बीएयू में आईसीएआर नई दिल्ली के तत्वाधान में आयोजित कार्यशाला संपन्न.. सहभागी नामचीन विज्ञानियों को कुलपति डा. डी.आर. सिंह ने किया सम्मानित..

भागलपुर

डेस्क/ विक्रांत। बिहार कृषि विश्वविद्यालय, (बीएयू )सबौर के मुख्य सभागार में एंव भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली के तत्वधान में अखिल भारतीय समन्वित फल अनुसंधान परियोजना का आज समापन हुआ। इस 12वी समूह बैठक की चार दिवसीय वार्षिक कार्यशाला के समापन सत्र के दौरान मंच पर देश के दर्जन भर नामचीन विज्ञानी सहित कुलपति भी उपस्थित थे। कार्यशाला के सफल संचालन के बाद हुए समापन पर कुलपति डॉ. डी आर सिंह ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों व कर्मियों सहित शिक्षको को बधाई दी है.इस समापन सत्र की बैठक की अध्यक्षता डॉ0 ए0 के0 सिंह, निदेशक अनुसंधान बिहार कृषि विष्वविद्यालय, सबौर ने की. मंच संचालन का कार्य डॉ0 एस0 प्रिया देवी, वैज्ञानिक, आई0 आई0 एच0 आर0 ने की।

विदित हो की इस चार दिवसीय वार्षिक कार्यषाला के पिछले चार दिनांे में राष्ट्रीय स्तर के फल के वैज्ञानिकों ने भाग लिया एंव अपने अनुसंधान कार्यों के उपल्बधियों को प्रस्तुत किया। कुल 14 तकनिकी सत्रों में यह प्रस्तुती करण की प्रकिया सफल हो पाई। प्रत्येक तकनिकी सत्र में भाग लेने वाले फल वैज्ञानिकों ने अपनी उपल्बधियों का प्रस्तुती करण तकनिकी सत्र के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एंव संजोयक समक्ष किया और प्रत्येक कलमबद्ध सत्र में उपस्थित रेपोटियर ने किया।

यू तो अखिल भारतीय समन्वित फल अनुसंधान परियोजना की बैठक पूर्णतः वैज्ञानिक बैठक है जिसमें वैज्ञानिक अपने उपल्बधियों एंव समस्याओं की चर्चा करते है परन्तु इस बार इस चार दिवसीय कार्यषाला के तीसरे दिन अर्थात 13.02.2025 को किसानों के हित को ध्यान में रखकर वैज्ञानिकों एंव किसानों के बीच एक खुला संबाद किया गया, जिसमें डॉ0 आर0 के0 सुहाने, निदेशक प्रसार, डॉ0 विकास दास, निदेशक एन0 आर0 सी0 एल0, विज्ञानी डॉ0 अहमर अफताब ने सिरकत किया। इस विशेष सत्र में प्रगतिषील किसानों ने भाग लिया एंव अपनी उपल्बधि एंव समस्याएं वैज्ञानिकों के समक्ष रखी।

ताकी वैज्ञानिक उनकी समस्याओं को प्रथामिकता के आधार पर अपने अनुसंधान कार्यक्रम में उनका समायोजन कर पाए। भागलपुर बिहार के प्रगति शील किसान,मनीष कुमार सिंह ने बिहार कृषि विष्वविद्यालय, सबौर एंव भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली के वैज्ञानिक द्वारा की गई सहायता की भूरी भूरी प्रशंसा की एंव आम में आ रही फलन की समस्या, पोस्ट हारवेस्ट टेक्नोलॉजी की संरचना की कमी को उजागर किया एंव निदान के लिए कार्य करने का अनुरोध किया, मुंगेर के धन्नजे कुमार ने ष्षीतगृह की कमी पर बल दिया।

बेगूसराय के अनीष कुमार ने स्वदेषी फल एंव फलों के विविधीकरण पर जोड़ देने के लिए कहा वही बिहार के मेंगों मेन के रूप में प्रसिद्ध श्री अषोक चौधरी ने बगीचा-प्रबंधन, एंव कीटों के प्रकोप को प्रमुख्ता से रखा। अंत में नवगछिया के श्री चंदन कुमार सिंह ने लीची से संबंधित मुद्दे को उठाया। डॉ0 सचीन चौहान, पारिया केन्द्र एंव डॉ0 जे0 एस0 चौधरी, राँची केन्द्र के कीट वैज्ञानिकों ने किसानों को वैज्ञानिक निदान उपल्बध कराया। सत्र के अंत में वैज्ञानिकों ने इन समस्याओं को अपने अनुसंधान कार्यों समायोजन करने का विष्वास दिलाया एंव फलों रख-रखाव हेतु विषेष थैले का निर्माण, फ्यूजेरियम विषाणु जनित रोग पर कार्य करने की आवष्यकता पर बल दिया।

समापन सत्र के दौरान कुल 11 फलों से संबंधित तकनिको का विमोचन किया गया तथा विभिन्न क्षेत्रों में वैज्ञानिकों को प्रत्साहित करने हेतु प्रमाण पत्र भी निर्गत किये गये। इनमें अरावरी केन्द्र को सर्वाधिक राजस्व उगाई हेतु सम्मानित किया गया, अनुसुचित जाति हेतु सर्वश्रेष्ठ कार्य करने लुधियाना केन्द्र अनुसुचित जन जाति क्षेत्रों में कार्य करने के लिए मेगजिमा केन्द्र एंव उच्च षोध प्रकाषन हेतु पष्चिम बंगाल के एक केन्द्र को सम्मनित किया गया। डॉ0 इंग्ले को सर्वश्रेष्ठ परियोजना अधिकारी के रूप में सम्मानित किया गया।

डॉ0 ए0 के0 सिंह, निर्देशक अनुसंधान बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर अपने अध्यक्षीय संबोधन में वैज्ञानिकों द्वारा किये गये कार्यो को सराहा एवं भविष्य उच्चतर कार्य करने हेतु उत्प्रेरित किया तथा कुलपति डॉ0 डी0 आर0 सिंह ने इन कार्यों के लिए दिये गये प्रोत्साहन को लेकर धन्यवाद व्यक्त किया। समापन सत्र का समापन डॉ0 प्रकाष पाटिल, परियोजना समंवयक (फल) के धन्यवाद ज्ञापन के साथ सम्पन्न हुआ। इस आशय की जानकारी विवि के जन संपर्क अधिकारी सह अधिष्ठाता डा राजेश कुमार ने दी है.