Bihar: अब फसल अवशेष पराली किसानों के लिए धन कमाने का बनेगा जरिया

बक्सर बिहार

नेशनल विद्युत प्रशिक्षण प्रतिष्ठान,पूर्वी दुर्गापुर किसानों को करेगा प्रशिक्षित। 11 नवम्बर को कृषि कालेज डुमरांव में किसान प्रशिक्षण शिविर का होगा आयोजन।

Buxar, Vikrant: सूबे केे किसानों के लिए खुशखबरी है। एकतरफ फसल अवशेष पराली से बिहार के किसान धन कमा सकते है। दुसरी ओर किसान प्रदूषण को नियंत्रित करने में अपना योगदान दे सकते है। नेशनल विद्युत प्रशिक्षण प्रतिष्ठान दुर्गापुर नें आगामी 11 नवम्बर को डुमरांव स्थित कृषि कालेज में किसानों को पराली जलाने से रोकने एवं पराली को कमाई का जरिया बनाए जानें को लेकर एक महत्वपूर्ण जागरूकता प्रशिक्षण शिविर का आयोजित करने का निर्णय लिया है।प्रशिक्षण शिविर में जैव-ईंधन के विभिन्न संभावित उपायों, फसल अवशेष प्रबंधन के लिए नेशनल नीति, कृषि मशीनीकरण, के लिए केन्द्रीय योजना, तापीय बिजली संयंत्रों के जलाने में जैव ईंधन का इस्तेमाल के माध्यम से बिजली उत्पादन में उपयोग की नीति से किसानों को अवगत कराया जाएगा। इस प्रशिक्षण शिविर में सूबे के विभिन्न जिला में गया, पटना, रोहतास, भोजपुर, बक्सर एवं कैमूर के सैकड़ो की संख्या में किसान हिस्सा लेगें।

इसकी जानकारी नेशनल विद्युत प्रशिक्षण प्रतिष्ठान पूर्वी क्षेत्र दुर्गापुर के निदेशक एस.के. श्रीवास्तव ने देते हुए बताया नेशनल मिशन का लक्ष्य पराली का उपयोग ताप विद्युत संयंत्रों में करना है। निदेशक श्रीवास्तव ने बताया कि ताप बिजली संयंत्रों में जैव ईंधन के एकत्रीकरण, परिवहन, आपूर्ति, आग जलाने में सहयोग के लिए एक परितंत्र विकसित करने एवं विभिन्न अनुप्रयोगों में पराली के उपयोग को बढ़ावा देना है। नेशनल विद्युत प्रशिक्षण प्रतिष्ठान द्वारा किसानों के हीत में बढ़ाए गए कदम की वैज्ञानिकों में डा.ए.के.जैन, ई.विकास चंद्र वर्मा, डा.अखिलेश कुमार सिंह, पवन शुक्ला, डा.मणी भूषण ठाकुर एवं डा.प्रकाश सिंह ने जमकर प्रशंसा करते हुए कहा कि इस तरह का जागरूकता शिविर राज्य मंें पहली बार आयोजित किया जाएगा।

इसी क्रम में कृषि कालेज के सभा कक्ष में प्राचार्य डा.रियाज अहमद की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई।मौंके पर उपस्थित नेशनल विद्युत प्रशिक्षण प्रतिष्ठान पूर्वी क्षेत्र दुर्गापुर के निदेशक, उप निदेशक एम. एल. सेनापति, प्रशासनिक विभाग के प्रशांत नायक द्वारा पराली को कमाई का जरिया बनाए जाने व प्रदूषण पर नियंत्रण आदि बिंदुओं पर किसानों को प्रशिक्षित करने को रूप रेखा तैयार की गई।