ग्रामीण क्षेत्रों में भी तेजी से बढ़ रहा मोटापा, एम्स निदेशक ने दी सावधानी बरतने की सलाह

पटना

पटना, अशोक “अश्क” अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली के निदेशक एम श्रीनिवास ने रविवार को कहा कि अब केवल शहरी क्षेत्रों में ही नहीं, बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी मोटापे के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। उन्होंने इस समस्या को गंभीर बताते हुए संतुलित आहार और व्यायाम को अपनाने की सलाह दी।

एम्स निदेशक की यह टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपने मासिक कार्यक्रम मन की बात में मोटापे की बढ़ती समस्या पर चिंता व्यक्त करने और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने की अपील के बाद आई। एनडीटीवी को दिए गए एक इंटरव्यू में एम श्रीनिवास ने कहा कि मोटापा सिर्फ एक समस्या नहीं, बल्कि अन्य कई बीमारियों का बड़ा कारण भी है। उन्होंने कहा, सबसे आम समस्या जो हम देखते हैं, वह है हार्ट डिजीज।

उन्होंने यह भी बताया कि अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी मोटापे के मामले बढ़ रहे हैं, जो पहले सिर्फ शहरी समस्या मानी जाती थी। इस बढ़ती समस्या को रोकने के लिए स्वस्थ खान-पान और नियमित व्यायाम बेहद जरूरी हैं। श्रीनिवास ने कहा कि बैलेंस डाइट लेना जरूरी है। उन्होंने आहार में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने और तेल के सेवन पर नियंत्रण रखने की सलाह दी।

उन्होंने कहा, हमारे कुल आहार में फैट 20% से अधिक नहीं होनी चाहिए। उन्होंने हेल्दी ऑयल के इस्तेमाल पर जोर देते हुए कहा, हर दिन 2 से 4 चम्मच तेल का ही सेवन करना चाहिए। इसके लिए नट्स, अलसी के बीज जैसे प्राकृतिक स्रोतों को शामिल करने की सलाह दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में बताया कि पिछले कुछ वर्षों में मोटापा दोगुना हो गया है और बच्चों में भी मोटापे के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जो बेहद चिंताजनक है।

उन्होंने कहा, एक फिट और स्वस्थ राष्ट्र बनने के लिए हमें मोटापे की समस्या से निपटना होगा। एक अध्ययन के अनुसार, आज हर 8 में से 1 व्यक्ति मोटापे का शिकार है।पीएम मोदी ने लोगों से भोजन में तेल की मात्रा 10% तक कम करने और इस पहल को अपने 10 अन्य परिचितों तक पहुंचाने की अपील की। श्रीनिवास ने भी तेल के सेवन को नियंत्रित करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि तेल दो प्रकार के होते हैं।

पहला अदृश्य तेल दूध, डेयरी उत्पादों और अन्य खाद्य पदार्थों में मौजूद प्राकृतिक तेल। दूसरा दृश्यमान तेल जिसे हम प्रतिदिन खाना पकाने में उपयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत में खाना पकाने के तेल का अधिक इस्तेमाल किया जाता है, जिसे सीमित करने की जरूरत है। एम्स निदेशक ने बताया कि यदि किसी व्यक्ति की कमर 80-90 सेमी तक पहुंच जाती है, तो उसे मोटापे का खतरा हो सकता है।

खासकर पेट का मोटापा यानी पेट और उसके आसपास जमा अधिक चर्बी स्वास्थ्य के लिए सबसे खतरनाक मानी जाती है। क्या मोटापा कुपोषण से भी बड़ा खतरा है? इस पर श्रीनिवास ने कहा, हमें दोनों समस्याओं से निपटना होगा। कुछ लोग बहुत ज्यादा खा रहे हैं और कुछ लोग बहुत कम। इसलिए हमें सभी को संतुलित आहार के बारे में जागरूक करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग व्यायाम नहीं कर रहे और अधिक कैलोरी ले रहे हैं, उनके लिए यह चिंता का विषय है।

इस पर रोक लगाने की जरूरत है। मोटापा अब केवल शहरी नहीं, बल्कि ग्रामीण समस्या भी बन चुका है। एम्स निदेशक और प्रधानमंत्री दोनों ने इस बढ़ती चुनौती से निपटने के लिए संतुलित आहार, कम तेल के सेवन और व्यायाम को प्राथमिकता देने पर जोर दिया है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर ही हम मोटापे से होने वाली बीमारियों से बच सकते हैं और एक स्वस्थ भारत का निर्माण कर सकते हैं।