सन 42 के अमर शहीदों की स्मृति में 16 अगस्त को डुमरांव में होेेगा आयोजित राजकीय समारोह….

बक्सर

-अमर शहीदों व स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को किया जाएगा सम्मानित…

-कृषि महाविद्यालय में ‘एक शाम शहीदों के नाम’ सांस्कृतिक कार्यक्रम…

बक्सर/बिफोर प्रिंट। सन 42 के अमर शहीदों की याद में 16 अगस्त को डुमरांव में आयोजित होने वाले राजकीय समारोह को लेकर पुलिस व प्रशासनिक स्तर पर सारी तैयारियां पूरी हो चुकी है। अमर शहीदों की याद में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में सबसे पहले सुबह सात बजे से सुबह आठ बजे के बीच प्रभात फेरी निकाली जाएगी। प्रभात फेरी छठिया पोखरा के आरंभ होगा।

जो नगर के विभिन्न मार्गो से गुजरते हुए अमर शहीद पार्क पहुंचेगा। वहां बलिदानियों को ‘गार्ड आफ आॅनर’ के बाद पूर्वाह 8.56 बजे से मुख्य अतिथि जिलाधिकारी अशंुल अग्रवाल एवं अन्य कई गणमान्य अतिथियों द्वारा अमर शहीदों की प्रतिमा पर माल्यार्पण अर्पित किया जाएगा।

बाद में आयोजित राजकीय समारोह के बीच बलिदानियों व स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों सहित मुख्य अतिथि व अन्य गणमान्य अतिथियों को सम्मानित किया जाएगा। बाद में संध्या 7 बजे से डुमरांव स्थित कृषि कालेज के संास्कृतिक भवन में ‘एक शाम शहीदों के नाम’ संास्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।

सांस्कृतिक कार्यक्रम युवा कला एवं संस्कृति विभाग पटना के कलाकार व गायक गायिका द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा।इसकी जानकारी एसडीओ राकेश कुमार व डीएसपी अफाक अख्तर ने देते हुए बताया कि शहीद दिवस के मौके पर आयोजित होने वाले राजकीय समारोह की सारी तैयारियां पूरी हो चुकी है।

एसडीओ राकेश कुमार व डीएसपी अफाक अख्तर ने बताया कि रात्रि में रंग बिरंगे बल्ब के रौशनी से ‘अमर शहीद स्मारक स्थल’ व आस पास के इलाके को रौशन करने को लेकर नगर परिषद द्वारा तैयारियों को अंतिम मुकाम देने का काम जोरो पर है। अधिकारी द्वय ने बताया कि शहीद दिवस समारोह के अवसर पर अमर शहीदों के परिजनों के अलावा स्वतंत्रता सेनानी के परिजनों को सम्मानित किया जाएगा।

बता दें सन् 42 के 16 अगस्त को डुमरांव में एक साथ एक ही स्थान पर आजादी के चार दीवानें वीर सपूतों ने अपने प्राणों को न्योछावर किया था।अंग्रेजी शासन के डुमरांव थाना पर तिरंगा ध्वज फहराने के क्रम में एक ही स्थान पर एक साथ चार वीर सपूतों में कपिलमुनि प्रसाद, रामदास लोहार, गोपाल प्रसाद एवं रामदास सोनार ने सीने पर अंग्रेजी शासन के दारोगा की पिस्तौल की गोली खाकर मातृभूमि को गुलामी की दासता से मुक्ति दिलाने को अमर शहीद हो गए थे।