-कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नें राज्य में खुशहाली के लिए कृषि को सदैव प्राथमिकता देने का काम किया है। बिहार खाद्यान्न के मामले में आत्म निर्भर है।
भागलपुर,विक्रांत। राज्य सरकार का एकलौता भागलपुर सबौर स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा.अरूण कुमार नें कहा कि सूबे में व्याप्त बेरोजगारी को दूर करने के लिए कृषि आधारित स्कील्स वोकेशनल प्रशिक्षण केन्द्र खोलने की सख्त जरूरत है। कृषि विवि स्तर पर वोकेशनल प्रशिक्षण केन्द्र खोलने की योजना बनाई गई है।
कुलपति डा.अरूण कुमार ने ‘बिफोर प्रिंट‘ के साथ बात-चीत के दरम्यान बताया कि सूबे के 18 साल से लेकर 60 साल के अंदर वाले लोगो के स्कील्स डेवलपमेंट के लिए कृषि विभाग नें मधुमक्खी पालन, मशरूम की खेती, फूड प्रोसेसिंग, आटा से ब्रेड का निर्माण, बिस्कुट का निर्माण, डोरोन कैमरा का संचालन, प्लंबरिंग कार्य, कृषि यंत्रों का संचालन एवं कम्प्यूटर का संचालन आदि का प्रशिक्षण प्रदान करने की विश्वविद्यालय द्वारा योजना बनाई गई है।
इस तरह का एक महत्वपूर्ण नाॅर्म हैदराबाद में मौजूद है। कुलपति ने बताया कि इस योजना को साकार करने की दिशा में कृषि शिक्षा एवं शोध शिक्षा परिषद की बैठक दरम्यान कृषि मंत्री के समक्ष चर्चा भी हुई है।इस योजना से राज्य सरकार के मुख्यमंत्री को भी जल्द ही अवगत कराया जाएगा।
‘एकलौता बिहार कृषि विवि की स्थापना वर्ष 2010 में हुई थी‘
आगे कुलपति नें बताया कि एकलौता बिहार कृषि विश्वविद्यालय का शुभारंभ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2010 में बिहार में खुशहाली लाने व कृषि कार्य को बढ़ावा देने के लिए किया था।साथ ही बाढ़ व कटाव की मार से जूझते बिहार को बचाने के लिए मुख्यमंत्री ने जलवायु अनुकूल खेती के विकास व नई खोज के लिए विश्वविद्यालय की स्थापना की थी।
कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने अपने निरंतर प्रयास व कड़ी मिहनत के बूते जलवायु अनुकूल खेती कार्य को नई आयाम प्रदान करने का काम किया है। धान के कई नई प्रभेद को विकसित करने सूबे की पहचान नेशनल क्षितिज पर बनाने का काम किया है। वैज्ञानिको के धान की नई प्रभेद को नेशनल स्तर पर मान्यता तक मिल चुकी है। कुलपति डा.कुमार नें बताया कि बिहार के लोग मिहनतकश लोग है।
यहां के लोगो में किसी चीज को जानने के प्रति काफी उत्सुकता पाई जाती है। आगे कुलपति ने बिफोर प्रिंट के साथ खास बात-चीत के दरम्यान बताया कि मौसम के परिवर्तन को देखते हुए उसके अनुसार खेती करना अत्यावश्यक है।उन्होनंें कहा कि बिहार में मोटे अनाज में यथा ज्वार,मक्का,मड़ुआ एवं बाजड़ा की खेती करना प्रायः किसान भूल सा गए है।
आपात काल में मोटे अनाज मानव के लिए सहयोगी बनता है।मोटे अनाज से ही लोगो को न्यूटेरेसन पोषक तत्व मिलता है। कुलपति डा.कुमार ने कहा कि मोटे अनाज का उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाने के लिए किसानों के बीच जागरूकता अभियान चलाए जानें की सख्त जरूरत है।
मोटे अनाज हमारी विरासत की पहचान है।पुरानी विरासत को वापस लाना होगा। डा.कुमार ने बताया कि मोटे अनाज में मिनरल विटामीन से लेकर मानव शरीर के स्वास्थ को सीधे लाभ पंहुचाने वाले अन्य कई पोषक तत्व पाए जाते है।डा.कुमार नें साफ तौर पर कहा कि प्रदेश का विकास होगा तब ही देश का विकास संभव है।