पूर्णिया:-19 फरवरी(राजेश कुमार झा)जिले में बढ़ता भूमाफियाओं का कहर.जिससे जमीन हो रही है लाल.किसी ने अपना बेटा खोया तो किसी ने अपना बाप.किसी ने अपना पति खोया तो किसी ने अपना भाई.ये पूरा खेल है लाल जमीन का. लाल जमीन का मतलब लाल खाते की जमीन नहीं.इसका मतलब है रक्त रंजीत जमीन.जहां जमीन को जबरदस्ती कब्जाने को लेकर होता है खूनी खेल.ये मामला सिर्फ पूर्णिया जिले का ही नहीं है.

ये पूरे बिहार या यों कहें कि पूरे देश में कमोबेश हो रहा है.लेकिन बिहार में सबसे अधिक हो रहा है.खास कर पूर्णिया जिले में.बताते चलें कि कोसी त्रासदी के बाद पूर्णिया जिले की जमीन का भाव अचानक आसमान को छूने लगा. वजह लोगों ने अनाप शनाप दामों में जमीन की खरीदारी शुरू कर दी.तभी जन्म हुआ भूमाफिया एवं जमीन दलाल का.दूसरे जिलों से आने वालों ने भूमाफिया एवं जमीन दलालों का सहारा लेना शुरू कर दिया.
जिससे जमीन के दामों में अनाप शनाप वृद्धि होने शुरू हो गई. बताते चलें कि कोसी त्रासदी से पहले पूर्णिया जिले में जिस जमीन की कीमत 5 हजार से 10 हजार कट्ठा लोग नहीं खरीद रहे थे.कोसी त्रासदी के बाद अचानक वो जमीन 4 से 5 लाख कट्ठा पर पहुंच गई.खरीदार भी जमीन खरीदने को लेकर दामों की परवाह नहीं किए.जिससे भूमाफियाओं एवं जमीन दलालों की चांदी होने लगी.लेकिन इससे भूमाफियाओं एवं जमीन दलालों के पेट का साइज और बढ़ने लगा.
जिससे भूमाफिया ने जमीन दलाल,पुलिस एवं प्रशासन को मिलाकर जमीन कब्जाने का धंधा शुरू कर दिया.जिससे हत्या,अपहरण काफी बढ़ गया. सरकार ने इस पर लगाम लगाने की पूरी कोशिश की लेकिन सब धरी की धरी ही रह गई.बताते चलें कि पूर्णिया जिले में जमीन संबंधित मामले पिछले पांच सालों में तकरीबन 1900 मामले सामने आए.लेकिन तकरीबन 162 मामले ही थाने तक पहुंचे.उसमें भी अधिकतर मामले भूमाफियाओं के ही पक्ष में गए. जिससे आए दिन खूनी संघर्ष की बात सामने आती रहती है.
अब आप भूमाफिया,जमीन दलाल, पुलिस एवं प्रशासन का गणित समझिए
बताते चलें कि सभी छोटे एवं बड़े भूमाफियाओं ने अपने साथ छोटे बड़े जमीन दलालों को पाल रखा है.इन जमीन दलालों का काम है कि भूमाफियाओं को ऐसी जमीन के बारे में बताना.जिसमें कई तरह के लिटिगेशन है.इस बात की जानकारी के बाद जमीन दलाल जमीन के हिस्सेदारों से बात कर,उनकी भूमाफियाओं के साथ एक मीटिंग फिक्स करती है.भूमाफिया जमीन के हिस्सेदारों के सामने अपने कुछ बंदूकधारी बॉडीगार्ड के साथ चमक धमक दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ते.ताकि जमीन के हिस्सेदारों को ये समझ में आनी चाहिए कि ये लोग हर तरह से सक्षम है.जमीन के हिस्सेदार भी किसी तरह जमीन बेचकर अपना अपना हिस्सा लेकर निकलना चाहते है.जिसका पूरा फायदा भूमाफिया उठाते है. लेकिन मामला तब फंसता है. जब कुछ हिस्सेदार अपने हिस्से की जमीन भूमाफिया को नहीं बेचते है.इसके बाद शुरू होता है धमकी चकमी का खेल.जिसको लेकर जमीन के हिस्सेदार थाने के शरण में जाते है.लेकिन भूमाफिया अपने पैसे की ताकत में थाने एवं अंचल से लेकर बड़े बड़े पदाधिकारियों को भी मिला लेते है.और ये पुलिस के पदाधिकारी एवं जिला प्रशासन के बड़े अधिकारी भी चंद पैसों के लोभ में अपना जमीर भी गिरवी रखने में कोई गुरेज नहीं करते है.