भारत-फ्रांस रक्षा सहयोग और नवाचार में नई दिशा, मोदी और मैक्रों की बैठक

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सेंट्रल डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने बुधवार को द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए कई अहम पहलुओं पर चर्चा की। इस बैठक में दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को गहरा करने और नवाचार के क्षेत्र में प्रगति को लेकर सकारात्मक संकेत दिए गए। विशेष रूप से, भारत में स्कार्पीन पनडुब्बियों के निर्माण में सहयोग की सराहना की गई, जिसमें स्वदेशीकरण के प्रयासों को भी प्रमुखता दी गई।

प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मैक्रों ने रक्षा क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। दोनों नेताओं ने मिसाइलों, हेलीकॉप्टर इंजनों और जेट इंजनों पर चल रही बातचीत का स्वागत किया। मोदी ने फ्रांसीसी सेना को पिनाक मल्टी-बैरल राकेट लांच प्रणाली को नजदीकी से देखने का निमंत्रण दिया और इसे दोनों देशों के रक्षा संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया।

दोनों देशों ने इस प्रणाली की खरीद को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण रखा है। सूत्रों के हवाले से अशोक “अश्क” ने बताया कि दोनों नेताओं ने संयुक्त बयान में यह स्पष्ट किया कि रक्षा अनुसंधान और विकास साझेदारी को और अधिक गहरा करने के लिए एक तकनीकी व्यवस्था शुरू की जाएगी।

डीजीए और डीआरडीओ के बीच रक्षा प्रौद्योगिकियों में सहयोग बढ़ाने के लिए एक शोध एवं अनुसंधान ढांचा शीघ्र शुरू किया जाएगा। इसके अलावा, पश्चिम एशिया और यूक्रेन में चल रहे युद्धों सहित अंतरराष्ट्रीय मामलों पर भी विस्तृत बातचीत की गई। उन्होंने स्वतंत्र, खुले और सुरक्षित हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।

प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मैक्रों ने स्कार्पीन पनडुब्बियों के निर्माण में भारत के प्रयासों को सराहा। विशेष रूप से, डीआरडीओ द्वारा विकसित एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन को पी75-स्कार्पीन पनडुब्बियों में एकीकृत करने और भविष्य की पी75-एएस पनडुब्बियों में लड़ाकू प्रणाली के संभावित इस्तेमाल पर चर्चा की।

दोनों नेताओं ने 15 जनवरी को पी75 स्कार्पीन श्रेणी की अंतिम पनडुब्बी आइएनएस वाघशीर को भारतीय नौसेना में शामिल करने का स्वागत किया। इस बैठक में समुद्री जैविक विविधता के संरक्षण और सतत इस्तेमाल के लिए वैश्विक समझौते हाई सी ट्रीटी को जल्द लागू करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया।

प्रधानमंत्री मोदी ने जून में नीस में आयोजित होने वाले यूनाइटेड नेशंस ओशियंस कान्फ्रेंस के लिए फ्रांस को समर्थन देने का प्रस्ताव रखा, जो समुद्र के संरक्षण और सतत इस्तेमाल के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा। इसके अलावा, दोनों देशों ने भारतीय छात्रों की संख्या को फ्रांस में 10,000 तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है, और 2030 तक इसे 30,000 तक बढ़ाने की योजना बनाई है।

साथ ही, फ्रांस में भारतीय स्टार्टअप्स के बढ़ते समावेश और भारत के रियल टाइम पेमेंट सिस्टम यूपीआइ के फ्रांस में उपयोग की बढ़ती संभावना पर चर्चा की गई। पेरिस में एआइ एक्शन समिट के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई से भी मुलाकात की, जिसमें भारत में एआई के अवसरों और डिजिटल ट्रांसफार्मेशन पर चर्चा की गई। यह मुलाकात दोनों देशों के बीच नवाचार और डिजिटल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिहाज से महत्वपूर्ण थी।