कृषि में नवाचार का महाकुंभ: बिहार कृषि विश्वविद्यालय में 34 स्टार्टअप्स ने दिखाई तरक्की की राह

भागलपुर

सबाग्रिस मंच पर प्रस्तुत हुए अद्वितीय आइडियाज, किसानों के जीवन में लाएंगे समृद्धि की नई लहर

विक्रांत। बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू), सबौर में 27-28 फरवरी, 2025 को आयोजित सबौर एग्री इनक्यूबेटर्स (सबाग्रिस) कार्यक्रम में नवाचार की नई ऊंचाइयों को छूने वाले 34 स्टार्टअप आइडियाज ने प्रारंभिक फंडिंग के लिए मंच पर दस्तक दी। इस दो दिवसीय कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. ए.के. सिंह, निदेशक अनुसंधान, बीएयू, सबौर और सबाग्रिस के प्रधान अन्वेषक (PI) ने की, जिन्होंने कृषि में नवाचार और उद्यमिता को प्रोत्साहित करने की विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को मजबूती से प्रस्तुत किया।

बीएयू के कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने युवाओं के नवाचार की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए कहा,
“इन स्टार्टअप्स ने परंपरागत कृषि ज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़कर एक सुनहरे भविष्य की राह बनाई है। बीएयू ऐसे परिवर्तनकारी विचारों को प्रोत्साहित करने के लिए संकल्पबद्ध है, जो न केवल उत्पादकता बढ़ाएंगे, बल्कि किसानों के जीवन में समृद्धि की लहर भी लाएंगे।”

डॉ. ए. के. सिंह ने इस कार्यक्रम की रणनीतिक महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा, “ये स्टार्टअप्स अगली पीढ़ी के कृषि-नवाचारों का प्रतीक हैं। बीएयू उनके सपनों को साकार करने के लिए सम्पूर्ण समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है, जो कृषि पारिस्थितिकी तंत्र को स्थिरता और समृद्धि की ओर ले जाएंगे।”

नवाचार के जरिए आर्थिक समृद्धि की ओर एक कदम
यह आयोजन पारंपरिक कृषि को अत्याधुनिक तकनीक के साथ जोड़ने और किसानों की आय में वृद्धि, उत्पादकता में सुधार तथा स्थायित्व को बढ़ावा देने के बीएयू के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।

पिछले वर्ष की तुलना में प्रस्तुत स्टार्टअप्स की संख्या में 25% की वृद्धि हुई है, जिससे यह स्पष्ट है कि युवा उद्यमियों में कृषि नवाचार के प्रति उत्साह और जागरूकता तेजी से बढ़ रही है। ये आइडियाज लगभग 50,000 किसानों को सीधे लाभ पहुंचाने की क्षमता रखते हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बनाने में मदद मिलेगी।

पहला दिन: कोहोर्ट VI और VII के स्टार्टअप्स ने दिखाई नई राह
पहले दिन में कोहोर्ट VI के 12 और कोहोर्ट VII के 9 सहित कुल 21 स्टार्टअप्स ने अपने नवाचारपूर्ण विचार प्रस्तुत किए, जो कृषि क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का माद्दा रखते हैं:
• मखाना के मूल्यवर्धित उत्पाद: स्थानीय उत्पाद को स्वास्थ्यवर्धक और लजीज बनाकर वैश्विक बाजार में पहचान दिलाना।
• फ्लेवरयुक्त पानी और बायोडिग्रेडेबल एग्री प्लेट्स: पर्यावरण-संवेदनशील उत्पादों के साथ स्वास्थ्य और स्वच्छता का संगम।
• मशरूम स्पॉन उत्पादन और बैटरी चालित मिनी हार्वेस्टर: छोटे किसानों के लिए कम लागत में अधिक उत्पादन की कुंजी।
• स्वचालित सोलर-आधारित ड्रायर और AI-आधारित पशु चिकित्सा समाधान: सौर ऊर्जा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग कर उत्पादकता और दक्षता में वृद्धि।
डॉ. ए. के. सिंह ने इन नवाचारों की सराहना करते हुए कहा, “ये आइडियाज केवल तकनीकी समाधान नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत की समृद्धि की नई इबारत लिखने की ओर कदम हैं।”
दूसरा दिन: एग्री-टेक और युवा सोच का संगम
दूसरे दिन में एग्री-उद्यमिता अभिविन्यास कार्यक्रम के तहत 9 स्टार्टअप्स और छात्र अभिविन्यास कार्यक्रम के तहत 4 स्टार्टअप्स ने भविष्य की कृषि का ब्लू प्रिंट प्रस्तुत किया:
• IoT-सक्षम मशरूम खेती और पानी के भीतर ड्रोन मत्स्य पालन: सटीक और कुशल खेती के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी का उपयोग।
• सेफ फूड और वेजिटेबल चेकर एवं त्वरित डिलीवरी सिस्टम: स्वस्थ भोजन की गारंटी और फ्रेश फार्म उत्पादों की आपूर्ति में नई क्रांति।
• मखाना के लिए डिजिटल मार्केटप्लेस और इनडोर केसर की खेती: अत्यधिक लाभकारी कृषि व्यवसायों को डिजिटल युग में लाना।
• उच्च पोषक वर्मी कम्पोस्ट समाधान: जैविक अपशिष्ट प्रबंधन से स्थायी कृषि को प्रोत्साहन।

विशेषज्ञों के मार्गदर्शन से मिला भविष्य का संबल
कार्यक्रम में कृषि जगत के दिग्गज विशेषज्ञों ने भाग लिया और मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान किया, जिनमें शामिल थे:
• डॉ. रवि गोयल, सीईओ, NIAM, जयपुर – “भारत में एग्री-बिजनेस को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की अपार संभावनाएं हैं।”
• डॉ. बिकास सरकार, प्रधान वैज्ञानिक, RCER-ICAR, पटना – “नवाचारों में निहित व्यावसायिक संभावनाएं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बदलने की क्षमता रखती हैं।”
• डॉ. पी.के. सुंदरम, वरिष्ठ वैज्ञानिक, ICAR, पटना – “ये स्टार्टअप्स भारतीय कृषि की तस्वीर बदलने की अपार क्षमता रखते हैं।”
• डॉ. पवनजीत के व्यावहारिक दृष्टिकोण ने प्रतिभागियों को अपने उद्यमिता के सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित किया।

अगले कदम: मेंटरशिप और फंडिंग का समर्थन
बीएयू, सबौर ने इन स्टार्टअप्स को मेंटरशिप, नेटवर्किंग और फंडिंग सहायता प्रदान करने की योजना बनाई है ताकि वे अपने विचारों को व्यावसायिक रूप में साकार कर सकें। डॉ. दीपक कुमार पटेल और डॉ. आदित्य सिन्हा की उपस्थिति ने विश्वविद्यालय की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाया।

कृषि-तकनीकी नवाचार में बिहार का नेतृत्व
यह कार्यक्रम बीएयू, सबौर में नवाचार और उद्यमिता की जीवंत भावना को दर्शाता है और अगली पीढ़ी के एग्री-इनोवेटर्स को सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर कृषि क्षेत्र में परिवर्तन का अगुआ बनते हुए पूर्वी भारत में नवाचार और आर्थिक समृद्धि का केंद्र बनने की दिशा में मजबूती से अग्रसर है।