पटना/स्टेट डेस्क। बिहार में जातीय जनगणना कराने का जो निर्णय आज लिया गया है, वह हमारी जीत है। यह बात बिहार सरकार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सर्वदलीय बैठक समाप्त होने के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना कराने में बहुत खर्च होगा।
बिहार पिछड़ा और गरीब राज्य है। अगर पूरे देश में एक साथ जनगणना की जाये तो किसी भी राज्य पर अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ता। लोकसभा और राज्यसभा में यह मांग उठायी जानी चाहिए कि जो राज्य आर्थिक रूप से कमजोर हैं उनके यहां का खर्च भारत सरकार उठाए। तेजस्वी ने कहा कि राज्य सरकार तो खर्च उठाएगी ही लेकिन केंद्र सरकार को भी खर्च में सहयोग करना चाहिए। अगर पूरे देश में जातीय जनगणना होती तो यह देशहित में होता।
भाजपा ने भी आज सर्वसहमति से प्रस्ताव पारित किया है। बिहार में जो जातीय जनगणना होनी है वह बिहार के लोगों के हित के लिए है और इसका विरोध करने का कोई मतलब नहीं बनता है। हम चाहते हैं कि जातीय जनगणना जल्द करा ली जाए। तेजस्वी ने कहा कि देश में सबसे महंगी जनगणना हुई लेकिन उसका डाटा हमें नहीं मिल पाया। बिहार में जातीय जनगणना के विरोध की कोई गुंजाइश नहीं है।
जब लोकसभा में मना किया गया तब हम बेचैन हुए और यह प्रस्ताव रखा कि प्रधानमंत्री से मुलाकात की जाए और अगर केंद्र सरकार मना करती है तो राज्य सरकार अपने खर्चे पर करवाए। उन्होंने कहा कि यह हमारी जीत है। यह लालू प्रसाद यादव की जीत है। यह बिहार के लोगों की, गरीबों की जीत है। इस जनगणना से लोगों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति के बारे में पता चलेगा और लोगों को काफी फायदा होगा और आज भी हम लोगों ने कई सारे सुझाव दिए हैं। इसका नाम जाति आधारित गणना रखा गया है।
उन्होंने कहा कि जाति आधारित गणना कराने का सबसे उपयुक्त समय नवंबर रहेगा। उस वक्त सारे लोग एक साथ होंगे, तब तक सारी तैयारियां कर ली जाएं। जाति आधारित गणना में केवल आरक्षण की बात नहीं है। उन्होंने कहा कि जब हमें पता चलेगा कि किस जात के लोग गरीब हैं, तब उसी हिसाब से सरकारी योजना बनाएंगे। उन्होंने कहा किजागरूकता के लिए प्रचार-प्रसार भी जोर-शोर से कराया जाए, यह हमारी मांग है। इस जाति गणना से लोगों को क्या फायदे हैं इसका भी प्रचार-प्रसार कराया जाए।
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