— सचिव स्वास्थ्य-सह-कार्यपालक निदेशक, राज्य स्वास्थ्य समिति ने पत्र जारी कर दिया आदेश
— यक्ष्मा उन्मूलन के लिए वर्ष 2025 का लक्ष्य है निर्धारित
— 84 सीबी नाट 207 ट्रू नाट मशीन से हो रही राज्य में यक्ष्मा रोगियों की जांच
बिहारशरीफ/Avinash pandey: राज्य के सभी जिलों में टीबी उन्मूलन से संबंधित संयुक्त राष्ट्र संघ के विकास लक्ष्यों के निर्धारित समय सीमा, वर्ष 2030 से पांच वर्ष पहले 2025 तक प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है। टीबी उन्मूलन के लिए आवश्यक प्रयासों के कारण टीबी नोटिफिकेशन, ड्रग रेसिस्टेंट रोगियों की पहचान, नियमित पूरा उपचार के लिए नियमित काउंसलिंग, समय से पहले उपचार प्रारंभ करने की क्षमता, टीबी रोगियों में एचआईवी एवं मधुमेह की पहचान के साथ-साथ टीबी रोगियों के खाते में डी.बी.टी. के माध्यम से निक्षय पोषण राशि के भुगतान आदि मानकों में लगातार प्रगति दर्ज की जा रही है। राज्य में 84 सीबी नाट 207 ट्रू नाट मशीन से यक्ष्मा मरीजों की जांच की जा रही है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सभी उपलब्ध संसाधनों का पूर्ण उपयोग नहीं हो पा रहा है। राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम के लिए वर्ष 2023-24 के लिए निर्धारित भौतिक एवं वित्तीय लक्ष्यों की शत-प्रतिशत प्राप्ति के लिए जिले प्रखंड एवं आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर निरंतर पर्यवेक्षण एवं अनुश्रवण जरुरी है. इस बाबत सचिव स्वास्थ्य-सह-कार्यपालक निदेशक, राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार संजय कुमार सिंह ने पत्र द्वारा आदेश जारी किया है।
चिकित्सा पदाधिकारियों एवं विशेषज्ञों द्वारा किया जायेगा पर्यवेक्षण एवं अनुश्रवण
जारी पत्र में निर्देशित है कि टी.बी.डी.सी, पटना एवं दरभंगा में पदस्थापित 10 चिकित्सा पदाधिकारियों, स्टेट टेक्निकल सपोर्ट यूनिट के 10 विशेषज्ञों एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन के 6 परमर्शियों के माध्यम से यक्ष्मा उन्मूलन कार्य का निरंतर सपोर्टिव सुपरविजन एवं मॉनिटरिंग करने का निर्णय लिया गया है। प्रत्येक माह के 25 तारीख तक अगले माह की कार्य योजना तथा पिछले माह का संक्षिप्त प्रतिवेदन एवं दल द्वारा जिला विशेष के लिए चयनित संकेतकों पर प्रगति राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी को ई-मेल द्वारा भेजा जायेगा.
संयुक्त रूप से किया जायेगा जिलों का भ्रमण
जारी पत्र में बताया गया है कि जिलों का भ्रमण टी.बी.डी.सी के चिकित्सा पदाधिकारी, स्टेट टेक्निकल सपोर्ट यूनिट के विशेषग्य तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन के परामर्शी द्वारा संयुक्त रूप से जिलों का भ्रमण करने का प्रयास किया जाये। जिला छोड़ने से पहले सिविल सर्जन, संचारी रोग पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक से मिलकर सामने आ रही किसी भी तरह की कठिनाई के समाधान के लिए साकारात्मक प्रयास किये जाएं। साथ ही प्रत्येक त्रैमास में समय लेकर जिला पदाधिकारी को महत्वपूर्ण संकेतकों पर प्रगति तथा प्रखंड में व्याप्त दिक्कतों को उनके संज्ञान में लाया जाये।