DESK : राजस्थान के राज्यपाल सह कुलाधिपति कलराज मिश्रा द्वारा भागलपुर स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति डा.अरूण कुमार को एस.के.राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय का स्थाई कुलपति नियुक्त किया है। राजस्थाई कुलपति बनाए गए बिहार कृषि विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति डा. अरूण कुमार ने बिफोर प्रिंट से एक खास बात चीत के दरम्यान कृषि क्षेत्र के कई अनछूए पहलुओं का खुलासा किया है। उन्होनें कहा कि बिहार प्रांत खाद्यान्न के मामले में आत्म निर्भर है। यहां के लोग काफी मिहनतकश है। बिहार के लोगों के बीच महज आनर के साथ जीने के लिए उनके स्कील्स डेवलपमेंट करने की जरूरत है। सूबे में व्याप्त बेरोजगारी को दूर करने के लिए कृषि आधारित स्कील्स वोकेशनल प्रशिक्षण केंद्र खोलने की सख्त जरूरत है। विवि स्तर पर वोकेशनल प्रशिक्षण केंद्र खोलने की योजना बनाई गई है।एवं कम्प्यूटर का संचालन आदि का प्रशिक्षण प्रदान करने की विश्वविद्यालय की योजना द्वारा योजना बनाई गई है। कुलपति ने बताया कि इस योजना का साकार करने की दिशा में कृषि शिक्षा एंव शोध शिक्षा परिषद की बैठक दरम्यान निवर्तमान कृषि मंत्री के समक्ष चर्चा भी हुई है। इस योजना से राज्य सरकार के मुख्यमंत्री को भी जल्द भी अवगत कराया जाएगा।
आगे कुलपति ने बताया कि एकलौता बिहार कृषि विश्वविद्यालय का शुभांरभ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2010 में बिहार में खुशहाली लाने व कृषि कार्य को बढ़ावा देने के लिए किया गया था। साथ ही बाढ़ व कटाव की मार से जूझते बिहार को बचाने के लिए मुख्यमंत्री ने जलवायु अनुकूल खेती के विकास व नई खोज के लिए विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने अपने निरंतर प्रयास व कड़ी मेहनत के बूते जलवायु अनुकूल खेती कार्य को नई आयाम प्रदान करने का काम किया है। धान के कई नई प्रभेद को विकसित करने सूबे की पहचान नेशनल क्षितिज पर बनाने का काम किया है। वैज्ञानिकों के धान की नई प्रभेद को नेशनल स्तर पर मान्यता तक मिल चुकी है। कुलपति डा. अरूण कुमार ने बताया कि बिहार के लोग मेहनतकश लोग है। यहां के लोगों में किसी चीज को जानने के प्रति उत्सुकता पाई जाती है।
आगे कुलपति ने विफोर प्रिंट के साथ खास बातचीत के दरम्यान बताया कि मौसम के परिवर्तन को देखते हुए उसके अनुसार खेती करना अत्यावश्यक है। उन्होंने कहा कि बिहार में मोटे अनाज में यथा ज्वार, मक्का, मडुआ एवं बाजड़ा की खेती करना प्रायः किसान भूल सा गए है। आपातकाल में मोटे अनाज मानव के लिए सहयोगी बनाता है। मोटे अनाज से ही लोगों को न्यूटेरसन पोषक तत्व मिलता है। कुलपति डा. कुमार ने कहा कि मोटे अनाज का उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाने के लिए किसानों के बीच जागरूकता अभियान चलाए जाने की सख्त जरूरत है। मोटे अनाज हमारी विरासत की पहचान है। पुरानी विरासत को वापस लाना होगा। डा. कुमार ने बताया कि मोटे अनाज में मिनरल विटामीन से लेकर मानव शरीर के स्वास्थ्य को सीधे लाभ पहुंचाने वाले अन्य कई पोषक तत्व पाए जाते है। डा. कुमार ने साफ तौर पर कहा कि प्रदेश का विकास होगा तब ही देश का विकास संभव है। आगे कुलपति डा.अरूण कुमार ने पूछे जाने पर बताया कि कृषि क्षेत्र की पढ़ाई करने का चजह विरासत में मिले खेती व किसानी के आलावे मेरठ के पंतनगर स्थित देश का सर्वश्रेष्ठ कृषि विश्वविद्यालय का कुलपति रहना है।
उन्होनें कृषि को नई आयाम देने के पीछे माता प्रभावती सिंह एवं कुलपति पिता डा.हरगोविंद सिंह को अपना प्रथम गुरू बताया। डा.कुमार नें बिहार विश्वविद्यालय में वर्ष 2011 में नौकरी ज्वायन करने के बाद प्रभारी कुलपति बनने के बाद बिहार कृषि विश्वविद्यालय में अपनी मिहनत व संर्घष के बाद विश्वविद्यालय को कई उपलब्धियों को गिनाया और कहा कि प्रमुख रूप से कृषि जैव प्रौद्योगिकी महाविद्यालय सबौर सहित तीन महाविद्यालय की स्थापना कृषि आफ एग्रीकल्चरल इंन्जिनियरिंग, आरा, काॅलेज आफ एग्री बिजनेस मैनेजमेंट, पटना की स्थापना है। विश्वविद्यालय और उसके सभी 6 घटक कालेजो का प्रत्यापन, विश्वविद्यालय का महज एक साल के अंदर आईसीएआर रैंकिंग को 48 की जगह 39 में लाने, अंर्तदेशीय आलू केन्द्र, चावल अनुसंस्थान संस्थान, भारतीय सूचना और प्रौद्योगिकी संस्थान, सैम हिगिनबाॅटम कृषि व प्रौद्योगिकी विवि सहित कई अंर्तदेशीय संस्थानों के साथ समझौता के आलावे कई कृषि संस्थानों का विस्तार, विश्वविद्यालय के बुनियादी ढ़ाचें का विकास, कई अहम व महत्पूर्ण अनुसंधान कार्य को अंजाम तक पंहुचाने का काम किया है।