हेमंत कुमार/पटना : तेजस्वी यादव रविवार को तेली हुंकार रैली में मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे थे। पटना के मिलर हाई स्कूल मैदान में इसका आयोजन बिहार तैलिक साहू समाज के बैनर तले किया गया था। तेली बिरादरी भाजपा समर्थक और कट्टर मोदी भक्त मानी जाती है। खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर इस जाति के लोगों में दिवानगी है,ऐसा कहा जाता है। ऐसे में मोदी समर्थक जाति के लोगों के जुटान में तेजस्वी यादव का मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचने का राजनीतिक मतलब और मकसद तो निकाला ही जायेगा।

कथित तौर पर कट्टर मोदी भक्तों के जुटान में तेजस्वी ने मोदी के आलोचक से मोदी के फैन बने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निशाने पर लिया। उनकी नाकामियां और मजबूरियों की चर्चा की। साथ ही नया
बिहार बनाने के लिए तेली जाति से सहयोग मांगा।

तेजस्वी ने कहा, हम नया बिहार बनाने चाहते हैं, आप सब लोग का साथ चाहिए। बीस साल से नीतीश जी मुख्यमंत्री हैं। दो बार तो हम लोगों ने बना दिया। राजद सबसे बड़ी पार्टी थी पर हमने उनको ही नेता बना दिया।
लेकिन हमारे चाचा बार-बार पलटी मारते हैं। बुजुर्ग हो गये हैं फिर भी केवल कुर्सी से प्यार है। हमलोग मुख्यमंत्री बनना चहते तो भाजपा से हाथ मिला लेते। हम कमिटेड लोग हैं। हम बोलते थे दस लाख नौकरी देंगे। साढ़े पांच लाख दिया। साढ़े तीन लाख नौकरियां प्रक्रियाधीन कराई। मुख्यमंत्री कहते थे,’ असंभव है। बाप के घर से वेतन देगा। 4.50 शिक्षकों को नियमित किया।
तालीमी मरकज,टोला सेवक, शिक्षा मित्र का मानदेय बढ़ाया। अब वही नीतीश जी नौकरी देने का श्रेय ले रहे हैं। पोस्टर लगवा रहे है, नौकरी मतलब नीतीश कुमार! मैं पूछना चाहता हूं,17 साल कहां थे। हमारे 17 माह के कार्काल में कोई पेपर लीक नहीं हुआ। लेकिन इनके आते ही पेपर लीक होने लगा। अपराधी खुलेआम गोली चलाता है। इंटरव्यू देता है।
आप लोग एक बार हमारे ऊपर विशवास कीजिए। हमें मौका दीजिए। मेरी जुबान नीतीश जी वाली नहीं है। हम जो कहते हैं,कर के दिखाते हैं। आपको ने बीस साल नीतीश जी को देखा। अब वे गांधी जी को श्रद्धांजली देने जाते हैं तो ताली बजाने लगते हैं। वे अब सरकार चलाने की हालत में नहीं हैं। अचेत और बेबस हैं।
दो-चार नेता -अफसर मिलकर बिहार में लूट मचाए हुए हैं। प्रगति यात्रा के नाम पर 2 अरब 25 करोड़ 78 लाख सरकारी धन की लूट हुई है। बिजली बिल से लोग परेशान हैं। दाखिल खारिज तक बिना पैसा दिये नहीं हो रहा है। नया बिहार बनाना है। आप लोगों को कैसे आगे ले जाना है। इसकी चिंता तेजस्वी करेगा। हमारी उम्र कच्ची है लेकिन जुबान पक्की है। माई-बहन मान योजना लेकर आयेंगे।
दिव्यांग, वृद्धा , विधवा पेंशन की राशि बढ़ायेंगे।
तेजस्वी ने अपने भाषण में संतुलन बनाने की पूरी कोशिश की। नीतीश पर निशाना साधा। भाजपा पर बोले। लेकिन नरेंद्र मोदी की चर्चा नहीं की। जाहिर है वे अपना निशान केंद्रित रखना चाहते थे। तेली जाति कारोबारी जाति है। लिहाजा वह आर्थिक रूप से संपन्न और सामाजिक राजनीतिक विमर्श को प्रभावित करने वाली जाती मानी जाती है। हालांकि गरीबी और पिछड़ापन इस जाति में भी है।
ऐसे में इस जाति के भीतर राजनीतिक और सामाजिक सशक्तीकरण की आकांक्षाएं भी है। यह जाति राजनीतिक और सामाजिक विमर्श को किस हद तक प्रभावित करती है,उसका आकलन इस आधार पर किया जा सकता है कि अति पिछड़ा श्रेणी में शामिल होने के कारण पंचायती राज संस्थाओं में अति पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित अधिकतर सीटों पर इसी जाति के लोगों का कब्जा है।
इसके बावजूद बिहार तैलिक साहू तेली समाज का मानना है कि इस जाति को पर्याप्त राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। तेली जाति के नेता बताते हैं कि बिहार में हमारी आबादी 3 प्रतिशत है। फिर भी हमें हमारे अधिकारों से वंचित रखा गया है। तेली समाज के नेता और मुजफ्फरपुर जिला परिषद के सदस्य प्रेम कुमार गुप्ता कहते हैं कि हमें 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों से अपने समाज के लिए अधिकतम टिकट सुनिश्चित कराना है।
समाज की मांग है कि लोकसभा /राज्यसभा/विधानसभा/विधान परिषद में तेली समाज को उचित भागीदारी दी जाये। तेल घानी आयोग और व्यावसायिक आयोग का गठन किया जाये। जाहिर है राजनीतिक आंकाक्षाओं को लेकर सजग तेली जाति की रैली में पहुंचे तेजस्वी यादव को इन बातों का ख्याल रखना ही था।
लिहाजा तेजस्वी ने अपने भाषण में इस बात को खासतौर से रेखांकित किया कि लोग हमसे तेली जाति को प्रतिनिधित्व देने की मांग करने आते थे। तब हमने कहा था, आप दो कदम चलिए, हम चार कदम चलेंगे। हमारी पार्टी ने विधानसभा और लोकसभा में टिकट दिया। राजद के टिकट पर चार इस जाति से चार उम्मीदवार 2020 में चुनाव लड़े।
दो जीते, दो कम अंतर से हार गये। मोरवा ,समस्तीपुर हमारे विधायक रणविजय साहू तेली जाति के हक अधिकार के लिए लड़ते रहते हैं। जहां कहीं भी तेली या वैश्य समाज की किसी जाति के लोगों का उत्पीड़न, हत्या की घटना होती है तो वहां पहुंच उन्हें न्याय दिलाने का काम करते हैं। हमसे सहयोग लेते हैं। इसी कड़ी में रणविजय साहू ने पूरे बिहार घूमकर तेली जाति को एकत्रित किया है।
तेजस्वी ने तेली जाति को लेकर अपने पिता लालू यादव के कार्यों को याद करते हुए कहा, ‘लालू जी ने 1991 में मुजफ्फरपुर के सिकंदरपुर में तेली साहू रैली का उद्घाटन किया था। 1993 में रांची में भामा शाह जी की प्रतिमा लालू जी ने लगवाई थी। तेजस्वी जब मिलर स्कूल में पहुंचे तो नारा लगने लगा,’बिहार का मुख्यमंत्री कैसा हो, तेजस्वी यादव जैसा’ आधे लोग इस नारे को दुहरा रहे थे जबकि आधे चुप थे।
लग रहा था ,उनकी जुबान पर नारा चढ़ नहीं रहा है। जाहिर मोदी भक्त कहे जाने वाली जाति की जुबान तेजस्वी का जयकारा एक स्वर में लगाना शुरू कर दे,ऐसा होने में वक्त लगेगा। मैदान में महापुरुषों का कैलेंडर बेचने वाले एक नौजवान ने तो तेजस्वी का जयकारा लगाने वाले लोगों पर तंज भी कसा!
लेकिन तेली जाति से आने वाले बेलसंड से राजद के विधायक संजय गुप्ता ने नरेंद्र मोदी की आलोचना से परहेज़ नहीं किया। उन्होंने कहा, नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं लेकिन वे तेली जाति के नेता नहीं हो सकते हैं। मोदी जी आरक्षण का हक मार रहे हैं।
नौकरी देने वाले, आरक्षण देने वाले हमलोगों के नेता तेजस्वी यादव तेजस्वी जी ने 65 परसेंट आरक्षण दिया। लेकिन मोदी जी उसकी रक्षा नहीं कर सके। भाजपा के लोग ही कोर्ट चले गये। आदेश स्थगित करवा दिया। झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री योगेन्द्र साहू ने कहा, नरेंद्र मोदी तेली समाज को कोल्हू की तरह पेर रहे हैं। तेजस्वी बिहार और देश के भविष्य हैं ।
लालू जी ने पिछड़ों – अतिपिछड़ों को मजबूत किया। राजनीतिक ताकत दी। रैली की अध्यक्षता और संचालन कर रहे राजद विधायक रणविजय साहू ने कहा, भाजपा – नीतीश के राज में सबसे अधिक उत्पीड़न तेली जाति और वैश्य समाज का हुआ है।
लेकिन भाजपा के साथ खड़े इस समाज से आने वाले प्रतिनिधि इसकी आवाज नहीं उठाते। तेली समाज के जुटान में तेजस्वी यादव की मौजूदगी सुनिश्चित करने को लेकर रणविजय साहू और उनकी टीम भूपाल भारती, लालाबाबू साह,ई शिवनंदन साह और अरुण गुप्ता चर्चा में हैं।