स्टेट डेस्क/ पटना। बिहार में शराबबंदी है अगर कोई भी शराब के नशे में पाया गया, पुलिस उसे गिरफ्तार करती है। यदि कोई सत्ताधारी दल के नेताओं के मामले में नीतीश कुमार की यह शराबबंदी नीति दम तोड़ देती है तो इस पर आप क्या कहेंगे? पटना में अगर कोई सत्ताधारी दल का नेता शराब पीते पकड़ा जाए तो मामला रफा-दफा कर दिया जाता है। दो दिन पहले पटना में एक ऐसा ही खेल खेला गया। रात के अंधेरे में एक नेता शराब के नशे में पकड़ा गया लेकिन यह जानकारी छिपा ली गई।
मामला गुरुवार और शुक्रवार का है देर रात राजधानी के अटल पथ इलाके में दो गाड़ियों के बीच टक्कर होने पर बवाल शुरू हुआ। साईं मंदिर के आसपास हुई इस घटना के बाद जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक कर शराब की नशे में बीजेपी के एक विधान पार्षद अटल पथ पर अपनी गाड़ी में सवार होकर जा रहे थे। इसी दौरान उनकी गाड़ी ने एक दूसरी गाड़ी में टक्कर मार दी। नेताजी की गाड़ी से जिस दूसरी गाड़ी में टक्कर लगी उसमें सवार युवक सड़क पर उतर गए। बीजेपी एमएलसी की गाड़ी को रोक लिया और गाड़ी में सवार नेताजी को बाहर निकलने के लिए कहा। नेताजी की गाड़ी पर पार्टी का झंडा लगा था और साथ में बॉडीगार्ड भी मौजूद था।
नेताजी विधान पार्षद होने का रौब दिखाने लगे लेकिन इन्हीं युवकों में से किसी एक में वीडियो बना लिया। इसके बाद बीजेपी एमएलसी को यह समझते देर नहीं लगी कि मामला बिगड़ गया है। जब वीडियो बनना शुरू हुआ तो नेताजी के ताव बदल गए। वह चुपचाप बार-बार अपनी गलती कबूलते दिखे। यह पूरा वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है। फिलहाल वीडियो की पुष्टि बिफोरप्रिंट नहीं करता है।
फिलहाल मौके पर पुलिस भी पहुंच गई लेकिन असल खेल इसके बाद शुरू हुआ। बीजेपी एमएलसी इस बात को भलीभांति समझ रहे थे कि शराब के मामले में उनका पकड़ा जाना पूरे राजनीतिक करियर को खत्म कर सकता है। जल्दबाज़ी में उन्होंने अपने पार्टी के आकाओं को फोन मिलाना शुरू किया। नेता जी थाने पहुंचते-पहुंचते सरकार में हड़कंप मच गया। चर्चा है कि आनन-फानन में सरकार के बड़े मंत्रियों से लेकर दिल्ली में बैठे पार्टी के नेताओं ने बड़े अधिकारियों को फोन मिलाया।
फिलहाल खबरे है कि मामला थाने पहुंचते ही मैनेज किया गया और मीडिया तक इस बात की जानकारी पहुंची कि अटल पथ पर हंगामा हुआ है और शराब के नशे में किसी बड़े शख्स को गिरफ्तार किया गया है। लेकिन सबसे दिलचस्प बात यह हुई कि बीजेपी एमएलसी की पहचान थाने पहुंचने के बाद छिपा ली गई। किसी दूसरे नाम के साथ पुलिस ने मीडिया के सामने जानकारी साझा की। अगले दिन अखबारों में खबर आई लेकिन बीजेपी नेता का नाम इस खबर से गायब था बल्कि उसकी जगह किसी ऐसे शख्स के बारे में जानकारी दी गई जिसका वजूद भी नहीं था। इस मामले में नेता को पूरी तरह बचा लिया गया। यह सब कुछ संभव हुआ नीतीश कुमार के सुशासन में सुशासन की पुलिस मैनेज हो गई।