बिहारःवतन की आजादी के लिए एक ही स्थान पर डुमरांव के चार वीर सपूत हुए थे अमर शहीद

बक्सर

17 अगस्त को आजादी के दीवानों ने थाना को आग के हवाले कर दिया था

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डेस्क/विक्रांतः बिहार प्रांत की राजधानी पटना में सात बलिदानियों के बाद अकेले डुमरांव के चार वीर सपूतों में कपील मुनि कमकर, रामदास सोनार, गोपाल जी एवं रामदास लोहार ने वतन की आजादी के लिए ब्रिटीश पुलिस की सीने पर गोली खाकर अमर शहीद हो गए थे। शेष अन्य 17 वीर सपूत ब्रिटीश पुलिस की फायरिंग में जख्मी होकर जहां-तहां ईलाज के दौरान अमर शहीद हो गए थे।

‘स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों की कांव नदी पर हुई थी सभा’

‘सन् 42 की 15 अगस्त की देर शाम आकाशवाणी रेडियो पर यह सूचना प्रसारित हुई कि नई दिल्ली स्थित आंगा खां महल में महात्मा गांधी के निजी सचिव मनमोहन देसाई की निधन हो गई। इस खबर को सुनकर देशभक्त स्थानीय जवानों के बीच शोक की लहर दौड़ दौड़ गई। आजादी के दीवानों द्वारा अगले ही दिन 16 अगस्त को कांव नदी के तट पर एक शोक सभा आयोजित की गई। सभा समाप्त होते ही आजादी के दीवानों नें पुराना थाना (अब शहीद पार्क) पर तिरंगा फहरानें को ठान लिया।

आजादी के दीवानों की हुजूम कांव नदी के तट से पुराना थाना पर तिरंगा झंडा फहरानें के लिए चल पड़ा। इस बात की भनक ब्रिटीश पुलिस को लग गई। ब्रटीश हुकूमत का दारोगा देवनाथ सिंह दल-बल के साथ आजादी के दीवानों की भीड़ को पुराना थाना के पास पंहुचने से रोकने को लेकर सर्तक हो गया । इसी बीच थाना पर तिरंगा झंडा फहरानें को बेताब भीड़ रास्ते में भारत माता की जय। अंग्रेजो भारत छोड़ो का नारे लगाते हुए पुराना थाना मोड़ के पास पंहुच गई।

वहां पहले से दल बल के साथ तैनात ब्रिटीश पुलिस का थानेदार देवनाथ सिंह आजादी के दीवानों की भीड़ को आगे बढ़ने से रोकने का प्रयास किया। कुछ देर के लिए भीड़ ठहर गई। इसी बीच आजादी के दीवानों की भीड़ को चीर आगे आते हुए वीर सपूत कपिलमुनि कहते है-दारोगा जी आप भी हिंदुस्तानी है। आप हमारे भाई हैं। रास्ते से हट जाईए। हम लोग थाना पर तिरंगा झंडा फहराएंगें। ब्रिटीश हुकूमत का दारोगा पर उक्त युवक से कहता है।

आगे बढ़ने पर गोली मार देगें। ब्रिटीश हुकूमत के दारोगा की बात सुनकर युवक कपिलमुनि नें आगे बढ़ते हुए अपना सीना तान दिया और कहा कि गोली मार दीजिए। फिर क्या ब्रिटीश काल के दारोगा ने युवक कपिलमुनि के सीनें में गोली मार दी। अपनें जख्मी साथी सहित हाथ में तिरंगा लिए गोपाल जी, रामदास लोहार एवं रामदास सोनार कदम से कदम मिलाकर आगे की ओर बढ़ने लगे। पर दारोगा नें उनके सीने में गोली मार दी। चारो वीर सपूत मौंके पर बलिदान हो गए। इसी बीच ब्रिटीश हुकूमत के दारोगा नें फायरिंग का आदेश अपने सिपाहियों को दे डाला। भगदड़ मच गई। फायरिंग में भीखी लाल, बिहारी लाल एवं प्रदुमन लाल सहित अन्य कई आजादी के दीवानें जख्मी हो गए थे।

‘17 अगस्त को डुमरांव थाना आग के हवाले कर दिया गया था‘
स्थानीय नगर के चैक रोड निवासी वयोवृद्ध एवं स्वतंत्रता सेनानी दुर्गा प्रसाद सिंह के भतीजा सत्यनारायण प्रसाद ने घटित घटना के बारे में संस्मरण के आधार पर पर बताते है कि वे उन दिनों बाल्यावस्था में अपने बड़े पिताजी के साथ भीड़ में गया था। वीर सपूतों की लाश को लेनें एवं जख्मी लोगो की तिमारदारी के लिए विसू राय के नेतृत्व में सैकड़ो लोग आगे आ गए थे। थाना के चारो तरफ नागरिको के बढ़ते दबाव को देख अंग्रेजी सिपाहियों के गोलीयों की बौछार बंद हो गई।

‘17 अगस्त को उमड़ी भीड़ ने थाना को आग के हवाले कर दिया’
दुसरे दिन 17 अगस्त को नगर सहित ग्रामीण इलाके में कोरान सराय, ढ़काईच, आथर,नावाडेरा एवं गोपाल डेरा आदि गांव से आजादी के दीवानांें की भीड़ थाना के पास जुट गई और डुमरांव थाना को आग के हवाले कर दिया। उसी दिन आजादी के कई दीवानों के खिलाफ थाना बर्निंग मामले को लेकर मुकदमा किया गया था।