सरकार ने ऐसी नियमावली क्यों बनायी, नियोजित शिक्षकों का भविष्य नहीं है?

बेतिया

अवधेश कुमार शर्मा, बेतिया : पश्चिम चम्पारण जिला मुख्यालय बेतिया स्थित छावनी मुहल्ला में नव निर्वाचित शिक्षक विधान पार्षद अफाक अहमद ने प्रेस कांफ्रेंस किया। उन्होंने कहा कि नई नियमावली में शिक्षकों के प्रमोशन एवं ट्रांसफर के जो नियम बनाए गए, उसका कोई औचित्य नहीं है। वर्तमान नियमावली के अनुसार एसटीईटी, टीईटी, सीटेट एवं दक्षता परीक्षा उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को परीक्षा देनी है, तब वह राज्यकर्मी होगा। पुराने शिक्षक भी परीक्षा देकर पास करेंगे, तभी राज्यकर्मी बनेंगे। क्या अभी नौकरी की तैयारी कर रहे युवाओं के साथ बैठकर वर्तमान समय में 50 वर्ष का शिक्षक उनकी बराबरी कर पायेंगे। यह कहां का न्याय है? शिक्षक संगठनों ने अपने अधिकार के लिए पहले भी आंदोलन कर अपने भविष्य को संवरा है।

उन्हें आज भी अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी। शिक्षकों के पास अभी भी वक्त है जाति-धर्म एवं अलग-अलग ठनों की राजनीति से ऊपर उठकर सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरिए, वरना समय (परिवार, कल बच्चे) आपको कभी माफ नहीं करेंगे। हम सबको प्रत्येक स्तर की बिहार की शिक्षा एवं शिक्षकों को बचाने के लिए लड़ाई लड़नी है। उन्होंने कहा कि आप सभी संकीर्ण सोच वाले नेताओं से मुक्त होइए, वरना दुर्गति भोगनी है। अब तो आर या पार की लड़ाई का ऐलान को तैयार हो शिक्षक बंधू।

श्रम नियोजित शिक्षकों ने अपनी जिंदगी के 18 वर्ष सरकार की उम्मीद में गुजारा हैं। वेतनमान, पेंशन, राज्यकर्मी दर्जा की आस लगाए, रहे किंतु सरकार ने एक झटके में सारे अरमान पर पानी फेर दिया। उन्होंने कहा कि आईये शपथ लें कि हम बिहार की शिक्षा विरोधी सरकार से लड़ कर अपने भविष्य तय करेंगे, नहीं तो उखाड़ फेंकेंगे। अफाक अहमद ने आह्वान किया कि सभी शिक्षक संघ संगठित हो समन्वय स्थापित करें और जनसुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर के नेतृत्व में यह संघर्ष करें।