्विक पुनर्विलोकन, मिला प्राचीन जल भंडारण टैंक

पटना

पटना, अशोक “अश्क” भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की एक विशेषज्ञ टीम ने गुरुवार को गिरियक पर्वत श्रृंखला का पुनर्विलोकन किया। यह सर्वेक्षण 2009 के बाद किया गया है और इस दौरान कई नई पुरातात्विक संरचनाओं का पता चला। टीम का नेतृत्व कर रहे अधीक्षण पुरात्विद सुजीत नयन ने बताया कि गिरियक स्तूप की मरम्मत, साफ-सफाई और अन्य गतिविधियों की शुरुआत की जाएगी।

इसके अलावा, एक प्राचीन जल भंडारण टैंक भी खोजा गया है, जिसे पत्थर से तराशकर बनाया गया है। यह टैंक साइक्लोपियन वॉल के समीप स्थित है, जो इसके पुरातात्विक महत्व को और बढ़ाता है। गिरियक पर्वत श्रृंखला में स्थित यह जल टैंक करीब 50 वर्गमीटर का है और इसके पास एक बौद्ध मठ मंदिर की विशाल संरचना भी पाई गई है, जिसका क्षेत्रफल लगभग 100 वर्गमीटर है।

यह मठ लगभग 100 फुट ऊंचा प्रतीत होता है। इसके पीछे घोड़ा कटोरा पहाड़ी झील और सामने पंचाने नदी का दृश्य दिखाई देता है, जो इस स्थल को एक आकर्षक पर्यटन स्थल बनाता है। सुजीत नयन ने इस स्थल की तुलना स्विट्ज़रलैंड से की और कहा कि इस स्थल का प्राकृतिक सौंदर्य दर्शकों को अपनी ओर खींचता है।

इसके अलावा, नयन ने बताया कि 2009 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में इस क्षेत्र के विकास पर चर्चा की गई थी, जब इस स्थल को बिहार के स्विट्ज़रलैंड के रूप में संदर्भित किया गया था। गिरियक पर्वत श्रृंखला में स्थित इंद्रशाल गुहा भी ऐतिहासिक महत्व रखता है, जहां भगवान बुद्ध और इंद्र के बीच शास्त्रार्थ हुआ था।

टीम ने यहां की खुदाई से पाषाण काल से लेकर मुग़ल काल तक के अवशेषों को खोजा है, जिससे यह स्थान इतिहास और संस्कृति का अद्वितीय गवाह बन गया है। पुरातात्विक दृष्टि से इस क्षेत्र का प्राचीन नाम गिरिव्रज था। सुजीत नयन ने कहा कि इस क्षेत्र के संरचनाओं और अवशेषों की मरम्मत और संरक्षण एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, जिसे शीघ्र पूरा किया जाएगा।

इस पुनर्विलोकन में बिहार विरासत समिति के विशेषज्ञ राधा क्रिस्टो, सहायक पुरातात्विक अभियंता राजगीर भानु प्रताप सिंह और कंजर्वेशन असिस्टेंट इंचार्ज अमृता झा सहित अन्य विशेषज्ञ भी शामिल थे।