फुलवारी शरीफ, बीपी प्रतिनिधि। त्याग व कुर्बानी का पवित्र त्योहार ईद उल अजहा उर्फ बकरीद को लेकर पटना के शहरी एवं ग्रामीण इलाके की मस्जिदों में रविवार की सुबह से ही नमाजियों की खासी भीड़ देखी गई। बकरीद के मौके पर लोगों ने सुबह से ही मस्जिदों में नमाज अदा की और एक दूसरे के गले मिलकर बकरीद की मुबारकबाद दी। बकरीद पर्व को लेकर शहरी और ग्रामीण इलाकों में हर चौक चौराहे पर प्रशासन के द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। प्रसिद्ध खानकाह के सचिव मौलाना मिनहाजुद्दीन ने लोगों को बकरीद की मुबारकबाद दी।
उन्होंने लोगों से कहा कि बकरीद एक कुर्बानी और त्याग की पर्व है इस पर्व को सभी लोग आपसी भाईचारा और सौहार्द पूर्ण वातावरण में मनाए। कोरोना काल के 2 वर्ष बाद शहरी एवं ग्रामीण मस्जिदों में नमाज पढ़ने वाले लोगों की काफी भीड़ देखी गई। फुलवारी शरीफ के खानकाह, ईसापुर, नया टोला, नोहसा, हारून नगर, शाही संगी मस्जिद, खलीलपुरा सबजपुरा, मिल्लत कॉलोनी अपना घर आना काजी नगर कॉलोनी कर्बल के मस्जिदों में सुबह से नमाजियों की भीड़ लगी रही।
त्याग और बलिदान का त्योहार है ईद-उल-अजहा :
बिहार झारखंड उड़ीसा के मुसलमानो की सबसे बड़ी एदारा इमारत शरिया के कार्यवाहक नाजिम मौलाना शिबली अल कासमी ने कहा कि मजहब-ए-इस्लाम में दो ईदें है एक ईद-उल-फितर और दूसरा ईद-उल-अजहा है। इस ईद-उल-अजहा यानि बकरीद के मुबारक मौके पर ही इस्लाम धर्म के मानने वाले हज जैसे अजीमुशान फ़र्ज़ की अदायगी के लिए शहर-ए-मक्का में वे जमा होते हैं।
इसी ईद-उल-अजहा में पूरी दुनिया के मुसलमान दो रेकत नमाज पढकर कुर्बानी करते हैं। यह कुर्बानी हजरत इब्राहिम और हजरत इस्माइल अलैहि सलाम द्वारा दी गई है। कुर्बानी की याद में इमान वाले अल्लाह के हुजूर पेश करते है। उन्होंने कहा कि कुर्बानी का मकसद त्याग और बलिदान का जज्बा पैदा करना है। अल्लाह के हुक्म के आगे गलत रास्तों को छोड़ कर नेकियों के रास्ते पर चलना है साथ ही हर बुराई- नफरत और जुल्म के रास्ते को छोड़कर अदल व इंसाफ के लिए त्याग व बलिदान के रास्ते पर चलना है।