अवधेश कुमार शर्मा, बेतिया : पश्चिम चम्पारण जिला मुख्यालय बेतिया स्थित नगर थाना क्षेत्र के कालीबाग ओपी क्षेत्र अंतर्गत बुलाकी सिंह चौक के पास अंग्रेजी दवा के प्रमुख व्यवसायी जमील अख्तर के पुत्र उमर अख्तर उर्फ बुलबुल आयु लगभग 32 वर्ष बताया जा रहा है, को बाइक सवार अज्ञात हथियार बंद युवकों ने मंगलवार की सुबह लगभग 9:45 गोली मारकर मौत के घाट उतार शहर में दहशत फैला दिया। मिली जानकारी के अनुसार मृतक का घर घटनास्थल से केवल 300 गज की दूरी पर है, काली बाग ओपी थाना और नगर थाना की दूरी भी इतनी ही है। ज्ञात हो कि सुबह के लगभग 9:45 बजे घटनास्थल के अगल-बगल और उस रोड पर आने जाने वाले लोगों का सिलसिला लगा रहता है।
बगल में स्थित गांधी बाजार, खनन विभाग, बुलाकी सिंह चौक तथा अगल बगल में कई ऐसे घने आबादी वाले मोहल्ले हैं। जहां सुबह के समय काफी भीड़ भाड रहती है।जहां सुबह से लेकर देर रात तक लोगों का आना जाना रहता है, लेकिन जिला मुख्यालय बेतिया में अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हैं की भीड़ भाड़ वाले उस जगह पर हत्या की घटना को अंजाम दिया। हत्यारों ने बाइक सवार बुलबुल को पीछे से सिर में गोली मारी। जिससे घटनास्थल पर उसकी मौत हो गई।
मिली जानकारी के मुताबिक बुलबुल बालू का व्यवसाय भी करता रहा है। मृतक बुलबुल के पत्नी ने बताया कि उनके पति स्कूल से बच्चे को पहुंचा कर घर लौटने के क्रम में वारदात हुई। बाइक सवार अपराधियों ने बुलबुल को मौत का नींद सुला दिया। सूचना मिलते ही नगर थानाध्यक्ष राजीव कुमार, काली बाग ओपी थानाध्यक्ष दुष्यंत कुमार, मुफस्सिल थानाध्यक्ष भास्कर कुमार दल बल के साथ घटनास्थल पर पहुंच शव को को पोस्टमार्टम के लिए जीएमसीएच भेज दिया। पुलिस हत्यारों की गिरफ्तारी को आसूचना एकत्र करने मे जूट गई है। सुचना पाकर घटनास्थल पर बुलबुल के पिता और पत्नी भी रोते बिलखते आ पहुंच गईं।
परिजनों ने प्रशासन से अपराधियों को अविलंब गिरफ्तार करने की मांग किया। यह खबर शहर में जैसे ही फैली, बुलबुल के सगे संबंधी और तथा तमाशबीन लोगों का बहुत बड़ा घटनास्थल पर हुजूम खड़ा हो गया। देखते ही देखते गुस्साई भीड़ ने सोवाबाबू चौक जाम करने के मंसूबे से वहां जा खड़ी हुई। शव को रखकर जोरदार प्रशासन और राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी किया। लोगों का कहना कि जिला में अपराधी बेलगाम हो गए हैं और बेखौफ अपने आपराधिक कारनामों को अंजाम दे रहे हैं। जिस पर अंकुश लगना पुलिस का कर्तव्य है, अलबत्ता पुलिस मूक दर्शक बनी रही। किसी विधि प्रदर्शनकारियों को समझा-बुझाकर वहां से हटाया गया।