…जब साहिर लुधियानवी ने लता मंगेशकर के लिए लिखने से मना कर दिया

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सेंट्रल डेस्क। लता मंगेशकर आवाज की देवी रही हैं और निस्संदेह हिंदुस्तान और पाकिस्तान में साहिर लुधियानवी से ज्यादा कहीं ज्यादा प्रसिद्ध और लोकप्रिय थी। हर फिल्म निर्माता की ख्वाहिश होती थी कि लता मंगेशकर के ज्यादा से ज्यादा गाने उसकी फिल्म में हों।

फिल्म खरीदने वाला सबसे पहले यही पूछता है कि आपकी फिल्म में लता मंगेशकर के कितने गाने हैं हर शायर की भी यह तमन्ना की थी कि उसका लिखा गाना लता मंगेशकर गाए ।साहिर लुधियानवी भी उन्हीं में से एक थे। उनके कई गीत लता मंगेशकर ने गाए हैं लेकिन एक दिन किसी फिल्म निर्माता ने साहिर और लता मंगेशकर की मौजूदगी में ताना मार दिया कि साहिर साहब यदि लता की आवाज ना हो तो आपके गीत बेजान हैं।

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साहिर भी एक खुद्दार व्यक्ति थे। उन्हें गुस्सा आ गया और उन्होंने लता मंगेशकर और उस फिल्म निर्माता के सामने ही कहा कि जब तक मैं यह साबित नहीं कर दूंगा कि अच्छी शायरी लता मंगेशकर की आवाज की मोहताज नहीं है, तब तक लता मंगेशकर मेरा एक भी गीत नहीं गाएगी। इसके बाद जिस फिल्म कंपनी द्वारा भी साहिर के साथ इकरारनामा होता उसकी पहली शर्त यही होती कि मेरा कोई गीत लता मंगेशकर नहीं गाएगी।

जाहिर है कोई भी फिल्म निर्माता लता मंगेशकर को नजरअंदाज करने का खतरा मोल नहीं ले सकता था। वह साहिर लुधियानवी को तो टके सा जवाब दे सकता था पर लता को किसी भी कीमत पर नजरअंदाज नहीं कर सकता था लेकिन साहिर लुधियानवी भी अपनी जिद पर अड़े रहे। दो साल तक लता मंगेशकर ने साहिर लुधियानवी का लिखा एक भी गीत नहीं गाया। साहिर लुधियानवी ने लता मंगेशकर की बजाए सुधा मल्होत्रा जैसी नई गायिकाओं के साथ अपने गीत गवाए। आखिर दो साल बाद यश चोपड़ा ने दोनों की फिर से दोस्ती करवा दी।

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