पटना/ पुलिन त्रिपाठी। बिहार में महागठबंधन की सरकार तो बन गई। नीतीश आठवीं बार सत्ता पर काबिज भी हो गए पर अभी उनके पास से दिक्कतों का ढेर कम नहीं हुआ है। भले ही तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री बनाकर उन्होंने राजग को काफी हद तक साध लिया लेकिन बाकी के मंत्री पद उनके गले की फांस बनने वाले हैं।
दरअसरल सूत्रों के मुताबिक बिहार कैबिनेट का विस्तार 16 अगस्त को हो सकता है। इसके ठीक छह दिन बाद यानी 24 अगस्त को बिहार में फ्लोर टेस्ट होना है। सूत्रों की मानें तो इससे पहले बिहार में कैबिनेट की तस्वीर साफ हो जानी चाहिए। कैबिनेट की तस्वीर कैसी तामील होगी यह तो आने वाले तीन दिनों में पता चल ही जाएगा। पर हां मंत्री पदों की बंदरबांट के किस्से अभी से उजागर होने लगे हैं।एक ओर कांग्रेस का कहना है कि रिक्त मंत्री पदों में से कांग्रेस को सम्मानजनक प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए वहीं लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव स्वास्थ्य मंत्रालय की कमान अपने हाथ में चाह रहे हैं।
वहीं हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी मात्र चार विधायकों के नेता होने के बाद भी दो मंत्री पदों की मांग रख चुके हैं। जब नीतीश बीजेपी के साथ सत्ता में थे तो भाजपा के कोटे में 17 मंत्री पद गए थे। अब सवाल यह उठता है कि कांग्रेस का सम्मान करें तो कुछ एमएलसी नाराज हो सकते हैं। एमएलसी को देखें तो एक संभावना जो आरएलजेपी के दो फाड़ की दिखाई देनी शुरू हुई है वह धूमिल हो जाएगी।
इसकी वजह है कि सूत्रों के मुताबिक आरएलजेपी के तीन सांसद महागठबंधन में जाने की तैयारी कर चुके हैं। इनमें सांसद चंदन सिंह, बीना देवी और महबूब अली कैसर के नाम शामिल हैं। पुख्ता सूत्रों के मुताबिक यह तीनों सांसद जेडीयू को समर्थन देने का मन बना चुके हैं। आरएलजेपी के पास कुल पांच सांसद हैं। बाकी बचेंगे दो सांसद आरएलजेपी से खुद केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस और उनके पुत्र प्रिंस राज।
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