डेस्क। बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर ने वर्ष 2025 के लिए अपनी व्यापक कार्य योजना की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य राज्य के किसानों को त्वरित कृषि सूचना देते हुए किसानों को कृषि क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों का समवेश करना है। विश्वविद्यालय के कुलपति, डॉ. डी. आर. सिंह के मार्गदर्शन में तैयार की गई इस योजना के तहत किसानों, युवाओं और कृषि उद्यमियों के समग्र विकास पर विशेष ध्यान दिया गया है।
इस कड़ी में 14 जनवरी 2025 से एग्री डिजिटल क्लिनिक और एग्री बिजनेस सेंटर का संचालन शुरू किया जाएगा। कौशल विकास हेतु प्रशिक्षण सहित अन्य कार्यक्रमों का क्रियान्वयन एवं ऑनलाईन माध्यम से युवाओं का घर बैठे पंजीकरण एवं वर्ष 2025 में 100 प्रशिक्षण के माध्यम से लगभग 3000 युवाओं का कौशल विकास किया जायेगा जिसमें ऑनलाइन माध्यम से 3000 युवाओं को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है।
विश्वविद्यालय द्वारा डिजिटल प्लेटफार्मों का अधिकतम उपयोग करते हुए, e-BAU कॉमर्स पोर्टल की शुरुआत की जाएगी। इस पोर्टल के माध्यम से किसान अपने उत्पादों की मार्केटिंग डिजिटल माध्यम से कर सकेंगे। इसके अतिरिक्त, 06 और 07 जनवरी 2025 को डिजिटल एग्रीकल्चर पर विशेष कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा, जिसमें कृषि क्षेत्र में तकनीकी नवाचारों पर जोर दिया जाएगा।
इसके साथ ही 22 से 24 फरवरी 2025 के बीच आयोजित होने वाला “बिहार किसान मेला-सह-प्रदर्शनी” होगा, जिसका विषय “कृषि उद्यमिता से समृद्ध किसान” रखा गया है। यह आयोजन किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों, जैविक खेती और उद्यमिता के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराएगा।
आगामी वर्ष में विश्वविद्यालय प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कृषि विज्ञान केंद्रों में बायो-इनपुट रिसोर्स सेंटर स्थापित करेगा। इसके अतिरिक्त, आलू के उन्नत बीज उत्पादन के लिए ‘एरोपोनिक्स यूनिट’ और मिलेट प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना की जाएगी, जो जलवायु-अनुकूल खेती को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। वैज्ञानिकों की सहायता से नवीनतम तकनीकों के प्रयोग और उनके विकास को लेकर विभिन्न संगोष्ठियों और कार्यशालाओं का आयोजन भी किया जाएगा।
राज्य के किसानों के लिए ज्ञान के प्रसार को और अधिक सुलभ बनाने हेतु सरल भाषा में पुस्तकों, पत्रिकाओं और साहित्य का प्रकाशन किया जाएगा। साथ ही, जिला स्तर पर ‘किसान पुस्तकालय’ स्थापित करने की योजना है, ताकि किसान अपनी आवश्यक जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकें।
देश के कृषि एवं संबद्ध विषयों के विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों का कृषि सूचना क्रांति (ICT) आधारित विषय (Agriculture 5.0: Embracing AI & ICT for Next-Generation Agriculture, BAU, Sabour- January 28 – February 17, 2025) पर 21 दिवसीय CAFT के माध्यम से प्रशिक्षण जिसमें देश के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिक विश्वविद्यालय के लिए कृषि सूचना क्रांति के तकनीकियों को सीखेंगे।
कृषि वैज्ञानिकों के उन्नत प्रशिक्षण के लिए विश्वविद्यालय देश के प्रमुख संस्थानों जैसे IIMR, हैदराबाद, और IIHR, बेंगलुरु के साथ साझेदारी करेगा। इससे 100 से अधिक वैज्ञानिकों को आधुनिक तकनीकों का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
कृषि ज्ञान वाहन के माध्यम से कृषकों से विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का आभासी माध्यम से सीधे संवाद जारी रहेगा। वहीं चतुर्थ बिहार कृषि रोड मैप में स्वीकृत बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के नियंत्रणाधीन कृषि विज्ञान केन्द्रों के वीडियो क्रान्फ्रेसिंग सुविधा को और भी हाई टेक किया जाएवा।
विश्वविद्यालय खोलेगा एक और सामुदायिक रेडियो
कृषि विज्ञान केन्द्र, बाढ़ (पटना), मानपुर (गया) एवं विश्वविद्यालय मुख्यालय सबौर में सामुदायिक रेडियो स्टेशन का सफलतापूर्वक संचालन के बाद कृषि विज्ञान केन्द्र, कटिहार में फ़रवरी 2025 तक सामुदायिक रेडियो स्टेशन शुरू करेगा। बिहार कृषि विश्वविद्यालय से चल रहे एफएम ग्रीन के डिजिटल प्रसारण को और भी उन्नत करते हुए नए मोबाइल एप्प लॉन्च किया जायेगा जिसमें किसान लाइव कार्यक्रम में एप्प से चैट कर पाएंगे साथ ही श्रोता अपनी आवाज़ में त्वरित फीडबैक दे सकेंगे। किसान द्वारा दिए गए फीडबैक को प्रसारित भी किया जायेगा।
कृषि भवन, पटना में विश्वविद्यालय के सहयोग से निर्मित मीडिया सेन्टर का निर्माण किया गया है जिसका शुभारंभ भी किया जायेगा। मीडिया सेंटर द्वारा कृषकों की मांग आधारित तकनीकी फिल्मों का निर्माण कराया जायेगा। इसके साथ ही बिहार कृषि मौसम सेवा के तहत डिजिटल कृषि एडवाइजरी शुरू करने की जायेगी।
विश्वविद्यालय द्वारा नए वर्ष में और भी उन्नत प्रसार मॉडल अपनाने पर माननीय कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने ख़ुशी जाहिर करते हुए कहा कि आगामी वर्ष में बीएयू कृषि प्रसार केलिए और भी उन्नत और हाईटेक स्वरुप में कार्य करेगा जो कि बिहार के किसानों को नवाचारों और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से लैस करेगी। इससे कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा और किसान आर्थिक रूप से मजबूत होंगे।