बिहार में टाटानगर, जेपी नगर जैसी इंडस्ट्रियल टाउनशिप बनाने की योजना, मिलेंगे लाखों रोजगार

पटना

पटना, अशोक “अश्क” बिहार में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने एक महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की है, जिसके तहत राज्य में टाटानगर और जेपी नगर जैसी इंडस्ट्रियल टाउनशिप बनाई जाएगी। यह टाउनशिप बिहार के विभिन्न हिस्सों में विकसित की जाएंगी, जो न केवल औद्योगिक क्षेत्र को मजबूत करेगी, बल्कि रोजगार के अवसर भी प्रदान करेगी।

योजना के तहत टाउनशिप में स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, मॉल, शॉपिंग सेंटर, प्राइवेट वाटर सप्लाई सिस्टम, स्किल डेवलपमेंट सेंटर और औद्योगिक संस्थान जैसी सुविधाएं शामिल होगी। इसके अलावा, इन टाउनशिप में 24 घंटे बिजली और पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी। इस प्रोजेक्ट से लगभग एक लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलने की उम्मीद है।

यह टाउनशिप लगभग 1700 एकड़ क्षेत्र में बनाई जाएगी, जिसमें से 40% क्षेत्र हरियाली के लिए रखा जाएगा। पहले चरण में गया जिले में यह टाउनशिप बनाई जाएगी, और इसके बाद मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, भागलपुर,
वैशाली, सीतामढ़ी, मुंगेर, मधुबनी, औरंगाबाद, ठाकुरगंज, पूर्णिया, सोनपुर और कैमूर जैसे जिलों में भी इसका विस्तार किया जाएगा।

इंवेस्टर्स को जमीन आवंटन का काम अप्रैल से शुरू होगा, और 2027 तक हाउसिंग के साथ-साथ फैक्ट्रियां भी स्थापित कर दी जाएगी। इस परियोजना में 16,000 करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए एक स्पेशल पर्पज व्हीकल का गठन किया गया है, जो निवेशकों को टाउनशिप में निवेश के लिए प्रेरित करेगा।

एसपीवी का नाम बिहार इंटीग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग सिटी गया लिमिटेड रखा गया है। यह एसपीवी उद्योगों को एक जगह पर आवश्यक सुविधाएं प्रदान करेगी, जिससे औद्योगिक टाउनशिप का विकास संभव हो सके। उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा ने कहा, बिहार के औद्योगिक विकास के लिए उद्योग विभाग निरंतर प्रयासरत है।

टाउनशिप के निर्माण से निवेशकों और कर्मचारियों को कार्यस्थल के पास सभी आवश्यक सुविधाएं मिलेगी। उन्होंने यह भी बताया कि स्थानीय स्तर पर जमीन का आवंटन किया जा रहा है, और इसके लिए मुजफ्फरपुर, पटना, सहरसा, मुंगेर, हाजीपुर, भागलपुर जैसे क्षेत्रों में लोगों से संपर्क किया जा रहा है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2022 से 2024 के बीच बिहार को 12,000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। इसके पहले, 2016 से 2022 तक यह आंकड़ा केवल 2500 करोड़ रुपये था। इस तेजी से बढ़ते निवेश के साथ ही बिहार में रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। यह योजना न केवल राज्य में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देगी, बल्कि इससे शहरीकरण भी बढ़ेगा और बिहार के औद्योगिक क्षेत्र में एक नया दौर शुरू होगा।

पटना, मुजफ्फरपुर, वैशाली और पश्चिम-पूर्वी चंपारण जैसे जिलों में आने वाले वर्षों में नौकरी के अवसर बढ़ने वाले हैं, क्योंकि यहां कई कंपनियां अपनी फैक्ट्रियां स्थापित करने जा रही है। बिहार के पास लैंड बैंक के रूप में कुल 9438 एकड़ जमीन है, जिसमें से 4766 एकड़ जमीन उद्योग लगाने के लिए आवंटित की गई है।

बाकी 3706 एकड़ जमीन का आवंटन आने वाले समय में किया जाएगा, जिससे राज्य के औद्योगिक विकास को और गति मिलेगी। यह परियोजना बिहार में औद्योगिक निवेश को आकर्षित करने और राज्य के रोजगार को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।