बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के माध्यम से पंचायत स्तर तक पहुँचेगी मौसम आधारित कृषि परामर्श सेवा

भागलपुर

भागलपुर, विक्रांत : बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर (बीएयू) में बिहार सरकार द्वारा स्वीकृत जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत “कृषि निर्णय समर्थन प्रणाली प्रयोगशाला” (Agricultural Decision Support System Laboratory) की स्थापना की गई है। यह प्रयोगशाला देश और राज्य की पहली उन्नत तकनीकी सुविधा है, जिसके माध्यम से राज्य के सभी पंचायतों के किसानों को वैज्ञानिक और सटीक मौसम आधारित कृषि परामर्श उपलब्ध कराया जाएगा।

डॉ. डी. आर. सिंह, कुलपति, बीएयू, सबौर ने इस पहल के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा:
“मौसम आधारित कृषि परामर्श प्रणाली, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग (ML) तकनीकों का उपयोग कर किसानों को सटीक और समय पर कृषि सलाह प्रदान करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। इस प्रणाली के माध्यम से बिहार के किसान मौसम जोखिमों को बेहतर तरीके से प्रबंधित कर सकेंगे, जिससे उनकी उत्पादकता और आय में वृद्धि होगी। हमारा उद्देश्य कृषि को जलवायु-लचीला और टिकाऊ बनाना है, और यह पहल इस दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी।”

बिहार के कृषि परिदृश्य की चुनौतियाँ और समाधान
बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है, जहाँ 80 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या कृषि से जुड़ी हुई है। यह राज्य दो विपरीत और विरोधी जलवायु प्रभावों—बाढ़ और सूखे का सामना करता है, जो बिहार के विभिन्न हिस्सों में एक साथ उत्पन्न होते हैं। इन जलवायु संकटों से निपटने के लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, बिहार सरकार के कृषि विभाग के सहयोग से, “जलवायु सहनशील कृषि कार्यक्रम” के तहत एग्रो डिसीजन सपोर्ट सिस्टम (ADSS) विकसित कर रहा है।

एग्रो डिसीजन सपोर्ट सिस्टम (ADSS) की प्रमुख विशेषताएँ:
• आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित स्वचालित प्रणाली – यह प्रणाली मौजूदा मौसम परिस्थितियों, जमीनी स्तर के डेटा, और ऐतिहासिक मौसम पैटर्न का उपयोग करके सटीक कृषि परामर्श तैयार करती है।
• एग्रो-अडवाइजरी सेवाएँ – किसानों को पिछले, वर्तमान और भविष्य के मौसम परिवर्तनों के आधार पर फसल प्रबंधन, कीट और रोग नियंत्रण, जल उपयोग एवं इनपुट प्रबंधन पर मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा।
• मौसम-संवेदनशील फसलों और कृषि गतिविधियों का विश्लेषण – यह प्रणाली फसलों की महत्वपूर्ण वृद्धि अवस्थाओं और मौसम-संवेदनशील कृषि संचालन को ध्यान में रखते हुए व्यक्तिगत रूप से अनुकूलित परामर्श तैयार करेगी।

इस पहल के प्रमुख उद्देश्य:
• जलवायु, मिट्टी और फसल जानकारी एकत्र कर एक सशक्त डेटाबेस तैयार करना, जिससे परामर्श की सटीकता और प्रभावशीलता बढ़े।
• रियल-टाइम मौसम पूर्वानुमान की पुष्टि करना और प्रमुख मौसम घटनाओं की रिपोर्टिंग।
• सेवाओं की पहुँच और प्रसार को बढ़ाना, ताकि अधिक किसानों को लाभ मिल सके।
• किसानों से प्रतिक्रिया (feedback) एकत्र कर सेवाओं में निरंतर सुधार करना।

सूचना प्रसार के डिजिटल माध्यम:
• एंड्रॉइड-आधारित मोबाइल एप्लिकेशन (BICAS) – यह एक उन्नत ऐप है, जो इंटरएक्टिव चैटबॉट और वॉयस कमांड सुविधा से लैस होगा।
• ज्ञान पोर्टल – एक वेब-आधारित प्लेटफॉर्म, जहाँ किसान विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
• डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) प्रणाली – इस चैनल के माध्यम से किसानों को 360 वर्णों तक की वास्तविक समय की कृषि जानकारी सीधे उनके मोबाइल पर भेजी जाएगी।

राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर एक क्रांतिकारी पहल
यह भारत और बिहार में अपनी तरह का पहला प्रयास है, जहाँ AI प्रौद्योगिकी का उपयोग करके पंचायत स्तर पर कृषि परामर्श तैयार किया जाएगा। बिहार में 8,463 ग्राम पंचायतें हैं, और यह प्रणाली प्रत्येक पंचायत स्तर पर स्थानीय जरूरतों के अनुसार मौसम आधारित कृषि परामर्श सेवाएँ विकसित करेगी।

डॉ. अनिल कुमार सिंह, निदेशक अनुसंधान, बीएयू, सबौर ने इस पहल के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि “बिहार में कृषि जलवायु जोखिमों से अत्यधिक प्रभावित होती है, जिससे किसानों की आजीविका और उत्पादन प्रभावित होता है।

एग्रो डिसीजन सपोर्ट सिस्टम (ADSS) एक अभिनव समाधान है, जो वैज्ञानिक विश्लेषण और उन्नत तकनीकी क्षमताओं का उपयोग करके किसानों को व्यक्तिगत और स्थानीयकृत कृषि सलाह प्रदान करेगा। इस पहल से कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी और किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, यह प्रणाली जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और खेती को अधिक लाभकारी बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।”

बिहार को जलवायु-लचीली कृषि में अग्रणी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
इस क्रांतिकारी पहल से किसान सटीक, वैज्ञानिक और डेटा-संचालित कृषि निर्णय लेने में सक्षम होंगे, जिससे उनकी उत्पादकता, कृषि आय और जलवायु अनुकूलन क्षमता में वृद्धि होगी। यह प्रणाली बिहार को सतत कृषि विकास एवं जलवायु-लचीली कृषि में राष्ट्रीय स्तर पर एक अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित करेगी।