पूर्णिया:-11 फरवरी(राजेश कुमार झा)जिले में अब तुलायपंजा,कतरनी एवं करिया कामत जैसे चावल का स्वाद चख सकेंगे कोसी एवं सीमांचल के लोग.चावल की पैदावार अगर अच्छी रही तो भविष्य में इसे एक स्टार्टअप के तौर पर करेंगे.बताते चलें पूर्णिया जिले के एक गांव के तकरीबन 60 किसानों ने मिलकर तकरीबन 150 एकड़ में तुलायपांजा,कतरनी एवं करिया कामत जैसे चावल की खेती करने का फैसला लिया है.

सबसे बड़ी बात सभी किसानों ने बिना किसी की भी मदद की खुद से सारे खर्च उठाएंगे.बिफोरप्रिंट डिजिटल को जब ये खबर की जानकारी मिली तो बिफोरप्रिंट की टीम उस गावां में गई एवं सभी किसानों को एक जगह बैठाकर उनसे बातचीत की. बताते चलें कि पूर्णिया सहित पूरे सीमांचल में धान एवं गेहूं की खेती लगभग किसानों ने बंद कर दी थी.जिसका मुख्य कारण था पैदावार.जिसके जगह मक्का की खेती होने लगी.
पैदावार भी अच्छी और किसानों को दाम भी अच्छे मिलने लगे.जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति भी सुधरने लगी.लेकिन काफी सालों बाद जिले के 60 किसानों ने मिलकर तकरीबन 150 एकड़ में तीन तरह के धान की पैदावार करने का मन बनाया है.किसानों ने बिफोरप्रिंट डिजिटल से बातचीत में बताया कि अगर हमलोग इसमें सफल हुए तो आगे 600 एकड़ में धान की खेती करेंगे.इसके बाद हमलोग एक समिति का गठन करेंगे.
समिति में और भी किसानों को जोड़ेंगे.किसानों ने बताया कि इन चावल की भारतीय बाजार में अच्छी डिमांड है.अच्छी कीमत भी मिलती है.आगे इसे स्टार्टअप से जोड़कर आगे बढ़ाएंगे.बताते चलें कि तुलायपंजा चावल का बाजार मूल्य 160 रूपये किलो से अधिक है.कतरनी का भी अच्छा डिमांड है.सबसे अच्छी कीमत करिया कामत चावल का है.जो लगभग विलुप्त हो चुका है. करिया कामत चावल का बाजार मुख्य लगभग 200 रुपए किलो से अधिक है.