बोचहा विधानसभा उपचुनाव : जमीन-ए-चमन गुल खिलाती है क्या-क्या बदलता है रंग आसमां कैसे-कैसे

बिहार मुजफ्फरपुर

मुजफ्फरपुर/ब्रह्मानन्द ठाकुर। अपने 53 साल के सक्रिय राजनीतिक जीवन में बिहार के कद्दावर नेता और पूर्वमंत्री रमई राम अपनी उम्र के चौथे पन में अब भीआइपी के होगये हैं। राष्ट्रीय जनता दल से निराश होने के बाद वे इस कदर आहत हुए कि कल वे अपनी पुत्री डाक्टर गीता कुमारी के साथ भीआइपी मे शामिल हो गये। भीआइपी सुप्रिमो मुकेश सहनी  दोनो पिता-पुत्री को भीआइपी मे शामिल करते हुए रमई राम की बेटी डाक्टर गीता कुमारी को बोचहा विधानसभा सीट सेअपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। गीता कुमारी  कल अपना नामांकन दाखिल करेगी। रमई राम के राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1969 के मुजफ्फरपुर नगरपालिका चुनाव से हुई, जब वे वार्ड 13 से वार्ड पार्षद चुने गये।

इस चुनाव मे सफलता मिलने के बाद उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा बढी और वे 1972 मे बोचहा से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप मे चुनाव जीत कर पहली बार वे विधानसभा पहुंचे। 1977 मे जनतापार्टी की आंधी थी। रमई राम की जगह कमल पासवान को बोचहा से जनतापार्टी का उम्मीदवार बनाया गया था। रमई राम ने उनका मुकाबला निर्दलीय प्रत्याशी के रूप मे किया और हार गये। इसके बाद  रमई राम ने  बोचहा विधानसभा सीट से 1980 मे जनतापार्टी ,1985  मे लोकदल 1990 और 1995 मे जनतादल, के उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीते।

फिर 2000 और 2005 😊 (फरवरी एवं अक्टूबर) के चुनाव मे  उन्होने राजद के टिकट पर जीत हासिल की। इस बीच 2009 मे लोकसभा का चुनाव आगया। लगातार अपनी जीत से उत्साहित रमई राम लोकसभा जाने का सपना देखते हुए अपनी पार्टी राष्ट्रीय जनतादल से हाजीपुर लोकसभा सीट की मांग कर दी। जब उन्हें हाजीपुर लोकसभा सीट से टिकट नहीं मिला तो उन्होनै कांग्रेस के टिकट पर गोपालगंज से चुनाव लडा और हार गये। पार्टी बदलने के कारण उन्हें बोचहा विधानसभा सीट से त्यागपत्र देना पडा। बोचहा विस सीट रिक्त हो गया।

2009 के सितम्बर महीने मे बोचहा मे उपचुनाव कराया गया। मुसाफिर पासवान इस चुनाव मे राजद के प्रत्याशी बनाए गये। रमई राम जदयू के उम्मीदवार हुए और मुसाफिर पासवान से चुनाव हार गये। फिर छह माह बाद 2010 मे विधानसभा का चुनाव कराया गया। जदयू प्रत्याशी रमई राम ने  उस चुनाव मे राजद के मुसाफिर पासवान को पराजित कर चुनाव जीत गये। 2015 के चुनाव से रमई राम का सितारा गर्दिश मे जाने लगा। 2015 मे वे महागठबंधन से राजद प्रत्याशी बनाए गये।

तब महागठबंधन की आंधी चल रही थी लेकिन वे एक निर्दलीय प्रत्याशी बेबी कुमारी से चुनाव हार गये। बाद मे बेबी कुमारी भाजपा मे शामिल हो गई। पिछला विधानसभा चुनाव बोचहा से रमई राम राजद के  टिकट पर लडे थे। एनडीए गठबंधन के भीआइपी प्रत्याशी मुसाफिर पासवान से उनका मुकाबला हुआ और मुसाफिर पासवान ने रमई राम को 11 हजार से अधिक वोटो से शिकस्त दे दिया। इस चुनाव में रमई राम अपनी बेटी के लिए  राजद से टिकट चाह रहे थे। इसके लिए उन्होने पुरजोर कोशिशें भी कीं लेकिन अऔतत: नाराशा हाथ लगी। 

राजद नेता तेजस्वी यादव बोचहा समेत सूबे की राजनीति तिक गतिविधियों पर बडी पैनी नजर रखे हुए थे।उधर भाजपा और भीआइपी मे बोचहा सीट के लिए घमासान चल रहा था। दोनो पार्टियां इस सीट पर अपनी दावेदारी ठोके हुए थी। भाजपा ने बेबी कुमारी को यहां से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था। भीआइपी दिवंगत विधायक मुसाफिर पासवान के पुत्र अमर कुमार पासवान को अपना उम्मीदवार बनाना चाहती थी।

भाजपा और भीआइपी के बीच इस मामले को लेकर लगातार हो रहे बयानबाजी पर जद यू चुप्पी साधे हुए था। ऐसे मे अमर पासवान ने  राजद का दमन थाम लिया और टिकट ले लिया। रमई राम भी अपनी बेटी को टिकट दिलाने के लिए पटना तेजस्वी यादव के आवास पर अपने कुछ समर्थकों के साथ डटे हुए थे। उन्हें मिलने के लिए समय तक नहीं दिया गया। नौ बार विधायक और पांच बार मंत्री रह चुके रमई राम बडे आहत मन से वहां से निकले, भीआइपी सुप्रिमों  मुकेश सहनी से मिले। उनकी पार्टी मे पिता-पुत्री शामिल हुए और टिकट हासिल कर लिया।

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