बिहार : कृषि सभ्यता को बढ़ाने में वैज्ञानिकों की अहम भूमिका- कुलपति

बक्सर

-डुमरांव स्थित कृषि कालेज के प्रांगण में बौद्धिक संपदा अधिकार

-चुनौतियां एवं समाधान बिषय पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार का हुआ आगाज

-देश के कई प्रख्यात वैज्ञानिकों ने सेमिनार में किया शिरकत

बक्सर/विक्रांत। डुमरांव स्थित वीर कुंवर सिंह कृषि सह कृषि-अभियंत्रण कालेज के प्रांगण में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आगाज किया गया।‘कृषि में बौद्धिक संपदा अधिकारःचुनौतियां एवं समाधान‘बिषय पर आयोजित सेमिनार का उद्घाटन बिहार कृषि विश्व विद्यालय, सबौर के कुलपति डा.अरूण कुमार, उत्तर प्रदेश पर्यावरण आयोग के अध्यक्ष डा.एच.बी. सिंह, वैज्ञानिक डा.फिदा अहमद एवं प्रगतिशील किसान रणजीत सिंह राणा नें संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया।

सेमिनार का बिषय प्रर्वतन डा.फीदा अहमद ने किया।इस मौके पर कृषि विश्व विद्यालय के कुलपति डा.अरूण कुमार नें सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि बौद्धिक सृजन के परिप्रेक्ष्य में प्रदान किए जाने वाले अधिकार को बौद्धिक संपदा अधिकार कहा जाता है।

उन्होनें कहा कि बिहार में कृषि सभ्यता को बढ़ानें में वैज्ञानिकों की अहम भूमिका है।उन्होनें कहा कि बिहार में वैज्ञानिकों की संख्या जरूर कम है।पर यहां के वैज्ञानिक काफी उर्जावान है।रिसर्च विधा को वैज्ञानिकों ने काफी बढ़ाने का काम किया है। लेकिन बिहार में पेटेंट फाईल दाखिल करने की संख्या जरूर कम है। बावजूद अब तक कई पेटेंट फाईल किया जा चुका है।

कुलपति नें बिहार में फलों की खेती,मत्स्य पालन,जर्दालु आम,मिथिला मखाना, मगही पान एवं भागलपुरी कतरनी चावल आदि के नाम का जिक्र करते हुए कहा कि विश्व विद्यालय द्वारा जीआई कराया जा चुका है। उन्होनेें आंगतुक नामचीन वैज्ञानिकों से पेटेंट विधा की जानकारी वैज्ञानिको सहित छात्र छात्राओं के बीच प्रदान करने की अपील की।

उत्तर प्रदेश पर्यावरण आयोग के अध्यक्ष डा.एच.बी. सिंह ने कहा कि किसी भी क्षेत्र में शोध का कार्य उपकरण नहीं करता है। बल्कि शोध व्यक्ति का दीमाग करता है।उन्होनें कहा कि पेटेंट एवं शोध प्रकाशित करने वाले वैज्ञानिकों एवं छात्र छात्राओं को पुरष्कृत व सम्मानित करने की व्यवस्था करने की जरूरत है।

डा.सिंह ने कहा कि बौद्धिक संपदा एक निश्चित समयावधि और एक निर्धारित भौगोलिक को देखते हुए प्रदान किया जाता है।वहीं मुख्य वक्ता के रूप में आई. आर. ए. के पूर्व अध्यक्ष डा.के.वी. प्रभु द्वारा सेमिनार को वर्चुअल संबोधित किया गया।उन्होनें कहा कि बौद्धिक संपदा बहुत जरूरी है। विश्व का एक प्राधिकरण है।जो किसानों के अधिकार संरक्षण के लिए संर्घष करता है।

सेमिनार को अन्य वक्ताओं में जिला के प्रगतिशील किसान रणजीत सिंह ‘राणा‘,मशहूर वैज्ञानिक डा.आर.सी.चैधरी, विश्व विद्यालय के रिसर्च निदेशक डा.सोलंकी,पूर्व प्राचार्य डा.अजय कुमार सिंह, लखनउ के डा.सुधीर कुमार, किस्मों एवं कृषि-किसान कल्याण मंत्रालय की निबंधक डा.टी.के.नागारत्ना एवं भारतीय बीज विज्ञान संस्थान के अध्यक्ष डा.संजय कुमार सिंह आदि सहित कई नामचीन वैज्ञानिको ने संबोधित किया और सूबे के विभिन्न जिले से पधारे किसानों सहित छात्र छात्राओं के बीच बौद्धिक रूप से खेती को बढ़ावा दिए जाने पर बल दिया गया।

इसके पूर्व मंचासीन कुलपति द्वारा सेमिनार से संबधित पुस्तक का विमोचन किया गया। आगत अतिथियों का स्वागत कार्यक्रम आयोजन समिति के सचिव वैज्ञानिक डा. प्रकाश सिंह, समन्वयक सह कृषि कालेज के प्राचार्य डा.रियाज अहमद एवं कृषि-अभियंत्रण कालेज के प्राचार्य डा.जीतेन्द्र सिंह द्वारा किया गया। मंच का संचालन डा.नीतू सिंह ने किया।

इस सेमिनार के दरम्यान कालेज प्रांगण में कई सार्वजनिक एवं निजी कंपनियों द्वारा विभिन्न टेक्निकल उत्पादों एवं अभियंत्रण से जुड़ी उत्पादों का स्टाल लगा रहा।प्रथम दिन गुरूवार को दो सत्र में सेमिनार का आयोजन किया गया।सेमिनार के सफल संचालन व्यवस्था को लेकर डा.बिनोद कुमार सिंह,डा. पवन शुक्ला, डा.आनंद कुमार जैन, डा.संजय कुमार,डा.सुनिल कुमार एवं डा.बी.के.सिंह आदि पूरी तन्मयता से जुटे पाए गए।