DESK : बिहार में इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक संस्थानों को लेकर CAG (कैग) की एक रिपोर्ट पर सियासी पारा एक बार फिर चढ़ गया है। बीजेपी ने इस रिपोर्ट को लेकर सीएम नीतीश कुमार को घेर रही। बीजेपी नेता निखिल आनंद ने कहा कि राज्य में शिक्षा व्यवस्था की बदहाली के लिए अकेले नीतीश कुमार जिम्मेदार हैं। वहीं बिहार सरकार के मंत्री सुमित सिंह ने कहा कि कैग की रिपोर्ट पर बीजेपी क्या कह रही है, मुझे इसकी परवाह नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि इस साल मार्च के बाद बक्सर को छोड़कर सभी जिलों में इंजीनियरिंग कॉलेज अपने परिसर से काम करना शुरू कर देंगे। आखिर रिपोर्ट में क्या है जिसको लेकर बिहार में गरमाई सियासत?
बता दें कि इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक संस्थानों के कामकाज पर हाल ही में बिहार विधानसभा में कैग रिपोर्ट पेश की गई। इसमें कहा गया कि विज्ञान-प्रौद्योगिकी विभाग और भवन निर्माण विभाग ने 2016-21 की अवधि के दौरान कुल बजट प्रावधान का क्रमश: 46 और 22 फीसदी वापस किया। राज्य सरकार ने फरवरी 2016 में ‘अवसर बढ़े आगे पढ़ें’ योजना के तहत 46 इंजीनियरिंग कॉलेजों/पॉलिटेक्निक संस्थानों की स्थापना के लिए 3,857 करोड़ रुपये मंजूर किए थे। रिपोर्ट के अनुसार, योजना की अवधि मार्च 2021 तक थी और 46 में से 18 बिल्डिंग निर्माण के लिए फंड का प्रावधान होने के बावजूद पूरा नहीं हुआ।
वहीं कैग रिपोर्ट के अनुसार, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) की ओर से निर्धारित मानदंडों के खिलाफ शिक्षकों की भारी कमी है। गैर शिक्षण कर्मचारियों की लगभग अनुपलब्धता के कारण बिहार का विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग इस योजना को ठीक से लागू नहीं कर सका। तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है।
कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि योजना का उद्देश्य जमीन के देरी से अधिग्रहण, अपर्याप्त बुनियादी ढांचे, सुविधाओं आदि से भी विफल रहा। इसके अनुसार, योजना का उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण तकनीकी और कौशल आधारित शिक्षा प्रदान करना था लेकिन इसे पांच साल बाद भी हासिल नहीं किया जा सका। रिपोर्ट में कहा गया कि मामला राज्य सरकार को भेजा गया था, लेकिन जवाब का इंतजार है।
कैग की रिपोर्ट पर बिहार बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि राज्य में शिक्षा व्यवस्था की बदहाली के लिए अकेले नीतीश कुमार जिम्मेदार हैं। 2005 से शिक्षा विभाग नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के पास था। अब उन्होंने राजद को इसकी कमान सौंपी है। उन्होंने कहा कि जहां तक उच्च शिक्षा की बात है तो कई नए संस्थान खुल गए हैं लेकिन पुराने प्रतिष्ठित संस्थानों की स्थिति चरमरा गई है।
निखिल आनंद ने कहा कि नियुक्ति प्रणाली बहुत भ्रामक है। हम अभी भी कॉलेज और विश्वविद्यालय के शिक्षकों को मासिक भुगतान और पेंशन नहीं दे पाए हैं। पाठ्यक्रम का सत्र निर्धारित समय से दो से पांच साल पीछे है। उन्होंने आरोप लगाया कि 2005 से आज तक लगातार कैग की रिपोर्ट ने शिक्षा के क्षेत्र में बिहार सरकार की दृष्टि और नीति कार्यान्वयन की कमी को उजागर किया है। बिहार की शिक्षा व्यवस्था रसातल के गर्त में है। उन्होंने कहा कि भविष्य की चुनौती यह है कि बिहार की शिक्षा प्रणाली को उसकी वर्तमान गड़बड़ी और अराजकता से कैसे उबारा जाए।