फुलवारी शरीफ . मुसलमानों का पवित्र त्यौहार रमजान के पहले जुमे मे हजारों की संख्या में मुसलमान भाईयों ने नमाज अदा कि और नमाज पढ़ने के लिए लोगो की भीड़ मस्जिदों में उमड़ पड़ी. यहां तक के लोगों ने कड़ी धुप और सख्त गर्मी के बीच जुमे की नमाज अदा की . यूँ तो हर महिने की जुमा नमाज खास होती है मगर रमजान के महिनों कि जुमा पढ़ने का सबाब 70 गुणा ज्यादा होता है.राजधानी के मुस्लिम बहुल ईलाको पटना के सब्जीबाग , पीर दमडिया , फकीरबाड़ा , सुल्तानगंज , राजा बाजार , समनपूरा , शेखपुरा ,हमीदपुर कुर्जी , बांस कोठी , संगम कोलोनी , मैनपुरा , दुजरा ,लालकोठी दानापुर ,सुल्तानपुर , सगुना मोड़ , छोटी खगौल व बड़ी खगौल , जमालुद्दीन चक , दीघा , चितकोहरा , पहाडपुर ,अनीसाबाद , फुलवारी शरीफ के प्रसिद्ध खानकाह ए मुजिबिया , काजी नगर कोलोनी , अहमद कोलोनी , मिन्हाज नगर , शाही संगी मस्जिद , मिल्लत कोलोनी , लाल मियाँ की दरगाह , मिलकियाना , ईसापुर , खलीलपूरा सबजपूरा , नया टोला, बैतुल करीम मस्जिद, हारूण नगर , बोली मोहल्ला , कर्बला , फेडरल कोलोनी , गुलिस्तान महल्ला , मिल्लत कोलोनी , नोहसा , परसा बाजार , अब्दुल्लाह चक जानीपुर , अकबरपुर , बेउर , भुसौला दानापुर समेत आस पास के तमाम ग्रामीण व शहरी इलाके में मस्जिदों में रमजान के पहले जुमा की नमाज अदा करने के लिए रोजेदारों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी.
पहले जुमे के मौके पर नमाज अदा करने के लिए पहुंचने वाले नमाजियों की संख्या को देखते ही काफी इंतजाम किये गये थे. क्योंकि इस बार रमजान का पहला दिन है जुम्मा से शुरू हो रहा है ऐसे में मुस्लिम भाइयों में उत्साह चरम पर देखा गया.रोजेदारों को जुम्मा के नमाज अदा करने के समय हर मस्जिदों के आसपास सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस फोर्स लगातार गश्त करते रहे .नमाजियों ने अल्लाह ताला की बारगाह में हाथ उठाकर अल्लाह का शुक्रिया अदा किया. राजधानी पटना के फुलवारी शरीफ का प्रसिद्ध खानकाह मुजीबिया में सबसे ज्यादा नमाजियों की भीड़ उमड़ी रही. हर कदम खानकाह की ओर बढ़ रहा था कोई वजू कर रहा है, कोई सुन्नत नमाज पढ़ रहा है तो कोई कलाम पाक कि तिलावत कर रहा है तो कोई वजीफा पढ़ रहा है, कोई तसबीह पढ़ रहा है पूरा वातावरण धार्मिकमय हो गया है.
वहीं सभी मस्जिदों में इमाम साहेब ने रोजेदारों एवम नमाजियों से मुखातिब होते हुए खुतबे में फरमाया कि यह रमजान शरीफ का महीना है. इबादत के पाक माह रमजान में जुमे की पहली नमाज सबसे खास मानी जाती है. यह दिन पहली बार रोजा रखने वाले बच्चों के लिए भी बेहद पाक माना जाता है. इस मौके पर मस्जिदों में तकरीरें हुयी. रमजान की अहमियत बताते हुए गरीबों की मदद करने का सुझाव दिया. वहीं, गुनाहों की माफी के लिए रमजान में रोजा रखने की जरूरत को बताया.इमाम साहेब ने बताया की भूखा-प्यासा रहने से क्या लाभ है. उन्होंने बताया की प्यारे नवी हजरत सल्लाह अलैह वसल्लम के साथी तमन्ना रहती थी कि पूरा साल रमजान हो जाये तो कितना अच्छा होता.
लेकिन आज का मुसलमान , उसी नवी को मानने वाले, उसी कुरान शरीफ पर ईमान रखने वाले यह चाहते हैं कि रमजान का महीना नहीं होता तो कितना अच्छा होता. भूखा-प्यासा रहने से क्या लाभ ? प्यारे नवी की एक हदीश में है कि रोजा रखो और स्वस्थ्य रहो. रोजे की हालत में दिन भर कुछ खाने पीने की हलाल चीजों को छोड़ना पड़ता है. रोजा रखने वाले हर मुसलमान को इससे सीख मिलती है कि पूरी जिंदगी हराम और बुरे कामों से दूर रहो. जो रहमत मगफिरत और जहन्नम से निजात का माह है. इस्लाम की बुनियाद ही पांच चीजों पर कायम है. पहला कलमा पढ़ना, दूसरा नमाज, तीसरा रमजान में रोजे रखना, चौथा जकात अदा करना और पांचवा मालदार मुसलमान हज जरूर करें. उन्होंने कहा कि यह बातें तमाम मुसलमान मर्द, औरतों के लिए है.