गया, बीपी प्रतिनिधि। भगवान बुद्ध की पावन ज्ञान भूमि बोधगया में भव्य तरीके से भगवान बुद्ध की 2566 वी जयंती मनाई गई। इसे लेकर बोधगया स्थित विभिन्न देशों के बौद्ध महाविहारो को आकर्षक रूप से सजाया गया हैं। इस दौरान भव्य शोभायात्रा भी निकाली गई। इस दौरान कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बिहार के राज्यपाल फागू चौहान भी बोधगया पहुंचे। जहां उनका स्वागत बोधगया टेंपल मैनेजमेंट कमिटी के सदस्यों ने पुष्प गुच्छ देकर किया।
इसके बाद वे विश्व धरोहर महाबोधि मंदिर के गर्भगृह में गए और भगवान बुद्ध के दर्शन किए। इसके पश्चात मंदिर के प्रांगण में ही स्थित पवित्र बोधिवृक्ष के नीचे आयोजित कार्यक्रम में वे बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। मुख्य रूप से बोधगया टेंपल मैनेजमेंट द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बोधगया भगवान बुद्ध की ज्ञान भूमि है। यहीं से पूरी दुनिया में ज्ञान का प्रकाश फैला।
आज के वैश्वीकरण के युग में भगवान बुद्ध के संदेश प्रासंगिक हैं। भगवान बुद्ध के संदेशों का अनुसरण लोगों को करना चाहिए। बुद्ध के बताए मार्ग पर चलकर ही पूरे विश्व में शांति लाई जा सकती है। महाबोधि मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के बाद राज्यपाल फागू चौहान श्रीलंकाई महाविहार गए। जहां उन्होंने भगवान बुद्ध और उनके दो परम शिष्य सारीपुत्र और महामोग्गलान के अस्थि कलश के दर्शन किए।
श्रीलंकाई महाविहार के प्रभारी भिक्षु भंते राहुल के द्वारा उनका स्वागत किया गया। इसके बाद राज्यपाल पटना के लिए वापस लौट गए। इस मौके पर श्रीलंकाई महाविहार के प्रभारी भिक्षु भंते राहुल ने कहा कि आज का दिन बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए सबसे बड़ा दिन है। आज हमलोग भगवान बुद्ध की ‘त्रिविध जयंती’ मना रहे। त्रिवेदी कहने का मतलब यह होता है कि आज ही के दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। आज ही के दिन उन्हें बोधगया में ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और उनका महापरिनिर्वाण भी आज ही के दिन हुआ था।
भगवान बुद्ध के जीवनकाल की तीनों घटनाएं वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुई थी। इसलिए हमलोग इसे ‘त्रिविध जयंती’ के रूप में मनाते हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना कारण विगत 2 सालों से बुद्ध जयंती का आयोजन नहीं हो रहा था। इस बार आयोजन होने से हमें काफी खुशी हुई है। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए देश के कई राज्यों के श्रद्धालु बोधगया आए हैं। उन्होंने कहा कि बुद्ध के संदेशों को आत्मसात करके ही विश्व शांति एवं मानवता का कल्याण हो सकता है।